नई दिल्ली: देश में नोटबंदी के प्रभाव को लेकर भले ही आशंकाएं जतायी जा रही हों लेकिन कुछ क्षेत्रों में इसका कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ा है. कम से कम सरकार के आंकड़े तो यही दावा कर रहे हैं. इन्हीं में से एक दावा नोटबंदी के बाद देश में दूध के उत्पादन और खेती के लिए बीज की बिक्री को लेकर है. आशंकाओं के विपरीत कृषि मंत्रालय ने दावा किया है कि नोटबंदी के बाद देश में दूध की बिक्री बढ़ी है.
मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक़ 8 नवंबर को घोषित नोटबंदी के पहले जहां अमूल के दूध की बिक्री रोज़ाना औसतन 64.5 करोड़ रूपये थी वहीं उसके बाद 26 दिसंबर तक इसमें तक़रीबन 15 फीसदी का इज़ाफ़ा हुआ और ये बढ़कर रोज़ाना 74 करोड़ रूपये हो गई.
वहीं मदर डेयरी के दूध की बिक्री में भी मामूली बढ़ोत्तरी ही दर्ज़ की गई है. नोटबंदी के पहले जहां प्रतिदिन 28.06 लाख लीटर दूध की बिक्री होती थी वहीं उसके बाद औसतन 29.61 लाख लीटर की औसतन बिक्री हो रही है.
दिल्ली दुग्ध योजना ( DMS ) की बिक्री भी 2.70 लाख लीटर रोज़ाना से बढ़कर 2.76 लाख लीटर हो गई है हालांकि बिक्री में हुए इस इज़ाफ़े की कोई वजह सरकार बताने में असमर्थ है. कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने एबीपी न्यूज़ से बस इतना कहा कि इससे साबित होता है कि नोटबंदी के प्रभाव को लेकर सारी आशंकाएं निर्मूल साबित हुई हैं .
मंत्रालय का ये भी दावा है कि रबी फ़सलों के बीज की बिक्री पर भी नोटबंदी का कोई ख़ास असर नहीं पड़ा है. मंत्रालय का कहना है कि कुछ राज्यों को छोड़कर ज्यादातर राज्यों में बीज की बिक्री पिछले साल के मुक़ाबले या तो बढ़ी है या फिर लगभग बराबर है. मसलन मध्य प्रदेश , महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में जहां बीज की बिक्री बढ़ी है वहीं तेलंगाना और उत्तराखंड में इसमें गिरावट आई है.
वहीं राष्ट्रीय बीज निगम के आंकड़ों के मुताबिक़ 2015 के ख़रीफ़ सीजन में जहां 5.51 लाख क्विंटल बीज की बिक्री हुई थी वहीं इस साल केवल 5.20 लाख क्विंटल की बिक्री दर्ज़ की गई है. हालांकि बीज की बिक्री में आई इस कमी से रबी फ़सलों ख़ासकर गेहूं के उत्पादन पर कोई फ़र्क पड़ेगा या नहीं इसपर अभी कृषि मंत्रालय कुछ नहीं कहना चाहता है. आशावान कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह इसके जवाब में केवल इस तथ्य का हवाला दे रहे हैं जिसमें पिछले साल के मुक़ाबले इस वर्ष प्रति हेक्टेयर रबी फ़सलों की बुआई अबतक ज्यादा दर्ज की गई है.