नई दिल्ली: प्रदूषण ने प्रवासी पक्षियों का रास्ता रोक दिया है. ये प्रवासी पक्षी अपने ठिकाने पर नहीं पहुंच पा रहे हैं. रास्ता भटक रहे हैं. अगर हालात नहीं बदले और प्रदूषण में कमी नहीं आई तो इस बार दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में आने वाले विदेशी पक्षियों की संख्या घट सकती है. इस सीजन में दिल्ली और एनसीआर सहित देश के कई बड़े बर्ड सेंचुरी में पहुंचने वाले विदेशी पक्षियों की संख्या में कमी देखी जा रही है.


हर साल हजारों की संख्या में विदेशी पक्षी दिल्ली एनसीआर के पास फैले एक हजार से अधिक नमभूमि वाले क्षेत्र यानि वेटलैंड पर आते हैं. अक्टूबर से लेकर फरवरी माह तक ये विदेशी पक्षी यहां प्रवास करते हैं. लेकिन इस बार संकेत अच्छे नहीं हैं, जबकि दिवाली से पहले इन सैलानी पक्षियों के आने का क्रम अच्छा था. लेकिन दिवाली के बाद जिस तरह से एयर क्वालिटी इंडेक्स ख़राब हुआ इससे मेहमान पक्षियों की संख्या घटी है. दिल्ली एनसीआर में मौजूद बर्ड सेंचुरी में इस बार कई विदेशी नस्लों के पक्षी नहीं पहुंचे है जबकि नबंवर में इनकी आमद हो जाती थी. विदेशी पक्षियों को असोला भाटी पक्षी विहार, ओखला बर्ड सेंचुरी और सूरजपुर बर्ड सेंचुरी व इसके आसपास के क्षेत्रों की नमभूमि बहुत पसंद आती है.


दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण में काफी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. नबंवर के पहले हफ्ते में एक्यूआई यानि एयरक्वालिटी इंडेक्स 300 से अधिक दर्ज किया गया है. 3 नवम्बर को एक्यूआई 1200 के स्तर को भी पार कर गया था. इस दिन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी का औसतन 24 घंटे में एयर क्वालिटी इंडेक्स 494 दर्ज किया गया. यह आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों की हवा जहरीली है और स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है. ऐसे में विदेशी पक्षियों को भी दिल्ली की हवा रास नहीं आ रही है. जल्द ही सुधार नहीं हुआ तो हजारों किलोमीटर का सफर तय कर आने वाले विदेशी पक्षी अपना ठिकाना बदल सकते हैं. जो पक्षी प्रेमियों को निराश कर सकती है.


दुनिया भर से आते हैं पक्षी


वर्ष 2016 में एक लाख से अधिक विदेशी पक्षी दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में मौजूद वेटलैंड्स पर पहुंचे थे. अब तक विदेशी पक्षियों की 27 से अधिक प्रजातियां देखी जा चुकी है. दिल्ली एनसीआर के नमभूमि वाले क्षेत्र विदेशी पक्षियों को हमेशा से लुभाते रहे हैं. मध्य एशिया, यूरोप, ब्राजील, अफ्रीका, मलेशिया, पाकिस्तान और अफगानिस्तान आदि देशों से हर साल हजारों की संख्या में पक्षी आते हैं. प्रदूषण का स्तर बढ़ने से पक्षियों की संख्या में कमी आ रही है.