लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति में विपक्ष को अचानक भगवान परशुराम याद आ रहे हैं. समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी दोनों ही दावा कर रही हैं कि वो सत्ता में आईं तो परशुराम की एक से बढ़कर एक प्रतिमा लगाएंगी. इस बीच भगवान परशुराम पर जारी राजनीति में बीजेपी और कांग्रेस ने भी एंट्री मार ली है.
एसपी, बीएसपी और कांग्रेस के पास नहीं बचे मुद्दे, बेवजह का विवाद- बीजेपी
बीजेपी ने कहा कि सपा और बसपा इसलिए परशुराम पर राजनीति कर रही हैं क्योंकि दोनों पार्टियां मुद्दा विहीन हो गई हैं. प्रयागराज पहुंचे डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने कहा, ''भगवान परशुराम को लेकर विपक्षी पार्टियां भले ही सियासत कर रही हों, लेकिन हकीकत यह है कि सपा - बसपा और कांग्रेस मुद्दा विहीन हो गई हैं. इनके पास अब कोई मुद्दा नहीं बचा है.''
उन्होंने कहा, ''तीनों पार्टियां इसीलिये बेवजह के विवाद खड़े करती हैं. उनके मुताबिक़ तीनों पार्टियां 2022 का विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ने की तैयारी में हैं, लेकिन साथ लड़ने के बावजूद तीनों पार्टियों को पिछले चुनावों की तरह ही हार का सामना करना पड़ेगा.''
परशुराम जयंती पर दोबारा छुट्टी शुरू हो- कांग्रेस
वहीं कांग्रेस ने भगवान परशुराम की जयंती बंद किए गए अवकाश को दोबारा शुरू करने का वादा किया है. उत्तर प्रदेश कांग्रेस के नेता जतिन प्रसाद ने ट्वीट किया, ''जन-जन की आस्था के प्रतीक भगवान परशुराम जी जयंती पर वर्षो से चला आ रहा राजकीय अवकाश जो अब उ.प्र.में निरस्त है. सरकार उनकी जयंती पर पुनः प्रारम्भ कर ब्रह्म समाज की भावनाओं की कद्र करे.''
बता दें कि सपा सरकार ने परशुराम जयंती पर छुट्टी घोषित की थी लेकिन योगी सरकार ने राज्य में महापुरुषों की जयंती पर होने वाली छुट्टियों को रद्द कर उस दिन उन्हें याद करने के लिए कार्यक्रम करने के निर्देश दिए थे.
कैसे शुरू हुआ परशुराम पर राजनीतिक अखाड़ा
समाजवादी पार्टी की ओर से भगवान परशुराम की मूर्ति लगाने की बात कही गई तो बीएसपी ने और बड़ी मूर्ति का दावा कर दिया. दरअसल, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा था कि उत्तर प्रदेश के हर जिले में भगवान परशुराम की प्रतिमा लगाई जाएगी. इसके बाद बीएसपी की ओर से मायावती ने सामने आकर मूर्ति लगवाने की बात कही.
परशुराम पर राजनीति से अखाड़ा परिषद नाराज
यूपी के सभी विपक्षी दलों में भगवान परशुराम की मूर्ति के बहाने ब्राह्मणों को लुभाने की होड़ मची है. परशुराम के नाम हो रही इस राजनीति से अखाड़ा परिषद खुश नहीं है. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने कहा कि अवतारी महापुरुषों को जातियों में बांटना सही नहीं.
नरेंद्र गिरि ने इसे सनातन धर्म और हिंदू समाज को कमजोर करने की साजिश तक बता दिया और लोगों से इस साजिश से बचने की अपील की. अखाड़ा परिषद की ओर से कहा गया कि इस तरह की कोशिश को रोकने के लिए आने वाले समय में अभियान चलाया जाएगा.
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