नई दिल्लीः एबीपी न्यूज की प्रधानमंत्री सीरीज का लॉन्च इवेंट आज दिल्ली में आयोजित हुआ. लॉन्च इवेंट को प्रस्तुत कर रहे दिग्गज पत्रकार अभिज्ञान प्रकाश ने प्रधानमंत्री सीरीज के होस्ट और जानेमाने फिल्ममेकर शेखर कपूर के साथ खास बातचीत की. लॉन्च इवेंट की शुरुआत प्रधानमंत्री 2 के शानदार ट्रेलर के साथ हुई और इसमें दिखाया गया कि जम्मू-कश्मीर और अन्य कई मसलों पर प्रधानमंत्री सीरीज में बेहद बारीकी से तथ्यों का विश्लेषण किया गया है.


प्रधानमंत्री के जरिए सीखी हिंदी-शेखर कपूर
कार्यक्रम की शुरुआत में ही अभिज्ञान प्रकाश ने शेखर कपूर से कहा कि बातचीत हिंदी में होगी और इस पर उन्होंने हंसकर कहा कि क्यों मरवा रहे हो? हालांकि उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री सीरीज के जरिए उन्होंने हिंदी सीख ली है. प्रधानमंत्री की टीम के साथ काम करते हुए हिंदी के साथ पंजाबी से भी जमकर रूबरु हुए. उन्होंने कहा कि एबीपी की टीम जब मेरे पास पहली बार प्रधानमंत्री की एंकरिंग करने के लिए प्रस्ताव लेकर आई तो मैंने पूछा कि हिंदी में है या इंग्लिश में तो जवाब मिला कि हिंदी में है. इस पर मैने कहा कि मर जाओगे, न मुझे हिंदी आती है और न में हिंदी बोलता हूं. लेकिन प्रधानमंत्री कार्यक्रम के दौरान मैंने हिंदी सीख ली.


एबीपी टीम की जमकर तारीफ की
प्रधानमंत्री सीरीज के लिए एबीपी की टीम की तारीफ करते हुए शेखर कपूर ने कहा कि संजय नंदन और अंजु जुनेजा ने कार्यक्रम पर इतनी गहरी रिसर्च की है कि उन्होंने भी इसके बारे में सब वहीं से सीखा. संजय नंदन जब कार्यक्रम को लेकर कुछ सुनाते थे तो वो ढेर सारे सवाल पूछते थे और एबीपी टीम ने हर सवाल का जवाब दिया. उन्होंने साफ कहा कि प्रधानमंत्री सीरीज के जरिए खुद देश के मसलों के बारे में उनको बेहतर जानकारी मिली.


खुद देश के मसलों के बारे में प्रधानमंत्री सीरीज से बेतर जानकारी मिली
सीजन 2 की खासियत आपके लिए क्या होगी इस सवाल के जवाब में शेखर कपूर ने कहा कि इस कार्यक्रम के जरिए उन्होंने देश की नई स्थिति के बारे में इतनी गंभीरता और गहराई से जाना है कि वो सबकुछ सीख रहे हैं. एबीपी की टीम ने इतना अच्छा रिसर्च किया है कि वो इसके जरिए जम्मू-कश्मीर जैसे मामले को समझने के पास पहुंच पाए.


लोगों को था प्रधानमंत्री सीरीज 2 का इंतजार
शेखर कपूर ने कहा कि वो इस बात से आश्चर्यचकित हैं कि किसी टीवी कार्यक्रम को शैक्षणिक संस्थान में पाठ्यक्रम में शामिल किया गया. क्योंकि टेलीविजन के इतिहास में ऐसा कम ही देखने को मिलता है. प्रधानमंत्री सीरीज की पॉपुलैरिटी को देखकर पता चलता है कि भारतीय जनता बेवकूफ नहीं है और वो सिर्फ बहस, डिबेट और चीख-चिल्लाहट को पसंद नहीं करती है. प्रधानमंत्री सीरीज के बाद वो जहां भी जाते हैं वो लोग उन्हें घेरकर पूछते थे कि इसका दूसरा सीजन कब आ रहा है और इससे पता चलता है कि लोगों को अच्छे और ज्ञानवर्धक कार्यक्रम पसंद आते हैं.


अंग्रेजी में भी आना चाहिए प्रधानमंत्री
शेखर कपूर ने कहा कि वो कबसे कह रहे हैं कि इस कार्यक्रम को अंग्रेजी में भी पेश किया जाना चाहिए. उन्होंने इस बात का भी मेंशन किया कि कई डिजिटल प्लेटफॉर्म के साथ साथ लोग इसे यूट्यूब, फेसबुक के जरिए भी देखेंगे और क्या पता ये टिकटॉक पर भी आ जाए. उन्होंने लोगों से मुखातिब होते हुए पूछा कि क्या प्रधानमंत्री 2 टिकटॉक पर आएगा.


प्रधानमंत्री की अपार सफलता से दबाव भी रहा और जिम्मेदारी भी
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री सीरीज की सफलता ने मुझ पर काफी दबाव भी पैदा किया क्योंकि इसकी अपार सफलता को दोहराने की अपेक्षा हो रही है. हालांकि मैं खुद को काफी जिम्मेदार भी मानता हूं क्योंकि इससे देश के बारे में गंभीर बाते होंगी.


फिल्मों और टेलीविजन में बहुत अंतर -शेखर कपूर
शेखर कपूर ने कहा कि जब मैं निर्देशक होता हूं तो मेरे पास फैसले लेने की ताकत होती है और इसी के साथ सारी जिम्मेदारी भी मेरे ऊपर होती है लेकिन टेलीविजन में काम करते हुए मुझे ऐसा नहीं लगता. प्रधानमंत्री सीरीज के साथ जुड़े एबीपी न्यूज के डायरेक्टर और अन्य लोगों के लिए ये काफी बड़ी जिम्मेदारी होती है कि मुझे कार्यक्रम के बारे में ज्यादा से ज्यादा सिखाएं. फिल्मों और टेलीविजन में बहुत अंतर होता है और प्रधानमंत्री के जरिए इसे बेहतर समझा.


लोकतंत्र एक सतत चलने वाली प्रकिया-शेखर कपूर
शेखर कपूर ने कहा कि लोकतंत्र एक सतत चलने वाली प्रकिया से चलता है और इसके लिए हम सब भागीदार होते हैं. हालांकि उन्होंने एक अहम चलन की ओर इशारा करते हुए कहा कि देश में इस समय कीवर्ड्स में फंसने का चलन चल रहा है. जैसे उन्होंने उदाहरण दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अच्छी बात करने वालों के लिए 'भक्त' का कीवर्ड यूज़ किया जाता है.