73 साल बाद चीन पूरी दुनिया में आबादी के आंकड़ों में भारत से पिछड़ गया है. संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की रिपोर्ट के मुताबिक भारत की आबादी अब चीन से 29 लाख अधिक हो गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान में भारत की जनसंख्या 142 करोड़ 86 लाख और चीन की जनसंख्या 142 करोड़ 57 लाख है.


रिपोर्ट में हांग-कांग और ताइवान के आंकड़ों को शामिल नहीं किया गया है, जिसे चीन अपना हिस्सा बताता है. संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष ने रिपोर्ट में कहा है कि भारत में आबादी अगर इसी अनुपात में बढ़ती है तो 2050 में आंकड़ा 166 करोड़ के पार चला जाएगा. आने वाले सालों में चीन की जनसंख्या में कमी होने का अनुमान जताया गया है. 


इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में करीब 80 फीसदी आबादी 50 साल से कम उम्र की है. संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की रिपोर्ट आने के बाद भारत दुनिया के सबसे बड़ी जनसंख्या का भूभाग बन गया है. साल 1950 के बाद दुनियाभर के देशों की जनसंख्या का आंकड़ा रिकॉर्ड में रखा जा रहा है. 


भारत और चीन के बाद अमेरिका का नंबर है. अमेरिका की आबादी करीब 34 करोड़ है. इसके बाद इंडोनेशिया, पाकिस्तान और ब्राजील का स्थान है. आबादी के मामले में भारत के शीर्ष पर पहुंचने की रिपोर्ट पर केंद्र ने कोई टिप्पणी नहीं की है. हालांकि, कई राजनेताओं और समाजशास्त्रियों ने इसको लेकर सवाल उठाए हैं. 


संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की रिपोर्ट जारी होने से कई चीजें बदल गई हैं. आइए इस स्टोरी में विस्तार से उन बातों को जानते हैं, जो न कहीं लिखा गया है और न कहीं पढ़ा गया.


आबादी मामले में यूपी दुनिया का छठा बड़ा देश
बात आबादी की हो रही है तो उत्तर प्रदेश की गिनती जनसंख्या के हिसाब से दुनिया के छठे बड़े देश में हो सकती है. वर्ल्डोमीटर के मुताबिक उत्तर प्रदेश की आबादी 23.5 करोड़ है, जो ब्राजील से अधिक है. जनसंख्या के हिसाब से ब्राजील दुनिया का छठा बड़ा देश है. यहां की आबादी करीब 21 करोड़ है.


उत्तर प्रदेश का जनसंख्या घनत्व -829 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है. राज्य का प्रयागराज, गाजियाबाद और मुरादाबाद तीन सबसे अधिक जनसंख्या वाला जिला है. यूपी में पुरूषों की संख्या कुल आबादी का 52 फीसदी है. 


जनसंख्या में महाराष्ट्र दुनिया का 10वां बड़ा देश
महाराष्ट्र की आबादी 2023 में करीब 13.6 करोड़ हो गई है. जनसंख्या के हिसाब से देखा जाए तो दुनिया में महाराष्ट्र 10वां बड़ा देश है. जापान की आबादी महाराष्ट्र से कम है. जापान की जनसंख्या करीब 12.6 करोड़ है.


2011 में महाराष्ट्र की जनसंख्या करीब 11 करोड़ थी. महाराष्ट्र का मुंबई भारत का सबसे अधिक आबादी वाला शहर है. मुंबई की आबादी करीब 1.2 करोड़ की है. 


10 बड़े राज्यों की आबादी 5 करोड़ से अधिक, 263 देश पिछड़े
भारत के 10 बड़े राज्यों की आबादी 5 करोड़ से अधिक है. इनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश प्रमुख हैं. इन सभी राज्यों की आबादी करीब 90 करोड़ है.


दुनिया के 29 देश की आबादी ही 5 करोड़ से अधिक है. यानी भारत के ये 10 बड़े राज्य जनसंख्या के हिसाब से 263 देश से आगे हैं. आयरलैंड, कुवैत, मंगोलिया और यूक्रेन जैसे देशों की आबादी 5 करोड़ से कम है. 


जनसंख्या घनत्व में बांग्लादेश के बाद भारत का स्थान
आबादी के अनुसार दुनिया के 10 बड़े देशों में जनसंख्या घनत्व के मामले में बांग्लादेश का स्थान पहला है. बांगलादेश में प्रति किलोमीटर 1265 लोग रहते हैं, जबकि भारत में 464 लोग.


भारत में राज्य के हिसाब से जनसंख्या घनत्व का आंकड़ा देखा जाए तो पश्चिम बंगाल शीर्ष पर है. बंगाल में प्रति किलोमीटर 1026 लोग रहते हैं. इसके बाद बिहार का स्थान है. यहां पर प्रति किलोमीटर 1024 लोग रहते हैं. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रति किलोमीटर करीब 1130 लोग रहते हैं.


एक दिन में जितना जन्म, 30 देशों की उतनी आबादी नहीं
यूनिसेफ के मुताबिक भारत में प्रजनन दर में कमी के बावजूद प्रतिदिन 68,500 बच्चों का जन्म होता है. यह दुनिया में जन्‍म लेने वाले बच्चों का पांचवा हिस्सा है. यूनिसेफ ने बताया कि प्रत्‍येक मिनट इनमें से एक नवजात शिशु की मौत भी हो जाती है.


भारत में एक दिन में जितने बच्चों का जन्म होता है, उतनी आबादी दुनिया के 30 देशों की नहीं है. बरमुडा, ग्रीनलैंड और मोनाको जैसे देश इस लिस्ट में शामिल हैं. होली सी की आबादी सिर्फ 801 है, जो दुनिया में सबसे कम है. 


चीन-रूस से आबादी में ही नहीं, घनत्व में भी आगे
भारत चीन और रूस से सिर्फ आबादी में ही नहीं, जनसंख्या घनत्व में भी आगे है. भारत चीन से आबादी घनत्व में तीन गुना ज्यादा है, जबकि रूस से 50 गुना अधिक. इसकी मुख्य वजह क्षेत्रफल है.


वर्ल्डोमीटर के मुताबिक चीन में प्रति किलोमीटर 153 लोग रहते हैं. रूस में यह आंकड़ा काफी कम है. रूस में प्रति किलोमीटर सिर्फ 9 लोग वास करते हैं. आबादी के हिसाब से 10 बड़े देशों में रूस का जनसंख्या घनत्व सबसे कम है.


जनसंख्या घनत्व के मामले में पूरी दुनिया में नंबर वन पर सिंगापुर है. सिंगापुर में प्रति किलोमीटर 8,358 लोग रहते हैं. सिंगापुर के मुकाबले जनसंख्या घनत्व में भारत काफी पीछे है.


नवजात मौत के मामलों में कमी आई
भारत में आजादी के वक्त एक लाख में 20 हजार बच्चे पैदा होने के कुछ दिन बाद ही मर जाते थे. इस संख्या में अब काफी कमी आई है. भारत में अब एक लाख में सिर्फ 7 हजार बच्चे पैदा होने के बाद मरते हैं. हालांकि, यूनिसेफ ने इन आंकड़ों पर भी चिंता जताई थी. 


भारत में आजादी के वक्त मातृ मृत्यु दर भी काफी अधिक था. उस वक्त एक लाख बच्चे के जन्म होने के दौरान करीब 1000 मांओं की मृत्यु हो जाती है, जो अब घटकर 97 पर पहुंच गया है.


हैजा-टीबी ने डराया अब कोराना की वैक्सीन मुहैया
भारत में आजादी के बाद जनसंख्या की रफ्तार में जिस तरह बढ़ोतरी हो रही थी, उसी तरह लोग हैजा, प्लेग और टीबी जैसी बीमारियों से मर भी रहे थे. भारत में आजादी के बाद हैजा से करीब 8 लाख लोगों की जान गई थी. टीबी ने भी करीब 4 दशक तक आम लोगों को परेशान किया.


हैजा और टीबी के अलावा पोलियो, प्लेग ने भी लोगों पर खूब कहर बरपाया, लेकिन अब साइंस के क्षेत्र में काफी बदलाव आ गया है. भारत ने कोरोना के दौरान पूरी दुनिया को वैक्सीन मुहैया कराया. 


भारत ने कोवैक्स और वैक्सीन मैत्री प्रोग्राम के तहत दुनिया के 101 देशों को कोरोना वैक्सीन के 25 करोड़ डोज भी सप्लाई किए. भारत की वैक्सीन अमेरिका और रूस की तुलना में काफी सस्ती थी. 


यूएन जनसंख्या कोष की रिपोर्ट में नया क्या है?
1. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की 25 प्रतिशत आबादी 0 से 14 साल के आयु वर्ग की है. 18 प्रतिशत जनसंख्या 10 से 19 वर्ष, 26 प्रतिशत जनसंख्या 10 से 24 वर्ष, 68 प्रतिशत जनसंख्या 15 से 64 वर्ष के आयुवर्ग में और सात प्रतिशत आबादी 64 वर्ष से ऊपर उम्र की है.


2. भारत में जीने की औसत आयु भी चीन के मुकाबले कम है. यहां एक पुरूष औसत 71 साल जीते हैं, जबकि एक महिला 74 साल. चीन में यह आंकड़ा 80 के करीब है. 


3. चीन में करीब 90 करोड़ लोग कामकाजी हैं, जबकि 14 करोड़ लोग पढ़ाई करते हैं. चीन में बुजुर्गों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है. चीन ने 2016 में टू चाइल्ड पॉलिसी को खत्म कर दिया था. 


4. यूएनएफपीए की इस रिपोर्ट पर चीन ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि मैं आपको बताना चाहता हूं कि जनसंख्या लाभांश संख्या पर नहीं, गुणवत्ता पर निर्भर करता है. चीन ने कहा है कि अमेरिका के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन के लिए जनसंख्या महत्वपूर्ण है और प्रतिभा भी महत्वपूर्ण है.


जनसंख्या बढ़ने पर क्या बोले एक्सपर्ट?
यूएनएफपीए के स्टेटिक्स चीफ रशेल स्नो ने कहा है कि भारत में ऐसे युवाओं की बड़ी संख्या है जो नयी पीढ़ी को जन्म देने के आयुवर्ग में प्रवेश कर रहे हैं. यानी आने वाले कई सालों तक भारत में युवा आबादी की तादाद रहने वाली है. सरकार पर निर्भर करता है कि इसका उपयोग कैसे करते हैं.


अब जानिए कैसे बढ़ती गई भारत की आबादी?
भारत की आजादी के बाद पहली बार साल 1951 में जनगणना की गई, उस वक्त देश की कुल आबादी महज 36 करोड़ थी. इसके बाद जनसंख्या तेजी से बढ़ने लगी और आज 2023 में भारत की आबादी 142 करोड़ से ज्यादा हो गई. आज से करीब 72 साल पहले किसी ने भी ये अंदाजा नहीं लगाया था कि भारत की आबादी में 106 करोड़ की बढ़ोतरी हो जाएगी.


भारत में बढ़ती आबादी को लेकर कई बार सरकारों ने चिंता जताई, लेकिन एक बार को छोड़कर कभी प्रयास नहीं किया गया. 1975 के दौरान देश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए नसबंदी अभियान चलाया गया था, जिसकी तीखी आलोचना हुई थी और इसे संविधान के खिलाफ बताया गया था.  


भारत में दो-बाल नीति को आजादी के बाद लगभग तीन दर्जन बार संसद में पेश किया गया है, लेकिन किसी भी सदन से हरी झंडी नहीं मिली. 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसको लेकर जनसंख्या में बढ़ोतरी को लेकर चिंता जताई थी. 


भारत में अनुच्छेद 16 (सार्वजनिक रोजगार के मामलों में समान अवसर) और अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा) जैसे संवैधानिक अधिकारों की वजह से जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू नहीं हो पा रही है.