नई दिल्ली: आज उत्तराखंड में बाबा केदारनाथ धाम के कपाट खुल गए. श्री श्री भीमाशंकरलिंग जी महाराज ने पुजारियों के साथ विशेष पूजा अर्चना के बाद कपाट खुलवाया. इस मौके पर राज्यपाल केके पॉल ने भी की शिरकत. महाभारत काल में बने केदारनाथ धाम के पहले दर्शन के लिए श्रद्धालु उमड़े. श्रद्धालुओं का मानना है कि पहले दिन के दर्शन का खास महत्व होता है. केदारनाथ धाम के कपाट खुलने से पहले श्रद्धालु गाजे-बाजे के साथ बाबा की सुंदर झांकी लेकर पहुंचे. केदारनाथ धाम समुद्रतल से करीब तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर है.


कपाट खुलवाने वाले श्री श्री भीमाशंकरलिंग जी महाराज ने बताया केदारनाथ के महत्व.12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ को पांचवे ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना जाता है जिसके कपाट छह महीने बंद रहते हैं और छह महीने के लिए खोले जाते हैं. छह महीने तक बाबा केदारनाथ समाधि में रहते हैं.


इस बार खास बात ये है कि बाबा केदारनाथ की यात्रा को यादगार बनाने के लिए सात दिन तक लेजर शो का आयोजन किया गया है. इस लेजर शो में बाबा केदारनाथ की स्थापना से लेकर यहां के प्रसिद्ध धामों, आपदा से पहले और बाद के कार्यों को तीर्थयात्रियों को बताया जाएगा. हांगकांग में तैयार इस लेजर शो को गुजरात का अक्षर ग्रुप आयोजित कर रहा है.


क्या है केदारनाथ धाम का महत्व?
केदारनाथ को 12 ज्योतिर्लिंगों में पांचवें ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना जाता है. केदारनाथ में स्थित शिवलिंग स्वयंभू हैं. केदारनाथ का निर्माण महाभारत काल में माना जाता है. 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने जीर्णोद्धार कराया था.


केदारनाथ धाम समुद्र तल से 3 हजार 581 मीटर उंचाई पर है. मंदिर के बाहर भगवान शिव का वाहन नंदी विराजमान है. केदारनाथ धाम अक्टूबर-नबंवर में बंद होकर अप्रैल-मई में खुलता है.