जम्मू कश्मीर की बेटी पूजा बनीं केंद्र शासित प्रदेश की पहली महिला ड्राइवर, जानें उनके बारे में
जम्मू के वेयरहाउस में बने जम्मू कठुआ बस स्टैंड पर शुक्रवार को एक अलग ही चहल-पहल दिखी. यहां करीब 300 बसें हैं जो रोजाना जम्मू से कठुआ जाती हैं. लेकिन, शुक्रवार से यहां इन बसों को चलाने रहे ड्राइवरों के बीच नीली वर्दी पहनकर पूजा देवी भी पहुंची.
जम्मू: जम्मू कश्मीर में हो रहे लगातार बदलाव के बीच प्रदेश से एक अच्छी खबर आई है. जम्मू के दूरदराज इलाके बसोली की एक महिला प्रदेश की पहली महिला बस चालक बनी है और वह अब रोजाना जम्मू से कठुआ तक यात्रियों को लेकर बस दौड़ा रही हैं.
जम्मू के वेयरहाउस में बने जम्मू कठुआ बस स्टैंड पर शुक्रवार को एक अलग ही चहल-पहल दिखी. यहां करीब 300 बसें हैं जो रोजाना जम्मू से कठुआ जाती हैं. लेकिन, शुक्रवार से यहां इन बसों को चलाने रहे ड्राइवरों के बीच नीली वर्दी पहनकर पूजा देवी भी पहुंची. जम्मू के बसोली के सादर गांव की रहने वाली पूजा प्रदेश की पहली महिला बस ड्राइवर बनी है और वह रोजाना अब इसी तरह इन ड्राइवरों के साथ बस स्टैंड पहुंचकर अपनी बस लेकर कठुआ जाती है.
पूजा के मुताबिक उन्हें बचपन से ही बस ट्रक किया हवाई जहाज उड़ाने का शौक था. लेकिन, परिवार की गरीबी के चलते वह ज्यादा पढ़ नहीं पाई और उनका पायलट बनने का सपना अधूरा रह गया जिसके बाद उन्होंने बस चलाने की ठानी और आज कड़ी मशक्कत के बाद उनका यह सपना पूरा हुआ है. पूजा ने कहा कि अपने इस सपने को पूरा करने के लिए वह पिछले कई सालों से काम करते रही. बिना संसाधनों के कई लोगों ने उनकी मदद की और पहले उन्होंने कार फिर ट्राला और फिर बस चलाना सिखा.
उन्होंने कहा कि अपने कुछ दोस्तों की से मिली मदद के बाद उनका हौसला बढ़ गया और फिर अब उन्होंने बस चलाने का लाइसेंस भी हासिल कर लिया है.. उन्होंने कहा कि उनका यह सफर बहुत मुश्किल था क्योंकि एक गरीब परिवार की महिला के लिए यह बहुत मुश्किल था. उन्होंने कहा कि उन पर काफी सारी बंदिशे भी लगी लेकिन अपने परिवार और दोस्तों की बदौलत आज उन्होंने मकान पाया है.
पूजा के मुताबिक उन्हें इस तरह के स्वागत की उम्मीद नहीं थी. पूजा की मानें तो उन्होंने सोचा कि जब वह बस चलाएंगे तो लोग उनकी बस में नहीं बैठेंगे क्योंकि एक महिला होने के नाते लोग उनके बस चलाने की तकनीक पर कई सवाल उठाएंगे. लेकिन, पूजा मानती है कि उन्हें जिस तरह का स्वागत मिला और लोग उन्हें जिस तरह का प्यार दे रहे हैं उन्हें उसकी उम्मीद बिल्कुल ही नहीं थी. बकौल पूजा को ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं थी और वह एक बेहद गरीब परिवार से थी. ऐसे में उनके सामने लोगों के घरों में जाकर झाड़ू पोछा करने का ही रास्ता बचा था. लेकिन, उन्होंने यह सब करने से इनकार किया और मन में यह ठान ली कि वह 1 दिन बस चलाएंगे और अपने परिवार का पालन पोषण करेंगे जिसमें वह अपनी दोस्तों की मदद से कामयाब हो गई है.
वहीं, पूजा के साथ इस रूट पर बस चला रहा है अन्य ड्राइवरों का दावा है कि पूजा के इस कदम से समाज का उनके प्रति नजरिया बदल जाएगा उनके मुताबिक एक महिला का बस चलाना सुनने में अजीब सा लगता है लेकिन यह इस समाज में पुरुष और महिला की बराबरी को दर्शाता है.