जम्मू-कश्मीर में 70 दिनों के बाद बजीं मोबाइल की घंटियां, 40 लाख पोस्टपेड सेवा बहाल
केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 हटाने का एलान किया था. तभी से मोबाइल फोन घाटी में पूरी तरह से बंद है. अब प्रशासन ने पोस्टपेड मोबाइल सेवा बहाल कर दिया है.
श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने की घोषणा किए 70 दिनों बाद आज सूबे में मोबाइल फोन की घंटियां बजीं. जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने आम लोगों के लिए बड़ी ढील देते हुए सूबे में प्रतिबंध पोस्टपेड मोबाइल सेवा शुरू कर दिया है. हालांकि, 20 लाख से अधिक प्रीपेड मोबाइल फोन और अन्य इंटरनेट सेवाएं फिलहाल बंद रहेंगी.
केंद्र सरकार ने इसी साल पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म करने का एलान किया था. इसी के साथ जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने का एलान किया था. जिसके बाद से ही घाटी में पाबंदियां जारी है. स्थिति को सामान्य करने के लिए चरणबद्ध तरीके से कदम उठाए जा रहे हैं.
रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर में पाबंदियों का जिक्र महाराष्ट्र की एक रैली में किया. उन्होंने कहा कि 40 साल से स्थिति असामान्य थी, अब स्थिति सामान्य होने में चार महीने भी नहीं लगेंगे.
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने 10 अक्टूबर को ही पर्यटकों के लिए जारी सुरक्षा परामर्श वापस लिया था. प्रशासन ने कहा था कि जो पर्यटक इस क्षेत्र में घूमने के इच्छुक हैं, उनको परिवहन समेत ज़रूरी सहायता मुहैया कराई जाएंगी. शैक्षिक संस्थान भी खोल दिए गए हैं लेकिन छात्रों की उपस्थिति न के बराबर है. आंशिक रूप से 17 अगस्त को लैंडलाइन सेवाएं बहाल की गईं थीं और चार सितम्बर को इसे पूरी तरह बहाल कर दिया गया था.
जम्मू में संचार सेवाएं पांच अगस्त को प्रतिबंध के कुछ दिनों के भीतर ही बहाल कर दी गई थी और मोबाइल इंटरनेट अगस्त के मध्य में चालू किया गया था लेकिन इसके दुरुपयोग के बाद मोबाइल फोनों पर इंटरनेट सेवा 18 अगस्त को बंद कर दी गई थी.
जम्मू कश्मीर के प्रधान सचिव और प्रवक्ता रोहित कंसल ने बताया कि 16 अगस्त के बाद से पाबंदियों में धीरे-धीरे ढील दी गई और सितंबर के पहले सप्ताह तक ज्यादातर पाबंदियां हटा ली गईं. उन्होंने कहा, ‘‘8 से 10 पुलिस थानों को छोड़कर आवाजाही पर पाबंदियां पूरी तरह हटा ली गई हैं.’’ उन्होंने बताया कि आतंकवादियों को शांति भंग करने और हिंसा भड़काने से रोकने के लिए मोबाइल सेवाएं बंद की गई थीं.