नई दिल्ली: विपक्ष की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले एक फरवरी को केंद्रीय बजट पेश किये जाने से जुड़ी उनकी आपत्तियों पर केंद्र से जवाब मांगा है.


सूत्रों ने बताया कि मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने कैबिनेट सचिव पी के सिन्हा को पत्र लिख कर उनसे इस बारे में 10 जनवरी तक जवाब देने को कहा है. आयोग ने कल कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, बसपा और सपा समेत विपक्षी दलों के पत्र को आगे बढ़ाया, जिसमें इन पार्टियों ने आठ मार्च को होने वाले मणिपुर और उत्तर प्रदेश के आखिरी चरण के चुनाव तक बजट पेश किये जाने को स्थगित करने की मांग की है.


सूत्रों के मुताबिक सरकार का रख बिल्कुल स्पष्ट है और नियमों और प्रक्रियाओं के मुताबिक बजट सत्र को समय से पहले आयोजित करने को लेकर कोई वैधानिक समस्या नहीं है. आम तौर पर बजट सत्र का आयोजन फरवरी के तीसरे सप्ताह में किया जाता है.


संसदीय मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने हाल में बजट सत्र की शरआत 31 जनवरी से करने और एक फरवरी को केंद्रीय बजट पेश किये जाने की सिफारिश की थी ताकि एक अप्रैल से नये वित्तीय वर्ष में नये प्रावधानों को अमल में लाया जा सके.


आजाद ने कहा कि चुनावी कानून स्पष्ट तौर पर कहता है कि सत्तारूढ़ दल को चुनाव के दौरान कोई लाभ नहीं मिलना चाहिए और विपक्षी दल और सत्ता पक्ष दोनों समान स्थिति में होने चाहिए.


कांग्रेस नेता आजाद ने कहा कि एक फरवरी को बजट पेश किये जाने से संतुलन भाजपा की तरफ झुक सकता है क्योंकि वह रियायत देकर मतदाताओं को लुभाने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकती है.


वहीं केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने यह कहते हुए इस कदम का बचाव किया कि विपक्षी दल इसको लेकर क्यों भयभीत हैं, जबकि उनका दावा है कि नोटबंदी बहुत ही अलोकप्रिय फैसला है.


बजट सत्र को समय से पहले बुलाये जाने :31 जनवरी से शुरू: के विरोध में 16 राजनीतिक दल पहले ही राष्ट्रपति और चुनाव आयोग को पत्र लिख चुके हैं.