नई दिल्ली: दक्षिण भारत की सियासत में सत्ता से फिलहाल दूर दोनों राष्ट्रीय दल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस हर वह सियासी मंच ढूंढ रही है जहां उसे फायदा दिख रहा है. कल जब द्रमुक (डीएमके) अध्यक्ष और पांच बार तमिलमाडु के मुख्यमंत्री रह चुके एम. करुणानिधि ने अपना 95वां जन्मदिन मनाया तो कांग्रेस और बीजेपी के शीर्ष नेता बधाई देने से नहीं चूके. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी ने बधाई के साथ तारीफों के पुल बांधे. मोदी ने कहा, "कलैगनार एम. करुणानिधि को बहुत बधाई..एक सफल लेखक, कवि, विचारक और वक्ता करुणानिधि जी भारत के वरिष्ठतम राजनीतिक नेताओं में से एक हैं. मैं उनकी लंबी आयु और स्वस्थ जीवन की कामना करता हूं." वहीं कांग्रेस अध्यक्ष ने ट्वीट कर कहा, "मैं करुणानिधि जी को जन्मदिन की शुभकामनाएं देता हूं. मैं उनके अच्छे स्वास्थ्य और उनकी खुशी के लिए प्रार्थना करता हूं."


वैसे तो देश की सियासत में जन्मदिन की मुबारकवाद देना कोई नई बात नहीं है. यह राजनीतिक शिष्टाचार का एक अच्छा परिचय भी है. लेकिन जब चुनाव नजदीक हों. सत्ता हासिल करना मकसद हो तो इसके मायने बदलने लगते हैं. तमिलनाडु में डीएमके सात साल से सत्ता से बाहर है. जयललिता के रहते हुए एआईएडीएमके ने डीएमके को लगातार तीन चुनावों में मात दी. इसकी बड़ी वजह कांग्रेस से दो चुनावों में गठबंधन का नहीं होना भी था. 2014 के लोकसभा चुनाव में राज्य की 39 सीटों में डीएमके और कांग्रेस जीरो पर सिमट गई. वहीं बीजेपी ने छोटे-छोटे दलों से गठबंधन करने के बाद एक सीटों पर जीत हासिल की. तमिलनाडु में सत्तारूढ़ एआईएडीएमके ने 37 सीटों पर कब्जा जमाया.


अब राज्य के सियासी समीकरण बदल चुके हैं. लगातार हार को देखते हुए कांग्रेस और डीएमके अभी से गठबंधन के लिए तैयार है. समय-समय पर दोनों दलों के शीर्ष नेताओं की मुलाकात होती रहती है. करुणानिधि के बेटे एमके स्टालिन और बेटी कनिमोझी कई मौकों पर विपक्ष के साथ देखे जा चुके हैं. साफ है कि दोनों दल 2019 लोकसभा चुनाव में साथ आ सकते हैं. कांग्रेस और डीएमके काफी लंबे समय तक केंद्र की सरकार में साथ रही है. मनमोहन सिंह की सरकार में डीएमके के कोटे से ए राजा दूरसंचार मंत्री बने थे.


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वहीं सूबे की कद्दावर नेता जे जयललिता का देहांत हो चुका है. उनकी पार्टी एआईएडीएमके सत्ता में रहने के बावजूद अलग-थलग दिख रही है. वर्चस्व की लड़ाई में तीन धड़ों में बंट चुकी है. ऐसे में मौके की नजाकत को भांपते हुए बीजेपी एआईएडीएमके के साथ जाने से नहीं कतरा रही है. वहीं तमिलनाडु के उप-मुख्यमंत्री और एआईएडीएमके के वरिष्ठ नेता ओ पन्नीरसेल्वम भी कई बार बीजेपी से गठबंधन के संकेत दे चुके हैं. लेकिन पिछले साल के आखिरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एम करुणानिधि के बीच हुई मुलाकात के बाद भी कई सियासी मायने निकाले गये. इसलिए तो कहते हैं सियासत में कौन कब किसके साथ गठबंधन में जाए और किससे दूरी बना ले यह हमेशा अनिश्चितता से भरा होता है.


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