नई दिल्ली: सर्दी की दस्तक के साथ ही दिल्ली वालों को जिस एक बड़े डर ने घर लिया है वो है प्रदूषण का डर. पिछली दो सर्दियों में दिल्ली वालों ने प्रदूषण के कारण जिस भयावह स्थिति का सामना किया है, उसे शायद कोई याद भी ना करना चाहे. इस साल भी सर्दियों की शुरुआत होते ही प्रदूषण ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है. आंकड़ों की बात करें तो दिल्ली में हवा बद से बदतर होती जा रही है. सरकारी महकमे स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं लेकिन हालात जस के तस हैं.


एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी दिल्ली में प्रदूषण के लिहाज से 'बेहद खराब' दिनों की संख्या में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है. साल 2015 में जहां खराब दिन (वे दिन जिनमें वायु गुणवत्ता मानक 200 के पार होता है) 66 थे वहीं ये 2017 में बढ़कर 84 हो गए. एक वक्त था जब भारत के पड़ोसी देश चीन की राजधानी बीजिंग में प्रदूषण के हिसाब के सबसे खराब स्थिति होती थी. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि जिस दौरान भारत में प्रदूषित दिनों की संख्या बढ़ी है, बीजिंग ने इस पर काबू पाया है. बीजिंग में खराब दिनों की संख्या में 2015 से 2017 से बीच 20 दिनों की कमी आई है.


14 प्रदूषित शहर भारत में, प्रदूषण पर रोक से बढ़ सकती है उम्र
डब्लूयएचओ के मुख्यालय जेनेवा से जारी पॉल्यूशन डेटाबेस के मुताबिक दुनिया के 15 प्रदूषित शहर में से 14 भारत में है. इनमें शहरों में राजधानी दिल्ली छठे नंबर है. आपको जानकर हैरानी होगी कि अगर भारत में प्रदूषण तय मानकों के हिसाब से हो तो इससे औसतन उम्र में 1.5 साल तक इजाफा हो सकता है. वहीं अगर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मानकों के हिसाब के प्रदूषण हो तो उम्र में चार साल तक इजाफा हो सकता है.


आस पास के राज्यों में पराली जलाना बड़ा कारण
दिल्ली में प्रदूषण का एक बड़ा कारण हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में पराली (फसल की कटाई के बाद बचा अवशेष) जलाना भी है. एनजीटी ने 2015 में पराली जलाने पर रोक लगा दी थी. 2017-18 में भारत सरकार ने पराली (फसल अवशेष) प्रबंधन के लिए करीब एक हजार करोड़ का बजट भी जारी किया. आपको बता दें कि एक एकड़ धान के उत्पादन से दो से तीन टन पराली निकलती है.


पॉवर प्लांट घोल रहे दिल्ली की हवा में जहर
आईआईटी कानपुर की साल 2016 की एक स्टडी के मुताबिक दिल्ली और दिल्ली के बाहर बने पॉवर प्लांट प्रदूषण के सबसे बड़े कारण हैं. इन पॉवर प्लांट से भारी मात्रा में सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड शहर में आता है जिससे सांस लेने में समस्या होती है. इन प्लांट से निकलने वाला सल्फर डाइऑक्साइड का 98 प्रतिशत हिस्सा और नाइट्रोजन ऑक्साइड का 60 प्रतिशत हिस्सा प्रतिदिन दिल्ली में आता है.


वाहनों से होने वाले प्रदूषण में 25% हिस्सा ट्रकों का
दिल्ली में वाहनों को भी प्रदूषण की बड़ी वजह माना जाता है. दिल्ली में वाहनों से होने वाले प्रदूषण की बात करें तो सबसे ज्यादा प्रदूषण ट्रकों से होता है. वाहनों से होने वाले प्रदूषण में ट्रकों का हिस्सा 25% है, वहीं दोपहिया वाहनों 18% और कारों का हिस्सा 15 प्रतिशत है. दिल्ली में प्रदूषण से निपटने के लिए बड़ी संख्या में सार्वजनिक परिहवन की जरूरत है. दिल्ली में 11,000 सार्वजनिक बसों की जरूरत है