'राजनीतिक मजबूरी ऐसी नहीं होनी चाहिए जिससे देश की सीमाओं के लिए खतरा उत्पन्न हो'- एस जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने IIM के छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘राजनीति ऐसी नहीं होनी चाहिए जिससे हमारी सीमाओं के लिए खतरा उत्पन्न हो.’’
S Jaishankar Speech: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार (2 नवंबर) को IIM कोलकाता में छात्रों को संबोधित किया. यहां विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि राजनीतिक मजबूरी ऐसी नहीं होनी चाहिए जिससे देश की सीमाओं के लिए खतरा उत्पन्न हो या देश के व्यापक हितों को नुकसान पहुंचे.
केंद्रीय मंत्री ने कहा, "आर्टिकल-370 के तहत जम्मू कश्मीर के लिए किया गया अस्थायी प्रावधान ‘राजनीति’ की वजह से 70 सालों से अधिक समय तक बना रहा. राष्ट्र हित को सर्वप्रथम रखना सबसे जरूरी है. राजनीति ऐसी न हो कि देश के व्यापक हित को नुकसान पहुंचे. सभी नेताओं का सर्वप्रथम यही रूख होना चाहिए.’’
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘राजनीति ऐसी नहीं होनी चाहिए जिससे हमारी सीमाओं के लिए खतरा उत्पन्न हो.’’ साल 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाने के संबंध में जयशंकर ने कहा, "एक अस्थायी प्रावधान के लंबे समय तक बने रहने के लिए राजनीति के अलावा और क्या कारण था. तथ्य यह है कि हमारे यहां चीजें इतनी अस्त-व्यस्त थीं और दुनिया ने उसका इस्तेमाल किया. इस मुद्दे पर जनमत तैयार करने की जरूरत है क्योंकि यह देश की राजनीति को प्रभावित करता है."
सैन्य तानाशाही को बढ़ावा दिया
पाकिस्तान को दिए जा रहे एफ-16 जैसे एडवांस लड़ाकू विमानों के मुद्दे पर विदेश मंत्री ने कहा, "यदि आप पिछले 75 सालों को देखें, तो ऐसे कदमों ने सैन्य तानाशाही को बढ़ावा देने के अलावा और कुछ नहीं किया है". पाकिस्तान का नाम लिए बिना, उन्होंने पड़ोसी देश से अपनी सीमाओं के बाहर आतंकवाद के समर्थन के नतीजों का 'एनालिसिस' करने को कहा. कई विश्लेषकों के मुताबिक पाकिस्तान के तरफ से सेडो रिलिजन का आतंकवादी समूहों के लिए उपयोग किया. जिस से देश के भीतर भी धार्मिक उग्रवाद का जन्म हुआ है.
भारत विश्व मंच पर अधिक मायने रखता है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में मंत्री के रूप में शामिल होने से पहले कई दशकों तक राजनयिक के रूप में काम करने वाले जयशंकर ने कहा, "भारत पहले की अपेक्षा अब विश्व मंच पर अधिक मायने रखता है. यह एक ऐसा क्षण है जब भारत दुनिया के साथ जुड़ाव की शर्तों को फिर से स्थापित कर रहा है. साथ ही, यह एक ऐसा समय है जब हमें अधिक से अधिक जिम्मेदारियां उठाने के लिए तैयार रहना चाहिए. भारत के पास आज एक लीडरशिप और भविष्य को लेकर अपनी ग्लोबल स्थिति को बढ़ाने के लिए दृढ़ता और कमिटेड है."