मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में क्या कोई बड़ी उठा पटक होने को है. सोमवार देर रात एनसीपी प्रमुख शरद पवार और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की बीच हुई डेढ़ घंटे की मुलाक़ात ने राजनीतिक गलियारों में चर्चा पकड़ ली है. पिछले तीन दिनों में शिवसेना, एनसीपी नेताओं की राज्यपाल से हो रही मुलाक़ातें और दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच हो रही गुप्त बैठकों ने गठबंधन की सरकार पर कांग्रेस के महत्व पर सवाल खड़े किए तो मंगलवार को राहुल गांधी के बयान ने ये साफ़ संकेत दिए हैं कि कांग्रेस की गठबंधन की इस सरकार में बन रहने की ज़्यादा दिलचस्पी नहीं है.


तो क्या कांग्रेस को अलग रखकर शिवसेना-एनसीपी, बीजेपी के साथ सरकार बनाने के तरफ़ बढ़ रहे हैं या बीजेपी के राष्ट्रपति शासन की मांग को लेकर एनसीपी-शिवसेना राज्यपाल से मुलाक़ात कर रहे हैं. अगर ऐसा है तो फिर इन बैठक और मुलाक़ातों में कांग्रेस क्यों नहीं. क्या कांग्रेस ठाकरे सरकार से एक्ज़िट मोड पर है.


एनसीपी प्रमुख शरद पवार मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के मरहूम पिता शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे के बेहद करीबी दोस्त थे. बाल ठाकरे की मृत्यु के बाद शरद पवार मातोश्री नहीं गए थे और अब उनका अचानक मातोश्री पहुंचना कई सवाल खड़े कर रहा है.उसकी वजह है उद्धव ठाकरे से मुलाक़ात से पहले उनका राज्यपाल से मिलना.


शरद पवार ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाक़ात की और उससे पहले पवार ने सोमवार की दोपहर को ही राज्यपाल से भी मुलाक़ात की. सोमवार को ही बीजेपी नेता नारायण राणे ने भी राज्यपाल से मुलाक़ात की तो 23 तारीख़ को पहले शिवसेना नेता संजय राउत ने फिर उसी रात शिवसेना के सचिव और उद्धव ठाकरे के करीबी मिलिंद नार्वेकर ने भी राज्यपाल से मुलाक़ात की.


अब इन सभी मुलाक़ातों में कांग्रेस के नेता कहीं नज़र नहीं आ रहे. इसी लिए चर्चा शुरु हो गई है कि क्या राज्यों में कांग्रेस को बाहर रखकर शिवसेना, एनसीपी और बीजेपी एक साथ सरकार बनने के लिए आगे आ रहे हैं. वहीं कहा ये भी जा रहा है राज्य की ठाकरे सरकार को किसी तरह का कोई ख़तरा नहीं. बीजेपी लगातार राज्य की ठाकरे सरकार को मुश्किल में लाने के लिए ये दबाव बना रही है, राज्य सरकार के लग रहा है कि केंद्र सरकार कोरोना की स्थिती को देखते हुए राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर सकती है और इसी पर चर्चा करने शिवसेना, एनसीपी के नेता राज्यपाल से मिल रहे हैं. तो सवाल ये है कि इन बैठकों से कांग्रेस ग़ायब क्यों है.


इस बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार को लेकर एक बड़ा बयान दे दिया. महाराष्ट्र में कोरोना से बिगड़ते हालात के लिए राहुल गांधी सीधे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को ही ज़िम्मेदार बताया और कहा, ''हम सरकार में शामिल जरुर हैं लेकिन फ़ैसले लेने में हमारी भागीदारी प्रमुख नहीं.''


ये बयान साफ़ करता है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की सरकार में कांग्रेस की भागीदारी ना के बराबर है और कांग्रेस इस गठबंधन की सरकार से खुश नहीं.


इसपर बीजेपी ने तुरंत ही प्रक्रिया भी दी. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने आग में घी डालने का काम किया. देवेंद्र फडनवीस ने कहा, ''राहुल गांधी के बयान आश्चर्यकारक है. ये जिम्मेदारी झटकने वाला बयान है. कोरोना के गंभीर स्थिति में सारा ठीकरा सरकार और सीएम पर फोड़ना चाहते है ये स्पष्ट है.''


कांग्रेस के नेता संजय निरुपम ने तो यहां तक कह दिया कि इससे पहले की कांग्रेस को सरकार से बाहर निकाला जाए कांग्रेस ने खुद सरकार के बाहर आ जाना चाहिए. महाराष्ट्र में कोरोना की स्थिती के लिए कोई ज़िम्मेदार है तो वो मुख्यमंत्री हैं. उनकी गलती का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ा जाएगा और शिवसेना एनसीपी ये दोनों पार्टीयां कुछ भी कर सकती हैं.


मामला तूल पकड़ता देख खुद एनसीपी प्रमुख ने चर्चा पर पूर्ण विराम लगाने की कोशिश की. शरद पवार ने एबीपी न्यूज़ से कहा, ''सरकार के ऊपर कोई खतरा नहीं है. कांग्रेस एनसीपी और शिवसेना एक साथ है. जो अटकलें लगाई जा रही हैं, वह बेबुनियाद हैं. राज्यपाल से मुलाकात शिष्टाचार भेंट थी. तमाम विषयों पर उनसे बातचीत हुई. राज्यपाल ने मुख्यमंत्री की तारीफ़ करते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे अच्छा काम कर रहे हैं.''


उद्धव से मातोश्री से मिलने पर लग रहींअटकलों पर पवार ने कहा कि मातोश्री में मुलाक़ात कोरोना की स्थिति को लेकर हुई. हमने महाराष्ट्र में कोरोना की स्थिति पर बातचीत की.


फिर शिवसेना ने संकट मोचक संजय राउत ने भी कह दिया कि महाराष्ट्र की उद्धव सरकार पांच साल तक चलेगी. संजय राउत ने शरद पवार उद्धव ठाकरे मुलाक़ात पर कहा, ''अगर उद्धव ठाकरे जी से पवार साहब मुलाकात करते हैं तो इसमें वजह की बात क्या है? राज्य चलाने वाले दो प्रमुख नेता अगर आपस में बैठकर अगर राज्य पर चर्चा करते हैं तो मुझे लगता है इसमें किसी को तकलीफ होने जैसी कोई बात नहीं है.''


वहीं संजय राउत ने राष्ट्रपति शासन लगने की खबरों पर बीजेपी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, ''बीजेपी अगर राष्ट्रपति शासन की बात कह रही है तो मैंने ये उनके किसी बड़े नेता के मुंह से नहीं सुना. मैंने देवेंद्र जी, अमित साहब और नितिन गडकरी जी को ये कहते हुए नहीं सुना है, ऐसे में मैं इस पर कैसे विश्वास कर लूं.''


अब राज्य में राष्ट्रप्रति शासन लगेगा या नए फ़ॉर्मूले वाली सरकार बनेगी ये आनेवाले 48 घंटों में स्पष्ट हो जाएगा.


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