नई दिल्ली: महाराष्ट्र में भले ही राष्ट्रपति शासन लग गया हो मगर आखिर क्यों कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना के बीच अभी तक बात नहीं बनीं? भले ही शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस तीनों राज्यपाल पर राष्ट्रपति शासन लगाने का दोष मढ़ रहे हों लेकिन एबीपी न्यूज के सूत्रों के मुताबिक अभी एनसीपी और शिवसेना के बीच ही सरकार गठन को लेकर बात नहीं बनी है. सूत्रों के मुताबिक कल रात उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल से मुलाकात के दौरान यह बात कही. उद्धव ठाकरे ने अहमद पटेल से कहा कि फिलहाल शिव सेना और एनसीपी के बीच सरकार गठन पर बातचीत चल रही है . कोई निष्कर्ष पर पहुंचने के बाद वे कांग्रेस से संपर्क करेंगे.
असल में परदे के पीछे की कहानी ये है कि शरद पवार शिवसेना के साथ साथ ढाई ढाई साल मुख्यमंत्री पद दोनों दलों को मिलने पर समझौता चाहते हैं और इसी वजह से पेंच फंस गया है. और अब कांग्रेस को लगता है कि यदि दोनों दल ढाई ढाई साल मुख्यमंत्री के फॉर्मूले पर सहमति बना लेंगे तो फिर उसका क्या होगा? सूत्रों के मुताबिक कल जब सोनिया गांधी ने सुबह शरद पवार से फोन पर बातचीत की और कहा कि वह अहमद पटेल समेत तीन वरिष्ठ नेताओं को मुंबई भेज रही हैं तो पवार ने कहा कि बेहतर होगा कि बातचीत दो दिन बाद की जाए. जिस पर सोनिया गांधी ने कहा कि फिर भी वह तीनों नेताओं को मुंबई भेज रही हैं. यानी कि अहमद पटेल, मल्लिकार्जुन खडगे और वेणुगोपाल तीनों सोनिया गांधी के जोर देने पर मुंबई गये ना कि पवार ऐसा फिलहाल खुद चाहते थे.
सूत्रों के मुताबिक पवार ने जो समय मांगने की चिट्ठी राज्यपाल को भेजी थी, उसकी जानकारी तक कांग्रेस को पहले नहीं दी थी. यानी कांग्रेस को कहीं ना कहीं ये जरूर लगता है कि पवार जान समझकर शिव सेना को अपने मुताबिक राजी करने के लिए कांग्रेस को भी अधर में रखे हुए हैं. अब देखना दिलचस्प होगा कि शिव सेना और पवार के बीच क्या सहमति बनती है. क्योंकि कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना की सरकार को तभी समर्थन देगी जब उसे विचारधारा को लेकर आश्वासन मिलेगा. सबसे महत्वपूर्ण यह होगा कि शिवसेना को हार्डकोर हिन्दुत्व की छवि को छोड़ना होगा और महाराष्ट्र में बाहर से आने वालों के खिलाफ अपनी राजनीति किनारे करनी होगी. इसके अलावे आम जनता से जुड़े तमाम और मसलों पर एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम का खांका खिंचने कोशिश जारी है.