साल 2022 में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में बहुत कम बारिश हुई. जिसके कारण धान, दलहन और तिलहन जैसी फसलों की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा.


भारत में ज्यादातर किसान फसल बोने के लिए बारिश पर ही निर्भर करते हैं. ऐसे में कई बार अचानक मौसम बदल जाने, भारी बारिश, सूखा, तूफान या अन्य तरह का प्राकृतिक आपदा आने से फसलों के खराब होने का खतरा बना रहता है. 


कई बार इसके कारण किसानों को काफी नुकसान भी उठाना पड़ता है. इन्हीं वित्तीय नुकसान से किसानों को बचाने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत की गई है, साल 2015 में शुरू की गई इस योजना के तहत ऐसी परिस्थिति में किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है. 


कितने किसान ले रहे हैं इस योजना का लाभ 


रिपोर्ट्स की मानें तो केंद्र सरकार की ओर से साल 2015 में शुरू किए गए पीएमएफबीवाई (PMFBY) के तहत फसलों का बीमा करवाने वाले किसानों की संख्या इन 8 सालों में काफी कम हुई है. 


इन सबसे ज्यादा चिंताजनक बात ये है कि पिछले कुछ सालों में मौसम अनिश्चितताओं के कारण किसानों के फसल के खराब होने और उनके नुकसान होने का जोखिम बढ़ा है. लेकिन, इसके बावजूद किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा का लाभ नहीं ले रहे हैं. 


पीएमएफबीवाई के तहत होने वाले इंश्योरेंस में जो गिरावट देखी गई है. उसकी वजह से PMFBY को कुछ वक्त तक रोका जाना है. वहीं, फसल उगाने वाले एरिया का इंश्योरेंस और फसल का दाम दोनों में भी गिरावट हो रही है.


पीएम बीमा योजना में लाभार्थियों की कमी क्यों?


सब्सिडी का पैसा भी नहीं मिलता- झारखंड और गुजरात (रूपाणी) सरकार ने जब इसे बंद किया तो दलीलें दी कि बीमा कंपनी को प्रीमियम का जो पैसा सरकार की ओर से मिलता है, नुकसान होने के बाद वो पैसा भी किसानों तक नहीं पहुंच पाता है. 


जागरूकता की कमी, जानकारी नहीं दी जाती- जागरूकता की कमी दूसरी सबसे बड़ी वजह है. किसानों को न तो शुरू में कितना प्रीमियम हुआ, इसकी जानकारी दी जाती है और ना नुकसान होने पर पैसे मिलने के बारे में बताया जा रहा है. ऐसे में फसल के नुकसान होने पर किसान ठगा सा महसूस करते हैं.


सर्वे और प्रीमियम का काम अलग-अलग- प्रीमियम का काम प्राइवेट कंपनियां करती है, जबकि फसल नुकसान होने पर सर्वे सरकार की ओर से किया जाता है. सर्वे के वक्त कम नुकसान होने की स्थिति में प्राइवेट कंपनियां बीमा देने से इनकार कर देती है. 


क्या है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना 



  • प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना भारत सरकार द्वारा समर्थित एक जीवन बीमा योजना है. जिसकी शुरुआत 9 मई 2015 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था.

  • यह योजना कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत आता है. जिसमें किसानों को फसल बोने के बाद बदलते मौसम या प्राकृतिक आपदा के कारण होने वाले नुकसान से बचाया जाता है. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसान बहुत कम पैसे देकर अपनी फसल का बीमा करवा सकते हैं.

  • बीमा कवरेज के तहत अगर बीमित फसल नष्ट हो जाती है तो इसकी पूरी भरपाई का जिम्मा बीमा कंपनी का होता है. इस बीमा के तहत खाद्य फसलें (अनाज, बाजरा और दालें), तिलहन और वार्षिक वाणिज्यिक / वार्षिक बागवानी फसलें को कवर किया जाता है. 


क्या है आवेदन करने की प्रक्रिया 


किसान किसी भी बैंक में जाकर अपने फसलों का बीमा करवा सकते हैं. इसके लिए सबसे पहले किसानों को पास के किसी भी बैंक जाकर एक फॉर्म भरना होता है. फॉर्म भरने के बाद उन्हें अपने जमीन और अन्‍य कागजात को बैक के पास जमा करना पड़ता है.


प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत रबी सीजन 2022 में गेहूं, जौं, सरसों, चना व सूरजमुखी की फसलों का बीमा करवाने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2022 तय की गई थी. अब 2023 के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई 2023 निर्धारित की गई है. 


इस योजना का मकसद भारत के किसानों को सशक्त बनाना है. किसानों की मदद के लिए 2 लाख रुपये तक का बीमा उपलब्ध कराया जाएगा.


कैसे मिलेगा बीमा का क्लेम?


इंश्योरेंस क्लेम करने के लिए किसानों को सबसे पहले फसल खराब होने के 72 घंटे के भीतर कृषि विभाग को फसल खराब होने की जानकारी देनी होती है. जिसके बाद उन्हें आवेदन करना होता है. भरे जाने वाले फॉर्म में उगाए गए फसल के खराब होने का कारण, फसल की किस्म और कितने क्षेत्र में फसल बर्बाद हुई हैं, इनका ब्यौरा देना होता है.


इंश्योरेंस क्लेम करने के कुछ दिनों बाद बीमा कंपनी के प्रतिनिधि और कृषि विभाग के कर्मचारी किसान के खेत का निरीक्षण कर नुकसान देखते हैं और सब कुछ ठीक रहा तो  बैंक अकाउंट में बीमा का पूरा क्लेम डाल दिया जाता है.


साल 2022 तक कितने किसान योजना से जुड़ चुके हैं


31 मार्च 2022 तक पीएमजेजेबीवाई से 6.4 करोड़ और पीएमएसबीवाई से 22 करोड़ सदस्य इस योजना से जुड़ चुके है. योजना की शुरुआत से लेकर अब तक 1,134 करोड़ रुपये का प्रीमियम एकत्र हुआ है. वहीं 2,513 करोड़ रुपये के क्लेम का भुगतान भी किया जा चुका है. 


पीएमजेजेबीवाई में 9,737 करोड़ रुपये के प्रीमियम एकत्र हुआ और क्लेम के रूप में 14,414 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है.


पिछले 5 सालों में कैसा रहा हाल 


साल 2021 में इस योजना के पांच साल पूरे हो गए. इस पांच सालों में एक तरफ जहां बीमा लेने वाले किसानों की संख्या में दसवें हिस्से की वृद्धि हुई है, तो वहीं कवर किए गए फसल क्षेत्र में पांचवें हिस्से की गिरावट आई है. इसके अलावा फसल उगाने वाले एरिया का इंश्योरेंस और फसल का दाम दोनों में भी गिरावट हो रही है.


बीमा कंपनियों को भुगतान किया गया कुल बीमा प्रीमियम, जिनमें से अधिकांश निजी स्वामित्व में हैं, इस बीच लगभग आधा बढ़ गए हैं. हालांकि किसानों द्वारा भुगतान किया गया प्रीमियम काफी हद तक स्थिर रहा है, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा भुगतान किए गए प्रीमियम की सीमा तय करने के बाद केंद्र सरकार का प्रीमियम आधा हो गया है और राज्यों का दो-तिहाई बढ़ गया है. 


किसानों के लिए क्यों जरूरी है ये योजना 


प्रधानमंत्री किसान बीमा योजना की शुरुआत हुए लगभग 8 साल होने वाले हैं.  पिछले सालों में इंश्योरेंस करवाने वाले किसानों की संख्या में कमी आई है. लेकिन जिस तरह से भारत ने पिछले कुछ सालों में मौसम के बदलते ट्रेंड को देखा है. उससे यह लगता है कि किसानों को वर्तमान में बीमा स्कीम की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ने वाली है. केंद्र सरकार को इस योजना को और पारदर्शी बनाने की जरूरत है ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान इस स्कीम का लाभ उठा सकें.