नई दिल्ली: केदारनाथ धाम के बाद आज सुबह साढ़े चार बजे उत्तराखंड में भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट भी खुल गए. आर्मी के बैंड की धुनों और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ सुबह चार बजकर 30 मिनट पर कपाट खोले गए. भगवान के दर्शन के लिए सुबह तीन बजे से ही भक्तों का तांता लगा हुआ था.


पहले दिन हजारों श्रद्धालुओं ने भगवान विष्णु के दर्शन किए. ये भक्त पिछले दो दिनों से यहां पहुंच रहे थे. हर साल जाड़े की शुरुआत में कपाट बंद हो जाते हैं और फिर गर्मी के मौसम में कपाट खुलते हैं. हर साल अक्टूबर-नवंबर में बंद होने वाले कपाट अप्रैल-मई में खोले जाते हैं.


कपाट खोले जाने की प्रक्रिया बद्रीनाथ मन्दिर के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूरी ने पूरी की. कपाट के खुलते ही पहले से सिंहद्वार के सामने खडे श्रद्वालुओं ने भगवान बद्रीविशाल की अखण्ड ज्योति के दर्शन किए और पहले दिन की पूजा में शिरकत की.

कपाट खुलने के मौके पर मन्दिर सहित पूरे परिसर को गेंदे के पीले फूलों से सजाया गया था. सेना के बैण्डों की मधुर धुन और स्थानीय वाद्य-यंत्र ढोल-दमाऊ की थाप व गीत और भजनों से मन्दिर परिसर का माहौल भक्तिमय बन गया था.

कपाट खुलने के बाद गर्भगृह से भगवान पर लपेटा घी और कम्बल का प्रसाद प्राप्त करने की श्रद्वालुओं में होड़ लगी रही. शर्दियों में भगवान बद्रीनाथ को माणा गांव की कुंआरी कन्याएं ऊन से बुने कपड़े और घी के साथ लपेटती हैं. जो कपाट खुलने के बाद प्रसाद के रूप में श्रद्वालुओं में बांटा जाता है.

बद्रीनाथ के कपाट खुलने के साथ ही इस वर्ष की चारधाम यात्रा पूरी तरह से शुरू हो गयी है. केदारनाथ धाम के कपाट कल खोले गये थे जबकि गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट 18 अप्रैल को अक्षय तृतीया के पर्व पर खोले गये थे. यात्रा शुरू होते ही बद्रीनाथ में अधिकतर दुकानें और होटल आदि खुल गए हैं. यात्रियों को खानपान में असुविधा न हो, इसके लिए बद्रीनाथ मन्दिर समिति तथा कई अन्य संगठनों की ओर से भण्डारे लगाये गए थे.