Laws Regarding Porn in India: पूरे देश में कोलकाता में हुए रेप-मर्डर केस को लेकर गुस्सा है. देश के अन्य राज्यों से भी इसी तरह की दिल दहला देने वाली घटनाएं सामने आ रही हैं. हाल में ही महाराष्ट्र के बदलापुर में तो स्कूल में बच्चियों के साथ यौन शोषण का मामला सामना आया है.
लगातार बढ़ रहे इस तरह के अपराध में कहीं न कहीं पॉर्न का भी रोल रहा है.जिसके बाद से देश में फिर से अश्लील कंटेंट को लेकर सवाल उठ रहे हैं. तो आइये जानते हैं कि अश्लील कंटेंट और सेक्स टॉयज को लेकर देश में कानून कितना सख्त है.
जानें भारत में क्या है कानून
देश में पॉर्न और सेक्स टॉयज़ के नियम-कानून को लेकर कानूनी स्थिति काफी जटिल है. यह कई कानूनों का मिला-जुला स्वरूप है. यह कानून मुख्य रूप से सार्वजनिक तौर पर मॉरल सिक्यूरिटी (नैतिकता की सुरक्षा) और इसके केंद्र में पॉर्न कंटेंट पर कंट्रोल करने के लिए है. भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023, IT अधिनियम 2000, और POCSO एक्ट 2012, भी इसमें लागू होते हैं. भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा 294 और 295 पॉर्न कंटेट को रेग्युलेट करती है. इसमें कोई भी कंटेंट जो यौन उत्तेजना को बढ़ावा देता है और समाज पर गलत प्रभाव डालता है, उसे अश्लील माना जाता है. ऐसी सामग्री को बेचना, किराए पर देना या सार्वजनिक प्रदर्शन करना अपराध माना जाता है. इसमें सजा भी हो सकती है.
IT एक्ट लगता है डिजिटल पॉर्न पर लगाम
डिजिटल प्लेटफार्म में अश्लीलता रोकने के लिए IT अधिनियम 2000 के तहत भी कई कड़े नियम लागू किय गए हैं. धारा 67, 67A, और 67B डिजिटल पॉर्न पर रोक लगाती है. इन मामलों में शामिल लोगों को सजा हो सकती है. उन पर जुर्माना भी लगाया था. देश में चाइल्ड पॉर्न कंटेंट को लेकर कानून बेहद सख्त है.
POCSO अधिनियम
यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा के लिए POCSO अधिनियम 2012 बेहद अहम हैं. इसमें इस अधिनियम की धारा 14 के अंतर्गत बच्चों का यौन शोषण करने वालों को कठोर सजा का सामना करना पड़ता है.
IRWA Act, 1986
महिलाओं की गरिमा की रक्षा के लिए IRWA Act, 1986 लाया गया था. इस कानून में महिलाओं को गलत तरीके से चित्रित करने वालों पर रोक लगाई जाती है. इसके अलावा ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रावधान है.
सेक्स टॉयज पर कानून स्पष्ट नहीं
भारत में सेक्स टॉयज को लेकर कानून स्पष्ट नहीं हैं. इनकी बिक्री या वितरण के लिए कोई अलग से कानून नहीं है.