Political Reactions On Union Budget-2023: देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन (Nirmala Sitharaman) ने बुधवार (1 फरवरी) को 2023-24 का बजट पेश किया है. इस बजट पर विपक्षी नेताओं की ओर मिली जुली प्रतिक्रिया सामने आई है. कुछ नेताओं ने बजट की तारीफ की तो कुछ ने इसे चुनावी बजट करार दिया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) ने इसे जुमला बजट बताया है.


मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि, "दो-चार राज्य के चुनाव को देखकर यह बजट पेश किया गया है, ये जुमला बजट है. महंगाई को रोकने के लिए इस बजट में कुछ नहीं है. रोजगार के लिए इस बजट में कुछ नहीं है. सरकारी भर्ती के लिए इस बजट में कुछ नहीं है. गरीब के लिए इस बजट में कुछ नहीं है." 


फारूक अब्दुल्ला ने सराहा


बजट पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा, "बजट में मध्यम वर्ग को मदद दी गई है, सबको कुछ न कुछ दिया गया है. डेढ़ घंटे तक हमने बजट सुना. अब हम इसपर बात करेंगे, जब मौका आएगा."


"पीएम मोदी की OPUD स्ट्रेटजी"


कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने कहा कि, "पिछले साल के बजट में कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, मनरेगा और अनुसूचित जातियों के कल्याण के लिए किए गए आवंटन की सराहना की गई थी. आज हकीकत सबके सामने है. आवंटित राशि की तुलना में व्यय काफी कम है. ये हेडलाइन मैनेजमेंट के लिए पीएम मोदी की OPUD स्ट्रेटजी है- ओवर प्रॉमिस, अंडर डिलीवर." 


"इसमें केवल फैंसी घोषणाएं"


कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि, "यह बजट देश की वास्तविक भावना को संबोधित नहीं कर रहा है जो कि बेरोजगारी और महंगाई है. इसमें केवल फैंसी घोषणाएं थीं जो पहले भी की गई थीं. पीएम किसान योजना से सिर्फ बीमा कंपनियों को फायदा हुआ किसानों को नहीं." 


कई कांग्रेस नेताओं ने तारीफ भी की


कांग्रेस के कुछ नेताओं ने बजट की तारीफ भी की है. कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि, "बजट में कुछ अच्छी चीजें हैं, लेकिन मनरेगा, गरीब ग्रामीण श्रम, रोजगार और महंगाई का कोई जिक्र नहीं था. कुछ बुनियादी सवालों के जवाब बाकी रह गए."


कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने कहा कि, "मैं कम टैक्स व्यवस्था में विश्वास करता हूं. इसलिए किसी भी टैक्स कटौती का स्वागत है क्योंकि लोगों के हाथों में अधिक पैसा देना अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने का सबसे अच्छा तरीका है." य


"ये बजट फिल्म पठान की तरह हिट"


बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के नेता मलूक नागर ने कहा कि बजट में आम लोगों को मिली राहत ने इसे शाहरुख खान की फिल्म 'पठान' की तरह हिट बना दिया है. उन्होंने कहा कि बजट में दी गई आयकर राहत से यह सुनिश्चित होगा कि अधिक संख्या में लोग आयकर रिटर्न दाखिल करेंगे. उन्होंने कहा कि यह बजट अर्थव्यवस्था को और अधिक मजबूती देगा और यह सुनिश्चित करेगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भारत को पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का सपना सच हो. 


ममता बनर्जी ने बताया जनविरोधी 


पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्रीय बजट को जनविरोधी करार देते हुए कहा कि इसमें गरीबों का ध्यान नहीं रखा गया. उन्होंने दावा किया कि आयकर स्लैब में बदलाव से किसी की मदद नहीं होगी. उन्होंने कहा कि, "यह केंद्रीय बजट भविष्यवादी नहीं है और पूरी तरह से अवसरवादी, जनविरोधी व गरीब विरोधी है. यह केवल एक वर्ग के लोगों को लाभान्वित करेगा. यह बजट देश की बेरोजगारी के मुद्दे को हल करने में मदद नहीं करेगा. इसे 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है." 


"दिल्ली के साथ एक बार फिर सौतेला व्यवहार"


आप के राष्ट्रीय संजोयक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि, "बजट में महंगाई और बेरोजगारी की दोहरी समस्याओं से कोई राहत नहीं मिली है. दिल्ली के लोगों के साथ एक बार फिर सौतेला व्यवहार किया. दिल्ली के लोगों ने पिछले साल 1.75 लाख करोड़ से ज्यादा का आयकर चुकाया. उसमें से दिल्ली के विकास के लिये सिर्फ 325 करोड़ रुपये दिए गए. यह दिल्ली के लोगों के साथ घोर अन्याय है. इस बजट में मंहगाई से कोई राहत नहीं है. उल्टे इस बजट से मंहगाई बढ़ेगी." 


बजट में कुछ नया नहीं- महबूबा मुफ्ती


पीडीपी प्रमुख और जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने कहा कि, "ये बजट वही है जो पिछले 8-9 साल से आ रहा था. टैक्स बढ़ाए गए, कल्याणकारी योजनाओं और सब्सिडी पर पैसा खर्च नहीं किया जा रहा है. कुछ सांठगांठ वाले पूंजीपतियों और बड़े कारोबारियों के लिए टैक्स वसूला जा रहा है. जनता को टैक्स से फायदा होना चाहिए, लेकिन इससे उसकी कमर टूट रही है. उन्हें (आम लोगों को) लाभ पहुंचाने के बजाय कल्याणकारी योजनाओं और सब्सिडी को खत्म किया जा रहा है. जो लोग गरीबी के स्तर से ऊपर उठ गए थे, वे फिर से गरीबी के स्तर से नीचे आ गए हैं."  


चुनाव को ध्यान में रखकर बजट बनाया- डिंपल यादव


समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने कहा कि, "यह चुनाव को ध्यान में रखकर पेश किया गया बजट है, जबकि मध्यम वर्ग को कुछ छूट दी गई है. सरकार ने किसानों, रोजगार और युवाओं के लिए एमएसपी के बारे में कुछ नहीं कहा है. इस बजट में रेलवे की भी अनदेखी की गई. यह निराशाजनक बजट रहा है." 


"झूठी उम्मीदें क्यों?"


बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती (Mayawati) ने केंद्रीय बजट (Union Budget-2023) पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि, "लोग उम्मीदों के सहारे जीते हैं, लेकिन झूठी उम्मीदें क्यों?" उन्होंने कहा कि बजट पार्टी से ज्यादा देश के लिए हो तो बेहतर होता है क्योंकि देश के 130 करोड़ गरीब, मजदूर, वंचित और किसान अपने अमृतकाल को तरस रहे हैं. उन्होंने कहा कि पिछले नौ वर्षो में भी केन्द्र सरकार के बजट आते-जाते रहे जिसमें घोषणाओं, वादों, दावों व उम्मीदों की बरसात की जाती रही, लेकिन मध्यम वर्ग महंगाई व बेरोजगारी के कारण निम्न मध्यम वर्ग बन गया हैं. 


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