भारत का मिसाइल वैज्ञानिक, पाकिस्तान की 'खूबसूरत' एजेंट
प्रदीप कुरुलकर को महाराष्ट्र एटीएएस ने पाकिस्तान स्थित खुफिया ऑपरेटरों को जानकारी शेयर करने के आरोप में 3 मई को गिरफ्तार किया था. डीआरडीओ के वैज्ञानिक को हनी ट्रैप में फंसाया गया है.
डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर को महाराष्ट्र एंटी टेररिज्म स्क्वायड (एटीएस) ने हनी ट्रैप के एक संदिग्ध मामले में कथित जासूसी और पाकिस्तान की खुफिया ऑपरेटरों के साथ सपंर्क के आरोप में 3 मई को गिरफ्तार किया था.
59 साल के कुरुलकर डीआरडीओ के अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (इंजीनियर्स) और आर एंड डीई विंग के निदेशक थे, जो रणनीतिक रूप से संवेदनशील कई परियोजनाओं को संभाल रहे थे. कुरुलकर कई बड़े प्रोजेक्ट का हिस्सा रह चुके हैं, वो ग्राउंड सिस्टम और भारत के शस्त्रागार में लगभग सभी मिसाइलों की लॉन्चिंग में लॉन्चर के तौर पर शामिल रह चुके हैं.
कुरुलकर नवंबर में वैज्ञानिक 'एच' के पद के साथ सेवानिवृत्त होने वाले थे, वैज्ञानिक एच का पद डीआरडीओ में दूसरा सर्वोच्च रैंक है. इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक उनके सहयोगियों का कहना है कि जब उनका इंटरनल ट्रांसफर किया गया तब ही हमें लगा था कि कुछ गड़बड़ है.
सहयोगियों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया 'उनकी गिरफ्तारी से कुछ दिन पहले हमें आभास हुआ था कि कुछ चल रहा है. अचानक से उनका इंटरनल ट्रांसफर हुआ और कुछ दिन बाद अरेस्ट कर लिए गए.'
करुलकर के सहयोगियों का कहना था कि उनकी गिरफ्तारी हैरान करने वाली थी. वह डीआरडीओ में न केवल अपने पदों के कारण बल्कि उन परियोजनाओं के कारण भी एक महत्वपूर्ण व्यक्ति रहे हैं, जिन पर उन्होंने काम किया था.
सहयोगियों ने कुरुलकर को एक प्रभावी टास्कमास्टर बताते हुए कहा "वो ऐसे व्यक्ति थे जो जानता है कि काम कैसे किया जाता है". उन्होंने कहा, 'डीआरडीओ परियोजनाओं में अक्सर कई टीमें होती हैं और दृष्टिकोण में हमेशा अंतर होता है. कुरुलकर इन संघर्षों को हल करने और परियोजनाओं को तार्किक अंत तक ले जाने में अच्छे थे.
2000 के दशक के मध्य में डीआरडीओ ने भारत में रक्षा अनुसंधान के भविष्य पर विचार करने के लिए जी-फास्ट, ग्रुप ऑफ फोरकास्टिंग सिस्टम एंड टेक्नोलॉजीज नामक एक विशिष्ट थिंकटैंक का गठन किया था.
कुरुलकर उन 10-12 व्यक्तियों में से एक थे, जिन्हें डीआरडीओ के लगभग 6,000 वैज्ञानिकों के समूह में से इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने के लिए चुना गया था. वह डीआरडीओ के शीर्ष प्रबंधन समूह का भी हिस्सा थे.
उनके सहयोगियों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि कुरुलकर उन टीमों के एक प्रमुख सदस्य थे, जिन्होंने एंटी सैटेलाइट मिसाइल टेस्ट- मिशन शक्ति और न्युक्लियर कैपेबल सीरीज अग्नि जैसी कई रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर काम किया था. उनका सबसे बड़ा योगदान आकाश से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एसएएम) के सफल विकास में था.
डीआरडीओ की वेबसाइट से हटाई गई कुरुलकर की प्रोफाइल
डीआरडीओ की वेबसाइट पर कुरुलकर की प्रोफाइल देखने से पता चलता है कि उन्होंने कई मिसाइल प्रणालियों पर काम किया है. उसमें मध्यम दूरी की एसएएम, निर्भय सबसोनिक क्रूज मिसाइल सिस्टम, प्रहार, त्वरित प्रतिक्रिया एसएएम और अतिरिक्त लंबी दूरी की एसएएम शामिल है. उनकी गिरफ्तारी के बाद डीआरडीओ ने अपनी वेबसाइट से उनकी प्रोफाइल हटा दी है.
कहानियां सुनाने का रखते हैं शौक
कुरुलकर के सहयोगी उन्हें ऐसे व्यक्ति के रूप में बताते हैं जो "कहानियां सुनाना" पसंद करते थे और एक अच्छे वक्ता थे. सहयोगी ने इंडियन एकस्प्रेस को बताया, 'वह अतीत में किए गए सभी कार्यों के बारे में बात करना पसंद करते थे, कैसे उन्होंने (पूर्व राष्ट्रपति और तत्कालीन डीआरडीओ प्रमुख) डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के साथ मिलकर काम किया था.
डीआरडीओ के एक अन्य वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा, 'कुरुलकर को बातूनी होने के लिए जाना जाता था. वह एक भावुक वक्ता थे और अलग-अलग प्लेटफार्मों पर डीआरडीओ की उपलब्धियों के बारे में बात करने में गर्व महसूस करते थे. वह स्वदेशी विकास (रक्षा प्रणालियों के) और आयात निर्भरता को कम करने के विषय पर भी बहुत भावुक थे.
डीआरडीओ के दो अधिकारियों ने गिरफ्तारी पर संदेह जाहिर करते हुए कहा कि कुरुलकर ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण और गोपनीय जानकारी पाकिस्तान स्थित खुफिया ऑपरेटरों के साथ साझा की होगी.
अधिकारियों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि जिस तरह की उनकी प्रोफाइल थी उसको ध्यान में रखते हुए अगर उन्होंने सोशल मीडिया जरिए से किसी के साथ संवाद किया और जानकारी साझा की, तो यह एक ध्यान देने वाली बात है और इसकी पूरी तरह से जांच की जानी चाहिए. लेकिन मुझे इस आरोप पर गंभीर संदेह है कि उन्होंने गोपनीय जानकारी साझा की है.
उनके करीबी के मुताबिक उनका जन्म 1963 में पुणे के एक परिवार में हुआ था, उनके परिवार की "मजबूत शैक्षिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि" रही है.
कुरुलकर के एक दोस्त ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "उन्होंने 1985 में प्रतिष्ठित सीओईपी (कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग पुणे) से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री ली. अपने चाचा के नक्शेकदम पर चलते हुए डीआरडीओ में शामिल होने से पहले उन्होंने पुणे में एक निजी फर्म के साथ काम किया. उनकी पहली नियुक्ति चेन्नई में हुई थी.
संगीत के शौकीन
कुरुलकर के एक बेहद ही करीबी दोस्त ने एक्सप्रेस को बताया " उन्हें अपने दादा और पिता की संगीत प्रतिभा विरासत में मिली है. "वह सैक्सोफोन, तबला, मृदंगम, बांसुरी और हारमोनियम को बड़ी ही खूबसूरती से बजाते हैं. वह अपनी पत्नी, जो एक डेंटिस्ट हैं, और बेटा, एक रोबोटिक्स इंजीनियर के साथ अक्सर संगीत बजाते हुए समय बिताते हैं.
कुरुलकर पर क्या आरोप लगे?
कुरुलकर पर आरोप है कि वह पाकिस्तान के लिए जासूसी कर रहे थे. साथ ही पाकिस्तान ऑपरेटिव्स से संपर्क में थे. एटीएस ने कोर्ट को बताया कि डीआरडीओ गेस्ट हाउस के रिकॉर्ड अभी तक उपलब्ध नहीं हुए हैं. रिकॉर्ड मिलने पर अभियुक्तों की मौजूदगी में जांच की जाएगी.
अदालत ने वरिष्ठ वैज्ञानिक कुरुलकर की हिरासत सात दिन के लिए बढ़ाकर 15 मई तक कर दी. एटीएस ने कोर्ट में कहा कि बरामद किए गए एक मोबाइल हैंडसेट की जांच से पता चला है कि एक भारतीय नंबर से पाकिस्तानी खुफिया ऑपरेटिव ने कुरुलकर को एक संदेश दिया था. इसमें उसने कुरुलकर से पूछा गया है कि आपने मुझे ब्लॉक क्यों किया?
एटीएस ने कोर्ट को बताया कि आरोपियों से जब्त इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मंगलवार को मिली फॉरेंसिक रिपोर्ट की जांच की जरूरत है. मामले में जांच अधिकारी इंस्पेक्टर सुजाता तनावाडे ने कोर्ट को बताया कि एटीएस को गूगल से एक रिपोर्ट मिली थी. इसके मुताबिक जांच शामिल एक जीमेल एड्रेस पाकिस्तानी यूजर का है.
एटीएस अधिकारियों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि कुरुलकर कथित तौर पर पाकिस्तान स्थित खुफिया ऑपरेटरों के संपर्क में आए थे और उन्हें संदेह है कि उसे सोशल मीडिया और फोन मैसेंजर प्लेटफॉर्म पर एक महिला की प्रोफाइल का इस्तेमाल करके हनीट्रैप में फंसाया गया था.
उन्होंने कहा कि वह पिछले साल सितंबर-अक्टूबर से वॉयस मैसेज और वीडियो कॉल के जरिए पाकिस्तान के साथ कथित रूप से संपर्क में थे और कथित तौर पर उनके साथ संवेदनशील जानकारी शेयर करते थे.
हनी ट्रैप में कैसे फंस गए कुरुलकर?
एटीएस को कुरुलकर और पाकिस्तानी जासूस के काफी वॉट्सऐप मैसेज मिले हैं. एक मैसेज में उन्होंने पाकिस्तानी जासूस को बताया कि वह रूस से लंदन आने वाले हैं. एटीएस की छानबीन में पता चला कि वह रूस या लंदन दोनों जगह ही नहीं गए थे.
जांच में पता चला कि हनी ट्रैप में कुरुलकर को फांसने वाली महिला ने पहला वॉट्सऐप मैसेज जरा दास गुप्ता के नाम से किया था. उसने लिखा कि ‘लंदन की यह खूबसूरत भारतीय लड़की आपकी बहुत बड़ी फैन है. कुरुलकर तारीफ से खुश हुए और उससे जुड़ गए.
कुरुलकर ने जांच के दौरान बताया कि उन्हें उस लड़की के पाकिस्तानी होने का अंदाजा तक नहीं था. महिला ने कुरुलकर से कहा कि आपने देश के लिए बहुत अच्छा काम किया है. उसने पाकिस्तान को जमकर गालियां दीं.
क्या होता है 'हनी ट्रैप'
'हनी ट्रैप' किए जाने की प्रक्रिया का मतलब एक रोमांटिक या यौन-संबंधी ताल्लुकात बना कर टार्गेट से खुफिया जानकारी निकलवाने से है. इस जानकारी का इस्तेमाल या तो किसी बड़ी रकम के लेन-देन के लिए किया जाता है या फिर राजनीतिक कारणों के लिए जासूसी की जाती है.
भारत में हनी ट्रैप 1980 के दशक में ख़ूब सुर्खियों में रहा था. उस दौरान रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के एक अफसर केवी उन्नीकृष्णन पर अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए की एक जासूस के जरिए 'हनी ट्रैप' होने का आरोप लगा था. ये महिला जासूस पैनऐम एयरवेज में एयर होस्टेस थी.
केवी उन्नीकृष्णन, उन दिनों चेन्नई के रॉ ब्रांच में पोस्टेड थे और कथित तौर पर एलटीटीई की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए थे. भारत और श्रीलंका के बीच 1987 में हुए शांति-समझौते के कुछ समय पहले ही केवी उन्नीकृष्णन को हिरासत में ले लिया गया था.
हनी ट्रैप का दूसरा सबसे बड़ा मामला पाकिस्तान के इस्लामाबाद में पोस्टेड भारतीय विदेश सेवा की प्रेस-इंफॉरमेशन सचिव माधुरी गुप्ता का है. जब 2010 में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उन्हें, "पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी, आईएसआई, को संवेदनशील जानकरी मुहैया कराने", के आरोप में गिरफ़्तार किया था. 2018 में एक निचली अदालत ने माधिरी को तीन साल की सजा सुनाई थी बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया.