RK Singh On Power Crisis: देश में बिजली संकट की खबरों को केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने बताया अफवाह, कहा- किसी हिस्से में ऐसी स्थिति नहीं
RK Singh On Power Crisis: केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा कि कोयले की कमी के चलते बिजली संकट को लेकर जो खबरें फैलाई जा रही हैं वे पूरी तरह से अफवाह हैं.
RK Singh On Power Crisis: केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने रविवार को कहा कि देश में किसी तरह का बिजली संकट नहीं होने वाला, सिर्फ लोगों को गुमराह कर और अफवाह फैलाकर हड़कंप फैलाने की कोशिश की गई है. उन्होंने साफ कहा कि देश के किसी राज्य में कोयले की कोई किल्लत नहीं है जिसके चलते बिजली आपूर्ति बाधित हो.
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने कहा की दिल्ली की बात की जाए तो दिल्ली में गेल यानी गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया की तरफ से बिजली सप्लाई करने वाली कंपनियों को एक चिट्ठी भेजकर कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू ना होने के चलते गैस सप्लाई बाधित होने की कही गई और उसके बाद बिजली कंपनियों ने उपभोक्ताओं को मैसेज भेज दिया जिसके चलते हड़कंप मच गया. जबकि हकीकत में दिल्ली में भी किसी भी सूरत में बिजली संकट की स्थिति नहीं है क्योंकि सिर्फ एक जगह से ही कोयला या गैस नहीं आती बल्कि अलग-अलग जगहों से आती है और ऐसे में बिजली संकट को लेकर चल रही सारी खबरें और बयान पूरी तरह गुमराह करने वाले हैं.
आरके सिंह ने कहा कि देश के मौजूदा कथित तौर पर बिजली संकट को लेकर अधिकारियों के साथ एक बैठक की. बैठक के बाद केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने दावा किया कि कोयले की कमी की वजह से बिजली संकट को लेकर जो खबरें फैलाई जा रही हैं वह पूरी तरह से अफवाह हैं और देश के किसी हिस्से में किसी तरह का बिजली संकट नहीं उत्पन्न होने वाला. उन्होंने कहा कि आज की तारीख में देश में बिजली बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले कोयले का 4 दिन से ज़्यादा का स्टॉक मौजूद है. उदाहरण के तौर पर कल यानी 9 अक्टूबर को 1.75 मिलियन टन कोयले की ज़रूरत थी जबकी उससे ज़्यादा का स्टॉक उपलब्ध रहा.
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री के मुताबिक कुछ महीनों पहले तक स्टॉप 17 दिनों का था लेकिन मॉनसून के मौसम की वजह से कोयला खदानों में पानी भर गया और ट्रेनों की आवाजाही में दिक्कत हुई जिसकी वजह से स्टॉक में कमी आई. लेकिन अब हालात सामान्य हो रहे हैं और जल्द ही स्थिति पहले जैसी होगी.
आरके सिंह ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा प्रधानमंत्री को दिल्ली में बिजली संकट का जिक्र करते हुए लिखी गई चिट्ठी पर पलटवार करते हुए कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिख रहे हैं जबकि ऊर्जा मंत्रालय से उन्होंने बातचीत तक करना उचित नहीं समझा. उन्होंने कहा कि कल शाम दिल्ली के उपराज्यपाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की प्रधानमंत्री को लिखी गई चिट्ठी के बारे में जानकारी दी. जिसके बाद आज की बैठक में दिल्ली की बिजली वितरण कंपनी से जुड़े अधिकारियों को भी बुलाया गया. ऊर्जा मंत्रालय को जानकारी मिली कि दिल्ली में हड़कंप इस वजह से मचा क्योंकि गेल यानी गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड की तरफ से दिल्ली की बिजली वितरण कंपनियों को जानकारी दी गई कि उनका गैस सप्लाई का कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो रहा है लिहाजा उसके चलते गैस सप्लाई बाधित होगी. गेल से जानकारी मिलने के बाद दिल्ली की बिजली वितरण कंपनियों ने उपभोक्ताओं को मैसेज भेज कर हड़कंप मचा दिया. जबकि हकीकत ये है कि दिल्ली को जितनी ज़रूरत है उतनी बिजली मिल रही है और आगे भी मिलती रहेगी.
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने कहा कि सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि देश के सभी पावर स्टेशन को ज़रूरत के हिसाब से गैस और कोयला मिलता रहेगा और कहीं बिजली संकट के हालात नहीं बन रहे. केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने विपक्षी पार्टियों के नेताओं द्वारा बिजली संकट को लेकर उठाई जा रही है आशंकाओं पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान तो देश के एक बड़े हिस्से में बिजली पहुंची तक नहीं थी हमारी सरकार के दौरान तो देश भर में बिजली पहुंचा दी गयी. इतना ही नहीं पहले के मुकाबले बिजली में कटौती भी बेहद कम है यानी हालात बेहतर हुए हैं फिर भी विपक्षी पार्टी जनता को गुमराह कर रहे हैं.
आरके सिंह के मुताबिक पिछले कुछ सालों के दौरान देश ने विदेश से आयात होने वाले कोयले की मात्रा में भारी गिरावट दर्ज की है. यानी पहले के मुकाबले अब देश में बहुत कम ही मात्रा में कोयला विदेशों से आयात हो रहा है. दूसरा पिछले कुछ सालों के दौरान देश में करीब तीन करोड़ नए बिजली उपभोक्ता भी बढ़े हैं. इस सब के बावजूद देश में बिजली उत्पादन और वितरण की स्थिति में तेजी से सुधार हुआ है.
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने साफ तौर पर कहा कि भारत की कोशिश गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों को विकसित करने की रही है और हम उस तरफ से आगे बढ़ रहे हैं. लेकिन आज की तारीख में सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के देशों की पारंपरिक स्रोतों पर निर्भरता काफी ज्यादा है और इस निर्भरता को कम करने की तरफ से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं.