Maharashtra Politics: ठाणे से लेकर रायगढ़ तक... एकनाथ शिंदे के समर्थन में लगे पोस्टर, सीएम उद्धव की तस्वीर गायब
गुवाहाटी होटल में एकनाथ शिंदे के साथ मौजूद शिवसेना के बागी विधायक संजय शिरसाट ने कांग्रेस और NCP के ऊपर शिवसेना को खत्म करने की कोशिश का आरोप लगाया.
Maharashtra Political Crisis: शिवसेना विधायकों के बागी तेवर के बाद महाराष्ट्र में महाविकास अघाडी सरकार अब लगभग खत्म होने की कगार पर है. गुवाहाटी में एकनाथ शिंद के साथ शिववसेना के 37 और निर्दलीय 9 और प्रहार जनशक्ति पार्टी के 2 विधायक होटल में ठहरे हैं. इस हिसाब से देखें तो इस वक्त 48 विधायक एकनाथ शिंदे के समर्थन में हैं. जबकि आठ और विधायक मुंबई से निकल चुके हैं. इनमें से तीन शिवसेना के विधायक और 5 निर्दलयी है. ऐसे में दो तिहाई शिवसेना का संख्याबल इस वक्त एकनाथ शिंदे के साथ है.
राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मौजूदा राजनीतिक संकट को लेकर आज एक बार फिर से बैठक बुलाई है. इस बीच ठाणे और रायगढ़ में कई जगहों पर एकनाथ शिंदे के समर्थन में पोस्टर लग रहे हैं. इन पोस्टर्स से उद्धव ठाकरे के तस्वीर गायब है. ठाणे और रायगढ़ के कार्यकर्ता भी शिंदे के पक्ष में बताए जा रहे हैं.
पोस्टर से उद्धव की तस्वीर गायब
अमूमन ऐसे देखा जाता है कि ठाकरे परिवार से बग़ावत करने वालों के ख़िलाफ़ शिवसेना कार्यकर्ता हो जाते है. ठाकरे परिवार विरोधी या शिवसेना विरोधी पोस्टर बैनर फाड़ दिए जाते है. लेकिन, ठाणे और रायगढ़ के अलग अलग इलाक़ों में लग रहे पोस्टर अलग कहानी बयां कर रहे है. यहां पर शिवसेना कार्यकर्ता भी एकनाथ शिंदे के पक्ष में नज़र आ रहे है और समर्थन वाले पोस्टर लगा रहे है. इन पोस्टर पर उद्धव ठाकरे की तस्वीर ग़ायब है. स्व. बालासाहेब ठाकरे और स्व. आनंद दिघे की तस्वीर के साथ एकनाथ शिंदे नज़र आ रहे है.
बागी विधायक बोले- शिवसेना को खत्म करने हो रही कोशिश
इधर, गुवाहाटी होटल में एकनाथ शिंदे के साथ मौजूद शिवसेना के बागी विधायक संजय शिरसाट ने कांग्रेस और एनसीपी के ऊपर शिवसेना को खत्म करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा- पहले कई बार विधायकों ने उद्धव जी से कहा था कि कांग्रेस हो या NCP, दोनों ही शिवसेना को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं. कई बार विधायकों ने उद्धव जी से मिलने के लिए समय मांगा लेकिन वे उनसे कभी नहीं मिले.
उन्होंने आगे कहा कि यदि आप शिवसेना के किसी विधायक के निर्वाचन क्षेत्र को देखें तो तहसीलदार से लेकर राजस्व अधिकारी तक कोई भी अधिकारी विधायक के परामर्श से नियुक्त नहीं किया जाता है. यह बात हमने उद्धव जी को कई बार बताई लेकिन उन्होंने कभी इसका जवाब नहीं दिया.