नई दिल्ली: जज लोया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने यह माना कि जज लोया की मौत हार्ट अटैक से ही हुई. इसी के साथ कोर्ट ने इस मामले में किसी भी तरह की जांच से इनकार कर दिया. कोर्ट ने जांच की मांग करने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि ये याचिकाएं राजनीति से प्रेरित है, बॉम्बे हाईकोर्ट के जजों के बयान पर शक नहीं किया जा सकता.


इस मामले पर कई प्रतिक्रियाएं आईं हैं. जज लोया केस में याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण ने इसे सुप्रीम कोर्ट के इतिहास का काला दिन बताया तो बीजेपी कहा कि आज देश को तोड़ने की साजिश का पर्दाफाश हो गया. कांग्रेस की ओर से अभी इस मामले पर कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की गई है.


बीजेपी का बड़ा आरोप: जज लोया केस के पीछे राहुल गांधी की साजिश
जज लोया केस पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का बीजेपी ने स्वागत किया है. बीजेपी ने जज ललोया की मौत के पीछे राहुल गांधी की साजिश बताई है. बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि आज देश के माहौल को खराब करने की कोशिश का पर्दाफाश हुआ है.


संबित पात्रा ने कहा, ''सुप्रीम कोर्ट फैसले के कुछ बिन्दु आशचर्यचकित करने वाले हैं. सुप्रीम अपने फैसले में कहा कि जज लोया की मौत हार्ट अटैक से हुई. कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट ने याचिकाओं को राजनीति से प्रेरित याचिका बताया है.''


संबित पात्रा ने कहा, ''कोर्ट ने कहा कि यह पूरा राजनीतिक दुश्मनी के लिए प्रतीत होता है. राहुल गांधी और उन राजनीतिक पार्टी के लिए इससे जघन्य टिप्पणी नहीं हो सकती. राहुल गांधी ने कोर्ट के माध्यम से राजनीति करने की कोशिश की थी.''


संबित पात्रा ने राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए कहा, ''कोर्ट ने कहा कि यह याचिका जो सामने दिख रही है वो है नहीं, जिसे किसी अदृश्य व्यक्ति ने फाइल किया है जो राजनीतिक फायदा लेना चाहता है. मैं पूछना चाहता हूं कि ये अदृश्य हाथ किसका है?''


संबित पात्रा ने कहा, ''कांग्रेस ने अमित शाह जी को लेकर बहुत सी अभद्र टिप्पणी की थीं. 100 सांसदों के साथ राहुल गांधी जांच की मांग लेकर राष्ट्रपति से मिलने गए थे. इस मामले में अदृश्य हाथ राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी है, जिसने राजनीतिक फायदा लेने की कोशिश की. राहुल गांधी और कांग्रेस ने न्यायपालिका को सड़क पर लाने का काम किया है. इसके लिए राहुल गांधी क्षमा याचना करनी चाहिए.''


फैसला गलत, SC के इतिहास का काला दिन: प्रशांत भूषण
जज लोया केस में याचिकाकर्ता वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इसे इतिहास का काला दिन बताया है. प्रशांत भूषण ने कहा, ''यह बेहद दुरभाग्यपूर्ण है. सुप्रीम कोर्ट उन चार जजों के बयान को आधार बनाया जिनके बयान का कोर्ट में कोई हलफनामा नहीं आया. उस पुलिस अधिकारी के बयान का कोई हलफनामा भी नहीं आया जिसके सामने चारों जजों ने बयान दिए थे. यह गलत फैसला है और मेरी राय में सुप्रीम कोर्ट के इतिहास का काला दिन है.''


प्रशांत भूषण ने कहा, ''जज लोया के परिवार ने भी उनकी मौत को लेकर सवाल उठाए थे. उनकी फैसली ने कहा था कि वहां के चीफ जस्टिस ने जज लोया को घूस ऑफर की थी, इस पर भी सुप्रीम कोर्ट ने कुछ नहीं कहा. ऐसे में एक स्वतंत्र जांच के बजाए सुप्रीम कोर्ट ने इस पर्दा डालने का काम किया है.''


फैसले पर मकुल रोहतगी ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सरकारी वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, ''जिस तरह से याचिकाकर्ताओं ने इस केस में अपनी बात रखी वह बेहद गलत था. सुप्रीम कोर्ट ने भी यही बात कही है. याचिकाकर्ताओं ने होमवर्क नहीं किया. इन याचिकाओं का मुख्य उद्देश्य सरकार के वरिष्ठ पदाधिकारियों पर हमला करना था. याचिका व्यतिगत हित के लिए थी ना कि जनहित के लिए.''


फैसले पर कांग्रेस नेता संजय निरूपम की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस प्रवक्ता संजय निरूपम ने कहा, ''इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में जो नियमित सुनवाई हो रही थी उसे मैंने पढ़ा है. वकील दुष्यंत दवे, वकील इंदिरा जय सिंह और वकील प्रशांत भूषण ने बहुत अच्छे ढंग से बातें रखी थीं. एक मैगजीन ने बहुत अच्छे ढंग से खुलासा किया था जिससे साफ दिख रहा था कि जज लोया को संदेहास्पद परिस्थितियों में मारा गया. मारा इसलिए गया था क्योंकि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पर हत्या और फेक एनकाउंटर के केस हैं उनके केस की जज लोया सुनवाई कर रहे थे. ये भी पता चला है कि जज लोया पर अमित शाह को छोड़ने का दबाव था.''


क्या है पूरा मामला?
जज लोया की एक दिसंबर 2014 को नागपुर में दिल का दौरा पड़ने से उस समय मौत हो गई थी, जब वह अपनी एक सहकर्मी की बेटी की शादी में शामिल होने के लिए जा रहे थे. यह मामला तब सामने आया जब उनकी बहन ने भाई की मौत पर सवाल उठाए थे. बहन के सवाल उठाने के बाद मीडिया की खबरों में जज लोया की मौत और सोहराबुद्दीन केस से उनके जुड़े होने की परिस्थितियों पर संदेह जताया गया था.


सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर का है ये मामला
गुजरात में सोहराबुद्दीन शेख, उनकी पत्नी कौसर बी और उनके सहयोगी तुलसीदास प्रजापति के नवंबर 2005 में हुई कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में पुलिसकर्मी समेत कुल 23 आरोपी मुकदमे का सामना कर रहे हैं. बाद में यह मामला सीबीआई को सौंपा गया और मुकदमे को मुंबई ट्रांसफर किया गया. जज लोया इस केस की सुनवाई कर रहे थे.