राजधानी दिल्ली में ठंड के दस्तक देने से पहले ही यहां की आबोहवा दूषित होने लगी है. दिवाली में पटाखों से होने वाले प्रदूषण के साथ ही दिल्ली और आस-पास के इलाकों में पराली के जलने से होने वाले प्रदूषण के कारण दिल्लीवासियों के लिए खुली हवा में सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में सितंबर महीने में ही दिल्ली में प्रदूषण के लेवल में बढ़ोतरी होना खतरे की घंटी बजने जैसी है.
दिल्ली में प्रदूषण लेवल में बढ़ोतरी
कोरोना महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन के दौरान देश के कई शहरों में प्रदूषण के लेवल में गिरावट दर्ज की गई थी. दिल्ली जैसे प्रदूषित शहर में भी प्रदूषण के लेवल में भारी गिरावट दर्ज की गई थी. मगर कोविड के बाद कुछ महानगरों की स्थिति फिर वैसी ही गई है जैसे लॉकडाउन के पहले थी. दिल्ली के प्रदूषण लेवल में भी एक बार फिर बढ़ोतरी दर्ज की गई है. विज्ञान एवं पर्यावरण केन्द्र यानी सीएसई ने देश के तमाम शहरों में प्रदूषण की स्थिति को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है.
सीएसई ने जारी की प्रदूषण की रिपोर्ट
सीएसई की रिपोर्ट के मुताबिक देश के महानगरों मे कोरोना महामारी के दौरान लगाए गए लॉकडाउन की वजह से प्रदूषण के लेवल में भारी गिरावट दर्ज की गई थी. मगर, इन प्रतिबंधों के खत्म होने के बाद स्थिति पहले जैसी हो गई. खासकर भारत के कुछ महानगरों की स्थिति फिर वैसी ही हो गई जैसी लॉकडाउन के पहले थी. प्रदूषण के स्तर में सबसे तेजी से बढ़ोतरी देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में दर्ज की गई है. यहां पर कोविड के बाद प्रदूषण के स्तर में 48 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है.
चेन्नई में प्रदूषण के लेवल में गिरावट
बात देश की राजधानी दिल्ली की करें तो दिल्ली में 13 फीसदी तक प्रदूषण बढ़ा है. रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 की तुलना में दिल्ली में साल 2020 में प्रदूषण के स्तर में 13 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी. मगर साल 2021 में फिर से 13 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई. यानी स्थिति पहले के स्तर पर ही पहुंच गई. वहीं, चेन्नई शहर ऐसा रहा, जहां पर कोविड के बाद प्रदूषण के स्तर में गिरावट हुई है. चेन्नई में साल 2019 में पीएम 2.5 का वार्षिक औसत 45 दर्ज किया गया था. जबकि, साल 2020 में यह स्तर 33 पर आ गया.
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