नई दिल्ली: कोरोना के खिलाफ जारी जंग में वैक्सीन को सबसे बड़ा हथियार कहा जाता है लेकिन जब हथियार हाई नहीं होंगे तो जंग कैसे जीती जा सकती है. कोरोना की वैक्सीन सभी प्रदेशों को केंद्र सरकार उपलब्ध करवा रही है और वैक्सीन देने में भेदभाव के आरोप भी कई राज्यों ने केंद्र सरकार पर लगाए है.


आरोप लगाने वाले राज्यों में ग़ैर बीजेपी शासित राज्य जैसे दिल्ली, पंजाब और राजस्थान प्रमुख है. लेकिन ऐसे आरोपों के जवाब में केंद्र सरकार ने हमेशा यही जवाब दिया कि सभी प्रदेशों को समान नीति से वैक्सीन दी जा रही है. राजस्थान के सी एम अशोक गहलोत और चिकित्सा मंत्री डा रघु शर्मा ने जब भी राजस्थान को कम वैक्सीन मिलने की बात कही तो बीजेपी के प्रादेशिक और केंद्रीय नेताओं ने उन पर ये कहकर पलटवार किया कि वो वैक्सीन के मुद्दे पर राजनीति करने से बाज़ आये.


राजस्थान में वैक्सिनेशन करने का ढांचे बेहद मजबूत है


राजस्थान पिछले कई महीनो से वैक्सीन की क़िल्लत से जूझ रहा है. दो तीन महीनों के दौरान क़रीब आधा दर्जन ऐसे मौक़े भी आए जब प्रदेश में वैक्सिनेशन दो तीन दिनों तक बंद भी करना पड़ा. लेकिन हर बार वैक्सीन का मुद्दा राजनीति में उलझ कर रह गया. राजस्थान में अब तक वैक्सिनेशन के जो आंकड़े सामने आए है उससे एक बात तो साबित होती है कि राजस्थान में वैक्सिनेशन करने का ढांचे बेहद मजबूत हैं.


राज्य के चिकित्सा मंत्री का दावा है कि राजस्थान एक दिन में पंद्रह लाख लोगों को वैक्सीन लगा सकता है लेकिन ये तब सम्भव है जब हमें केंद्र से वैक्सीन मिलती रहे. तमाम राजनीति और आरोप प्रत्यारोप के बीच राजस्थान पूरे देश में वैक्सीन के लिहाज़ से आज भी पाँचवें पायदान पर है.


दो करोड़ पचास लाख से ज़्यादा डोज़ राजस्थान में लगी


राजस्थान में अब तक वैक्सीन की दो करोड़ पचास लाख से ज़्यादा डोज़ लग चुकी है. इस आंकड़े में दो करोड़ ग्यारह लाख लोगों को पहली और करीब 45 लाख लोग दूसरी डोज़ लगवा चुके लोग शामिल है. लेकिन इसमें भी कोई शक नहीं कि वैक्सीन देने में राजस्थान के साथ भेदभाव तो हो रहा है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक एक मई से लेकर अब तक राजस्थान को एक करोड़ 46 लाख डोज़ केंद्र सरकार से मिली है. इसी तरह एक अन्य कांग्रेस शासित प्रदेश पंजाब को एक मई से लेकर अब तक सिर्फ़ 36 लाख 70 हज़ार वैक्सीन डोज़ केंद्र सरकार से मिली है.


दूसरी तरफ़ बीजेपी शासित उत्तर प्रदेश को एक मई से अब तक दो करोड़ से ज़्यादा वैक्सीन डोज़ दी जा चुकी है. इसी तरह बीजेपी शासन वाले मध्य प्रदेश को एक मई से अब तक एक करोड़ 39 लाख तो गुजरात को एक करोड़ 46 लाख वैक्सीन डोज़ दी गई है. बीजेपी शासित कर्नाटक को भी इस अवधि में राजस्थान से कही ज़्यादा एक करोड़ 45 लाख वैक्सीन डोज़ मिलना ये तो साबित करता है कि केंद्र सरकार वैक्सीन देने के मामले में बीजेपी शासन वाले राज्यों पर ज़्यादा ही मेहरबान है.


केरल को एक मई से अब तक सिर्फ़ 75 लाख डोज़ ही क्यों मिलीं?


अगर ऐसा नहीं है तो पूरे देश में संक्रमण और कोरोना से होने वाली मौतों के लिहाज़ से देश में दूसरे नम्बर के राज्य केरल को एक मई से अब तक सिर्फ़ 75 लाख डोज़ ही क्यों मिलीं? वैक्सीन उपलब्ध करवाने के ये सरकारी आंकड़े साफतौर पर बता रहे है कि महामारी के इस दौर में भी ग़ैर बीजेपी शासित प्रदेशों के साथ पक्षपात तो हो रहा है.