नई दिल्लीः महात्मा गांधी के पौत्र गोपालकृष्ण गांधी ने कहा है कि अगर भारत ने अलग आर्थिक नीति अपनाई होती तो देश कोरोना वायरस महामारी से बेहतर तरीके से निपट सकता था. पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गांधी का मानना है कि मौजूदा आर्थिक नीति के कारण बड़े पैमाने पर शहरीकरण हो रहा है और किसान शहरों का रुख करने के लिए बाध्य हैं.
गुजरात विद्यापीठ के 101वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह में हिस्सा लेते हुए गांधी ने भारत की आर्थिक नीति पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता पर बल दिया. उनका कहना है कि वर्तमान आर्थिक नीति से औद्योगिकीकरण और शहरीकरण को बढ़ावा मिला है जिससे बड़ी आबादी इधर से उधर हुई है. साथ ही बड़ी संख्या में किसान शहरों की तरफ जाने के लिए बाध्य हुए हैं.
आर्थिक नीति पर पुनर्विचार करने की जरूरत
सेवानिवृत्त राजनयिक ने कहा, 'क्या शहरों की तरफ आबादी के जाने से महामारी नहीं बढ़ेगी? हमें अपनी आर्थिक नीति पर पुनर्विचार करने की जरूरत है.' गांधी ने कहा, 'अगर हमने अलग नीति अपनाई होती तो हमारे पास ज्यादा संख्या में अस्पताल, नर्सों के लिए हॉस्टल, लैब तकनीशियन होने चाहिए थे न कि सरकारी स्तर पर बड़ी औद्योगिक परियोजनाएं और सामाजिक स्तर पर बड़ी संख्या में मंदिर, मस्जिद होने चाहिए थे.'
महामारी के कारण गरीबों को भुगतना पड़ा
उन्होंने कहा, 'यह महामारी 100 वर्षों के बाद आई है लेकिन कौन जानता है कि हर वर्ष एक नया वायरस आ जाए.' उन्होंने कहा कि गरीब लोगों को उन लोगों के कारण भुगतना पड़ता है जो महामारी के दौरान त्योहार के नाम पर सामाजिक दूरी के नियम, मास्क पहनने और साफ-सफाई आदि की बात भूल जाते हैं. गांधी ने कहा कि किसानों ने हमारे देश की खाद्य सुरक्षा के मुद्दे का समाधान किया लेकिन सरकार की तरफ से अपनाई गई नीतियों के कारण वे शहरों की तरफ जाने के लिए बाध्य हुए.
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