Maharashtra Politics: कर्नाटक में कांग्रेस की बड़ी जीत और बीजेपी की हार के बाद अब कई राज्यों में सियासी हलचल तेज हो गई है. जिसमें महाराष्ट्र भी शामिल है, जहां आने वाले कुछ ही महीनों में बीएमसी के चुनाव हो सकते हैं, वहीं इसके ठीक बाद लोकसभा और विधानसभा चुनाव का भी बिगुल बज जाएगा. बीजेपी राज्य में फिलहाल शिंदे गुट की बैसाखी के सहारे सत्ता में काबिज है, जिसे मात देने के लिए विपक्षी दलों ने कोशिश शुरू कर दी है. कर्नाटक में बीजेपी को लगे झटके के बाद ये कोशिशें और तेज हो गई हैं. वहीं बीजेपी कैडर भी एक्टिव मोड में नजर आ रहा है. 


शरद पवार के घर बैठक 
एनसीपी चीफ शरद पवार के घर पर कुछ दिन पहले एक बैठक बुलाई गई थी, जिसमें तमाम एमवीए नेता शामिल हुए. इस बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई, बताया गया कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों का भी इस बैठक में जिक्र हुआ. कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद महाराष्ट्र में बीजेपी को घेरने की रणनीति तैयार की गई. बैठक में तीनों दलों ने अपने-अपने मुद्दों को रखा और आगे किस तरह से सीटों का बंटवारा किया जाए, इसका भी जिक्र हुआ. तीनों दलों की इस बैठक के बाद अब सभी अपने नेताओं की अलग बैठक भी बुला रहे हैं, जिसमें आगे पार्टी की रणनीति क्या होगी इस पर काम किया जा रहा है. साथ ही सीट शेयरिंग को लेकर भी अभी से मंथन शुरू हो गया है. 


उद्धव गुट और एनसीपी ने बुलाई बैठक
कर्नाटक चुनाव के बाद महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी गठबंधन ने आने वाले चुनावों के लिए रणनीति बनाना शुरू कर दिया है. बुधवार 17 मई को एमवीए के दो बड़े दल शिवसेना (उद्धव गुट) और एनसीपी ने अपने नेताओं से बातचीत की. बताया गया कि ये बातचीत आने वाले चुनावों की रणनीति को लेकर की गई. एनसीपी लगातार अपना जनाधार बढ़ाने में जुटी है और कोशिश है कि वो महाराष्ट्र में बीजेपी के सामने एक बड़ी चुनौती के तौर पर पेश हो. क्योंकि शिवसेना के दो टुकड़े हो चुके हैं, ऐसे में नंबर के मामले में शरद पवार की एनसीपी ही एमवीए की सबसे बड़ी पार्टी है. जिसे एनसीपी एक मौके की तरह देख रही है. 


सुप्रीम कोर्ट के फैसले का प्रचार
पार्टी बैठक के बाद शिवसेना विधायक अंबादास दानवे ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि उद्धव ठाकरे ने क्या रणनीति बनाई है. उन्होंने बताया कि शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता और कार्यकर्ता आने वाले चुनावों से पहले जनता के बीच जाकर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से की गई टिप्पणी का प्रचार करेंगे. महाराष्ट्र में सियासी घटनाक्रम को लेकर सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया, उसे महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों तक पहुंचाने का काम किया जाएगा. इसके अलावा बताया जा रहा है कि उद्धव गुट चुनाव से ठीक पहले शिंदे के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश कर रहा है. इसके लिए नेताओं को जिलावार जिम्मेदारी दी गई है. 


शिवसेना चुनावी माहौल गर्माने के लिए 19 जून का भी इंतजार कर रही है, जिसे लेकर तैयारियां जोरों पर है. इस दिन शिवसेना का स्थापना दिवस होता है, जिसे एक बड़े इवेंट के तौर पर मनाया जाएगा. साथ ही उद्धव ठाकरे अपनी पारंपरिक पार्टी को तोड़ने को लेकर जनता तक भावुक संदेश पहुंचा सकते हैं. जिसका असर शिवसेना कैडर पर पड़ सकता है. 


एमवीए से बीजेपी को नुकसान
कर्नाटक में जीत के बाद देशभर में विपक्ष को लेकर एक माहौल बनता दिख रहा है, जिसे अब महाराष्ट्र में भी भुनाने की कोशिश है. शरद पवार भी इस बात को मानते हैं कि अगर एमवीए साथ रहा तो बीजेपी को बड़ा डेंट पहुंचाया जा सकता है. आने वाले बीएमसी चुनावों में भी अगर तीनों दलों ने मिलकर चुनाव लड़ा तो बीजेपी को महानगरपालिका की सत्ता से दूर रखा जा सकता है, वहीं इसका असर आने वाले लोकसभा और उसके ठीक बाद विधानसभा चुनावों पर दिख सकता है. यानी एमवीए गठबंधन एकजुट रहकर कहीं न कहीं सीधे बीजेपी को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है. 


विधानसभा और लोकसभा के आंकड़े
उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र सबसे बड़ा राज्य है, जहां लोकसभा की कुल 48 सीटें हैं. जिनमें 41 सीटों पर बीजेपी और शिवसेना गठबंधन की जीत हुई थी. बीजेपी को कुल 23 सीटें मिली थीं, जबकि शिवसेना को 18 सीटों पर जीत मिली. वहीं एनसीपी को चार और कांग्रेस को महज 1 सीट मिल पाई थी. वहीं अगर विधानसभा चुनाव के आंकड़े देखें तो बीजेपी को सबसे ज्यादा 105 सीटें मिलीं, वहीं शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटों पर जीत मिली. 


ये तमाम आंकड़े तब के हैं जब एमवीए में शामिल कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था. वहीं अगर आने वाले चुनावों में एमवीए गठबंधन बना रहता है तो बीजेपी के लिए ये आंकड़े डराने वाले हो सकते हैं. तीनों दलों की ताकत के आगे बीजेपी काफी ज्यादा पीछे नजर आ सकती है. बीजेपी के साथ शिंदे गुट है, जिसका चुनावों में असली लिटमस टेस्ट होना है. जिससे पता चलेगा कि जनता ने इस धड़े को स्वीकार किया है या फिर नहीं. यानी बीजेपी के लिए महाराष्ट्र में आने वाले चुनाव किसी चुनौती से कम नहीं होंगे. 


बीजेपी की भी तैयारी
बीजेपी को एक ऐसी पार्टी माना जाता है जो हर वक्त चुनावी मोड में रहती है. बीजेपी अपने कैडर को बूथ लेवल पर चुनावों से काफी पहले ही एक्टिव कर देती है, जिसका पार्टी को फायदा भी मिलता है. कर्नाटक के नतीजे देखते हुए महाराष्ट्र में बीजेपी की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. 18 मई से बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का भी दो दिन का महाराष्ट्र दौरा शुरू हुआ है. नड्डा पुणे में करीब 1200 कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे और बाद में सांसद और विधायकों से मुलाकात भी करेंगे. इसे आने वाले चुनावों की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है. 


नड्डा के अलावा डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने बीएमसी चुनावों को लेकर भविष्यवाणी की थी, जिसमें उन्होंने कहा कि अगस्त तक सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ सकता है और अक्टूबर या नवंबर तक बीएमसी चुनाव हो सकते हैं. उन्होंने इस दौरान कहा था कि बीजेपी चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार है. 


कुल मिलाकर कर्नाटक के चुनाव नतीजों ने महाराष्ट्र की सियासत को भी गर्म कर दिया है. तमाम दल अपनी रणनीति तैयार करने में जुट गए हैं और बीजेपी भी नुकसान से बचने की तैयारी कर रही है. फिलहाल महानगरपालिका चुनावों को सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है, यानी इसमें जिसने भी बाजी मारी उसे महाराष्ट्र में होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में बड़ा फायदा मिल सकता है.