नई दिल्ली: मौसम विभाग के मुताबिक दिल्ली में प्रदूषण का मामला अभी भी गंभीर बना हुआ है लेकिन दिवाली पर पिछले साल के मुकाबले कम प्रदूषण हुआ. सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों की बिक्री पर बैन लगाया लेकिन लोगों ने पटाखे खूब फोड़े. पिछले साल 31 अक्टूबर को दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स 445 पर था जो इस बार 403 पर रहा. एयर क्वालिटी इंडेक्स 60 से 100 के बीच में सामान्य माना जाता है.


दिल्ली में दिवाली पर प्रदूषण के ताजा आंकड़े आए हैं. नए आंकड़ों के मुताबिक दिवाली की शाम को प्रदूषण बढ़ा है. गुरुवार की शाम 5 बजे से शुक्रवार की शाम 5 बजे तक के दौरान प्रदूषण को मापा गया. नतीजा ये रहा कि दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स 403 आया. ये स्तर बहुत खराब हालात को बताती है. हालांकि पिछले साल के मुकाबले ये थोड़ा कम है लेकिन फिर भी बहुत खराब है.  वहीं 31 अक्टूबर 2016 को गुरुग्राम में एयर क्वालिटी इंडेक्स 298 था, जबकि 20 अक्टूबर 2017 को यह 397 दर्ज किया गया.


दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) केंद्रों के आंकड़ों की मानें तो हर केंद्र पर शाम सात बजे के बाद पीएम 2.5 और पीएम 10 के स्तर में बढ़ोत्तरी देखी गयी और आधी रात के बाद उसका स्तर सुरक्षित से दस गुना अधिक हो गया.


दिल्ली के आरके पुरम निगरानी केंद्र के रात 11 बजे के आंकड़ों के अनुसार पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर 878 और 1179 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था. निगरानी केंद्रों ने आधी रात के बाद काम करना बंद कर दिया. उन्होंने इस बात का संकेत दिया कि प्रदूषण स्तर सभी हदों को पार कर चुके हैं. पटाखों की बिक्री पर रोक के प्रभाव का तत्काल आकलन मुश्किल है लेकिन समूचे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लोगों ने शाम छह बजे तक पिछले वर्षों के मुकाबले कम शोर और धुआं महसूस किया. हालांकि त्यौहार मनाने का सिलसिला तेज होते ही पटाखों का शोर भी बढ़ता गया.


दिवाली के जश्न में गुरुवार को बड़ी तादाद में पटाखे जलाए जाने के बाद राजधानी दिल्ली की हवा अब जहरीली हो गई है. प्रदूषण का स्तर बताने वाला सरकारी ‘‘सिस्टम आफ एयर क्वालिटी फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) का चिन्ह गाढा भूरा हो गया है. यह इस बात का संकेत है कि शहर में वायु की गुणवत्ता गंभीर हो गई है. यह लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित कर सकती है. खास तौर से सांस लेने और हृदय संबंधी बीमारी वालों को यह अधिक प्रभावित करता है.


वहीं दिल्ली से सटे गुरुग्राम, नोएडा और गाजियाबाद में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही रही जहां हर साल की तरह पटाखे जलाए गए. सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंध के ठीक से लागू नहीं होने के बाद प्रशासन की क्षमता पर सवाल खड़े होने लगे हैं.


हालांकि सफर के पूर्वानुमानों पर गौर करें तो राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता पिछले साल जितनी खराब नहीं होगी. पिछले साल दिवाली के बाद प्रदूषण का स्तर पिछले तीन दशक में सर्वाधिक रहा था. सफर ने कहा कि मौसम संबंधी कई अनुकूल स्थितियों के कारण हरियाणा और पंजाब के कृषि क्षेत्र से धुआं राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश नहीं करेगा.