#Pradhanmantri2onABP | जब महाराजा हरि सिंह ने कहा कि ‘जम्मू-कश्मीर’ आजाद मुल्क होगा
महाराजा हरि सिंह ब्रिटिश हकूमत के सबसे बड़े अधिकारी लॉर्ड माउंटबेटन से आजाद मुल्क बनाने की बात कह रहे थे. आजाद मुल्क.. आजाद जम्मू- कश्मीर. फिर ऐसा क्या हुआ कि जम्मू- कश्मीर भारत में शामिल हुआ. महाराजा हरि सिंह ने अपना रुख कैसे बदला. जानिए
नई दिल्ली: इस सवाल का जवाब दरअसल अविभाजित भारत के उस दौर में मिलता है जब देश आजाद होने ही वाला था. 3 जून 1947 से हालात तेजी से बदलने लगे. यह वही दिन था जब भारत में ब्रिटिश हुकूमत के सबसे बड़े अधिकारी, वायसरॉय, लार्ड लुई माउंटबेटन ने एक बड़ा ऐलान किया. ये ऐलान था कि भारत ब्रिटेन से आजाद होगा. इस ऐलान के साथ भारत का बंटवारा भी तय कर दिया गया.
बंटवारे के बाद सबसे बड़ा सवाल ये था कि उन रियासतों का क्या होगा जिनके साथ ब्रिटिश सरकार ने संधियां कर रखी थी. क्या वे रियासतें अब आजाद हो जाएंगी, आजाद मुल्क की तरह काम करने लगेंगी. इस तरह देशभर में करीब 600 से ज्यादा छोटी बड़ी रियासतें थी. इस ऐलान के बाद कुछ रियासतों ने खुद को आजाद मुल्क बनाने का ऐलान कर दिया. जबकि जम्मू- कश्मीर रियासत ने खुद को स्वतंत्र रखने की मंशा जाहिर की.
सरदार वल्लभ भाई पटेल गृह मंत्री के साथ-साथ रियासती मामलों के मंत्री भी थे. सरदार पटेल की देखरेख में रियासतों को भारत में शामिल करने की प्रकिया शुरू हुई, लेकिन जम्मू- कश्मीर ने सीधे तौर पर शामिल होने से मना कर दिया. देश के आखिरी वॉइसरॉय, लार्ड लुई माउंटबेटन जम्मू- कश्मीर के महाराजा से बात करने जून के महीने में श्रीनगर पहुंचे. ये यात्रा करीब एक हफ्ते तक चली. इन मुलाकातों से जम्मू-कश्मीर पर ब्रिटेन की कश्मीर नीति का पता चलता है.
लॉर्ड माउंटबेटन ने महाराजा हरि सिंह को जम्मू -कश्मीर में मुस्लिम बहुल आबादी का हवाला दिया और कहा कि आपको पाकिस्तान के साथ मिलना चाहिए. महाराजा हरि सिंह ने अपनी रियासत को पाकिस्तान में शामिल करने से साफ मना कर दिया. उन्होंने कहा ‘’आपको अंदाजा नहीं है कि शेख मोहम्मद अब्दुल्ला नेहरू के करीबी हैं और उनके साथ मेरी रियासत के ज्यादातर लोग भारत के साथ जुड़ना पसंद करेंगे.‘’ शेख अब्दुल्ला के साथ महाराजा हरि सिंह का रिश्ता बहुत तल्ख था. जिस समय ये मुलाकात चल रही थी उस समय शेख अब्दुल्ला को महाराजा हरि सिंह ने जेल में बंद कर रखा था.
इन मुलाकातों के कई सालों बाद भी एक इंटरव्यू में खुद माउंटबेटन ने ये खुलासा किया कि वो चाहते थे कि जम्मू-कश्मीर पाकिस्तान में शामिल हो. साथ ही ये भी कहा कि मैं अपनी खुद की बनाई हुई चीज को बिगाड़ना नहीं चाहता था.
हिमाचल सेंट्रल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ कुलदीप चंद अग्निहोत्री का कहना है ‘’मैं माउंटबेटन की इस बात की तारीफ करना चाहता हूं. कि उन्होंने कभी भी इस बात को नहीं छुपाया कि जम्मू कश्मीर को पाकिस्तान ले जाने के पक्ष में थे, जब वे इंडिया के गवर्नर जनरल थे तब भी उन्होंने कह दिया था कि मेरी इच्छा थी कि जम्मू कश्मीर पाकिस्तान में जाना चाहिए’’
महाराजा हरि सिंह से आखिर में माउंटबेटन ने भारत में शामिल होने पर उनकी राय पूछी. महाराजा हरि सिंह ने कहा, “मैं भारत में भी शामिल नहीं होना चाहता, मैं आजाद रहना चाहता हूं.” महाराजा हरि सिंह ब्रिटिश हकूमत के सबसे बड़े अधिकारी लॉर्ड माउंटबेटन से आजाद मुल्क बनाने की बात कह रहे थे. आजाद मुल्क.. आजाद जम्मू- कश्मीर. फिर ऐसा क्या हुआ कि जम्मू- कश्मीर भारत में शामिल हुआ. महाराजा हरि सिंह ने अपना रुख कैसे बदला. इन अहम सवालों के जवाब आपको न्यूज टेलीविजन इतिहास की सबसे बड़ी सीरीज प्रधानमंत्री 2 के पहले एपिसोड़ में मिलेंगे और आगे की कहानी के लिए सीरीज से जुड़े रहें.
(संजय नंदन और अभिनव गोयल, टीम प्रधानमंत्री)