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क्या गुजरात में निशाने पर लगेगा GST में बदलाव का 'सियासी तीर'?

इससे छोटे कारोबारियों, निर्यातकों और उपभोक्ताओं को काफी राहत मिलने की संभावना है. 1.5 करोड़ से नीचे टर्नओवर वाले व्यापारियों को तीन महीने में जीएसटी रिटर्न भरना होगा.

नई दिल्ली: सियासत में मुद्दे भी वक्त के मुताबिक अपनी 'जगह' बदल देते हैं. विरोधियों की मानें तो कभी मोदी जीएसटी के खिलाफ अगुआ थे आज जीएसटी के पक्ष में अगुआ हैं. गाजे बाजे के साथ लागू जीएसटी पर बुधवार को पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बैकफुट पर दिखे. जीएसटी में सुधार या यूं कहें बदलाव के संकेत कंपनी सेक्रेटरीज के उस कार्यक्रम में पीएम ने दे दिये. हालांकि तमाम आंकड़ों की जुबानी विकास की कहानी बताते हुए पीएम ने तमाम उपमाओं को विरोधी हो चुके 'अपनों' पर समेट दिये. विनम्रता के जरिए बदलाव के संकेतों को आज जीएसटी काउंसिल ने धरातल पर ला दिया. जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी के तहत कई तरह की छूटों की घोषणा की. इससे छोटे कारोबारियों, निर्यातकों और उपभोक्ताओं को काफी राहत मिलने की संभावना है. 1.5 करोड़ से नीचे टर्नओवर वाले व्यापारियों को तीन महीने में जीएसटी रिटर्न भरना होगा. छोटे और मझोले व्यापारियों का भी खास ख्याल रखा गया है. 75 लाख सालाना टर्नओवर तक के व्यापारियों को अभी कंपोज़ीशन स्कीम के तहत 1 फीसदी टैक्स देकर रिटर्न दाखिल करने से छूट मिलती है, यह लिमिट एक करोड़ तक बढ़ाई गई है. जीएसटी में अनरजिस्टर्ड डीलर से सामान खरीदने पर व्यापारी को टैक्स का भुगतान खुद करना पड़ता था जिसे रिवर्स चार्ज मेकेनिज़्म कहते हैं. रिवर्स चार्ज मेकेनिज़्म भी 31 मार्च 2018 तक स्थगित कर दिया गया है. एक्सपोर्टर्स को जीएसटी के तहत जो भी रिफंड मिलना है वो उनके ई-वॉलेट में आ जाएगा. (डिटेल खबर यहां पढ़ें) इसके साथ ही आज ही सरकार ने एक और अहम फैसला लिया है. सरकार ने पीएमएलए (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के दायरे से ज्वैलरी सेक्टर को बाहर कर दिया है. सोने की खरीदारी करने वालों और ज्वैलर्स के लिए सरकार ने अच्छी खबर का एलान किया है. अब 2 लाख रुपये से ज्यादा की ज्वैलरी, प्रीशियस स्टोन या जेम्स की खरीदारी कैश में करने पर ही पैन दिखाना जरूरी होगा. पहले 50,000 रुपये तक के जेम्स, ज्वैलरी की खरीदारी करने पर पैन देने का नियम था. इस तरह चालू त्योहारी सीजन में गोल्ड खरीदने वालों के लिए खरीदारी करने का अच्छा मौका होगा.(पूरी खबर यहां पढ़ें) इन दो अहम खबरों का सियासी संबंध जीएसटी लागू होने के बाद से ही पूरे देश में छोटे और मझोले व्यापारी आंदोलनरत थे. सूरत से लेकर महाराष्ट्र तक में इसका व्यापक असर दिख रहा था. व्यापारियों के मुताबिक नोटबंदी से टूटी कमर अब मरणासन्न हो गई थी. नोटबंदी तो सियासी फायदे नुकसान के धरातल पर बीजेपी के लिए फायदा साबित हुआ. लेकिन गहरी सियासी समझ रखने वाले पीएम मोदी को जीएसटी से व्यापारियों का उमड़ रहा गुस्सा साफ दिखने लगा था इसका असर हुआ और बदलाव के संकेत बुधवार से मिलने लगे. सियासी गलियारे में यह चर्चा है कि अमित शाह ने भी जीएसटी से गुजरात चुनाव में नुकसान होने का संदेश दे दिया था. यह सर्वविदित है कि व्यापारी बीजेपी के कोर वोट बैंक रहे हैं. इनका गुस्सा होना गुजरात चुनाव के लिए शुभ संकेत नहीं थे. आपको बता दें कि गुजरात के कपड़ा व्यापारियों ने 2014 में मोदी लाओ देश बचाओ का नारा लगाया था. आज सूरत से लेकर महाराष्ट्र तक कपड़ा व्यापारी बहुत परेशान हैं, इसलिए वो अपना गुस्सा कई तरह से जाहिर कर रहे हैं. छोटे व्यापारी कह रहे हैं कि जो समय कपड़ा बनाने में, व्यापारी को कपड़ा दिखाने में और ऑर्डर लेने में लगाना चाहिए वो समय कंप्यूटर के रिकॉर्ड देखने में और जीएसटी का रिटर्न भरने में जाता है. पहले कपड़ा मार्केट बहुत खुशहाल था. पूरा सूरत खुशहाल था, लेकिन अब त्राहि-त्राहि मची हुई है. कपड़ा मार्केट एकदम से बिखर गया है और लोग यहां से निकलना चाहते हैं. ये धंधा बंद करके लोग दूसरे धंधे में जाना चाहते हैं. यह दर्द व्यापारियों का है जिसका चुनाव पर असर दिखना स्वभाविक था.. बस उसी गुस्से को देखते हुए नये बदलाव को सहूूलियत का रंग दिया गया है. अब बात ज्वैलर्स की.. पिछले साल हड़ताल पर गये ज्वैलर्स ने सोने पर संग्राम मचा दिया था. लाखों कारोबारी सड़क पर थे. विरोध एक्साइज ड्यूटी लगाने को लेकर था. लेकिन असल मसला कुछ और था. आज सोने की खरीदारी करने वालों और ज्वैलर्स के लिए भी सरकार ने राहत देने की कोशिश की है. अपने कोर वोट बैंक को राहत देकर गुजरात समेत पूरे देश में संतुष्ट करने का संकेत बीजेपी नेतृत्व केंद्र सरकार ने दी है. हालांकि वक्त के गर्भ में परिणाम छिपा होता है.
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