प्रणब स्पीच: येचुरी बोले- संघ का वो अतीत याद दिलाना चाहिए था जब गांधी की हत्या पर बांटी गई थी मिठाई
कांग्रेस के कई नेता और अन्य लोगों के विरोध के बावजूद पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में शिरकत की. आरएसएस के मंच से मुखर्जी ने गांधी, अंबेडकर और नेहरु का संदर्भ देते हुए संघ को राष्ट्रवाद, भारतीयता, संविधान और धर्मनिरपेक्षता का पाठ पढ़ाया.
नई दिल्ली: कांग्रेस के कई नेता और अन्य लोगों के विरोध के बावजूद पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में शिरकत की. आरएसएस के मंच से मुखर्जी ने गांधी, अंबेडकर और नेहरु का संदर्भ देते हुए संघ को राष्ट्रवाद, भारतीयता, संविधान और धर्मनिरपेक्षता का पाठ पढ़ाया. मुखर्जी के भाषण के बाद ही राजनीतिक गलियारों से चौतरफा इसके बारे में बात होने लगी. कांग्रेस समेत कई पार्टियों के नेताओं ने सोशल मीडिया ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त की. किसी ने कहा कि मुखर्जी ने आरएसएस को उसके मंच से भारतीयता और सहिष्णुता सिखाई तो किसी ने कहा कि संघ हर किसी के विचारों का सम्मान करता है इसलिए उन्होंने कांग्रेसी नेता प्रणब मुखर्जी को कार्यक्रम में बुलाया.
प्रणब मुखर्जी के भाषण पर कांग्रेस ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि पूर्व राष्ट्रपति ने संघ को सच का आइना दिखाया है. उन्होंने कहा कि नागपुर में मुखर्जी ने संघ को भारत की सहिष्णुता, विवाधता, धर्मनिरपेक्षता और समग्रता की याद दिलाई. ये सारी चीजें भारत की आत्मा में बसती हैं. मुखर्जी ने नरेन्द्र मोदी को 'राजधर्म' की याद दिलाई है.
प्रणब मुखर्जी के भाषण के बाद कई नेताओं ने आरएसएस के कथित राष्ट्रवाद पर सवाल उठाया. कांगेस नेता संजय झा ने कहा कि भारत के पूर्व राष्ट्रपति के मौजूद होने के बाद भी पूरे कार्यक्रम में न तो राष्ट्रगान बजा और न ही कहीं तिरंगा फहराया गया. उन्होंने कहा कि प्रणब मुखर्जी ने आएएसएस को सिखाया कि भारतीय राष्ट्रवाद, हिंदू राष्ट्रवाद नहीं है. हमारी बहुलतावादी संस्कृति ही देश की ताकत है.
He would have done well to remind the RSS of its own history - banned thrice by Congress governments, first time by Sardar Patel, following Mahatma Gandhi's assassination. "RSS men expressed joy and distributed sweets after Gandhiji’s death", Patel wrote to Golwalkar.
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) June 7, 2018
वहीं सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने आरएसएस पर करारा निशाना साधा. उन्होंने कहा कि अगर प्रणब मुखर्जी ने संघ को उसके अतीत की याद दिलाई होती तो बेहतर होता. उन्होंने ट्वीट कर लिखा, "संघ तीन बार कांग्रेस सरकार द्वारा बैन किया जा चुका है. पहली बार महात्मा गांधी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने संघ पर बैन लगाया था. पटेल ने गोलवलकर को लिख कर कहा था कि गांधी की हत्या के बाद आरएसएस कार्यकर्ताओं नें मिठाईयां बांटी थीं. अगर मुखर्जी संघ को ये याद दिलाते तो बेहतर होता."
With Pranabda visit to Nagpur event, the stage is set for the emergence of a Rashtravadi Swadeshi Congress leaving behind a rump Deshadrohi Videshi Congi. Then long dream of a two party system of BJP & RSC can become a reality
— Subramanian Swamy (@Swamy39) June 8, 2018
वहीं बीजेपी नेता सुब्रमन्यम ने कहा कि मुखर्जी ने संघ को संबोधित करते हुए जो भी बातें कही हैं वो सभी हिंदू मूल्य की बाते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि प्रणब मुखर्जी के आरएसएस कार्यक्रम में जाने से अब 'राष्ट्रवादी स्वदेशी कांग्रेस(आरएससी)' का उदय होगा. इसके बाद बीजेपी और आरएससी दो पार्टी सिस्टम बनाने का सपना पूरा हो सकेगा.
विडंबना देखिए! स्वघोषित राष्ट्रवादियों का सम्मेलन, राष्ट्रवाद पर चर्चा, पूर्व राष्ट्रपति मेहमान लेकिन ना मंच पर राष्ट्रीय ध्वज दिखा, ना ही कार्यक्रम में राष्ट्र गान हुआ। बाकी खुद अर्थ निकाल लीजिए....#PranabAtRSSEvent
— Akhilesh Yadav (@WithAkhileshG) June 7, 2018
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी राष्ट्रगान और राष्ट्रीय ध्वज के मुद्दे पर संघ की आलोचना की. उन्होंने ट्वीट कर लिखा, "विडंबना देखिए! स्वघोषित राष्ट्रवादियों का सम्मेलन, राष्ट्रवाद पर चर्चा, पूर्व राष्ट्रपति मेहमान लेकिन ना मंच पर राष्ट्रीय ध्वज दिखा, ना ही कार्यक्रम में राष्ट्र गान हुआ. बाकी खुद अर्थ निकाल लीजिए...."