#Pradhanmantri2onABP | क्यों लॉर्ड माउंटबेटन ने जम्मू- कश्मीर के महाराजा हरि सिंह को बेवकूफ कहा?
#Pradhanmantri2onABP | जून 1947 में हरि सिंह से मुलाकात के बाद माउंटबेटन ने उनके बारे में ये राय बनाई. अगर हरि सिंह उनकी बात मान लेते तो क्या फिर भी वे बेवकूफ कहलाते ?
नई दिल्ली: क्या सचमुच जम्मू- कश्मीर के महाराजा हरि सिंह बेवकूफ आदमी थे. भारत के आखिरी वाइसरॉय, लॉर्ड लुई माउंटबेटन तो उनके बारे में यही कह रहे थे. जब माउंटबेटन के कहने पर महाराजा हरि सिंह ने पाकिस्तान में शामिल होने से मना कर दिया तो उन्होंने कहा, ''हरि सिंह ने मेरा पूरा प्लान चौपट कर दिया. वो एक दम बेवकूफ आदमी है. मैं जम्मू- कश्मीर को पाकिस्तान के साथ देखना चाहता था”
जम्मू- कश्मीर की लगभग 77 फीसद आबादी मुस्लिम थी और वहां के महाराजा हिंदू थे. जब रियासतें खुद को भारत या पाकिस्तान, किसी एक डोमिनियन में शामिल कर रही थी तब जम्मू- कश्मीर रियासत ने आजाद रहने की मंशा जाहिर की. जून 1947 में हरि सिंह से मुलाकात के बाद माउंटबेटन ने उनके बारे में ये राय बनाई. अगर हरि सिंह उनकी बात मान लेते तो क्या फिर भी वे बेवकूफ कहलाते ?
लॉर्ड लुई माउंटबेटन से पहले भारत के वाइसरॉय लॉर्ड आर्किबाल्ड वेवल थे. उन्होंने माउंटबेटन से करीब डेढ़ साल पहले कश्मीर की यात्रा की थी. वेवल ने महाराजा हरि सिंह की काफी तारीफ की. उन्होंने लिखा, “ महाराजा हरि सिंह भारतीय राजाओं में सबसे चतुर लगते हैं. उनकी सोच काफी खुली हुई है और देश दुनिया में क्या चल रहा है इसकी काफी अच्छी जानाकारी उन्हें हैं.
एक वाइसरॉय महाराजा हरि सिंह को खुली सोच वाला और बुद्धिमान बता रहे थे जबकि दूसरे वाइसरॉय उन्हें बेवकूफ कह रहे थे. वहीं महाराजा हरि सिंह के बेटे कर्ण सिंह ने अपनी आत्मकथा में उनके सवाल लेने के तरीकों पर सवाल उठाए हैं. कर्ण सिंह अपनी आत्मकथाा में लिखते हैं कि पिता जी को इस दुनिया में क्या चल रहा है उसका पता ही नहीं था। जब कर्ण सिंह से इंटरव्यू के दौरान ये सवाल पूछा गया कि महाराजा जम्मू- कश्मीर रियासत को भारत में शामिल करने में इतनी देर क्यों कर रहे थे तो उन्होंने कहा ‘’निर्णय लेना उस समय इतना आसान नहीं था. इस देरी का कारण था. उस समय परिस्थितियां ऐसी थी कि कोई सरल रास्ता नहीं था’’
जम्मू- कश्मीर स्टडी सेंटर के डायरेक्टर आशुतोष भटनागर महाराजा हरि सिंह और उनके फैसलों की तारीफ करते हुए कहते हैं “महाराजा सेकेंड वर्ल्ड वॉर में वॉर काउंसिल के मेंबर थे. वे ब्रिटिश क्राउन के सलाहकार थे. इन भूमिकाओं में उन्होंने दुनिया को बदलते देखा था, डेमोक्रेसी को आकार लेते देखा था. जम्मू- कश्मीर का रघुनाथ मंदिर उनका पारिवारिक मंदिर था. उसमें दलितों को प्रवेश के लिए आंदोलन नहीं करना पड़ा. जम्मू-कश्मीर में महाराजा थे जिन्होंने अपने आदेश से ये तय किया कि ये मंदिर सबके लिए खुलेगा. जब मंदिर के पुजारियों ने कहा कि दलितों का प्रवेश उन्हें स्वीकार नहीं तो महाराजा हरि सिंह ने कहा कि पुजारी बदले जा सकते हैं, निर्णय नहीं बदला जाएगा.
इतिहास के किरदारों ने अपनी सहुलियत के मुताबिक महाराजा हरि सिंह को अपनी अपनी कहानी में जगह दी. हरि सिंह ने खुद अपने और अपने फैसलों के बारे में कभी कुछ नहीं लिखा. भारत के साथ जम्मू- कश्मीर के विलय के वक्त महाराजा हरि सिंह की क्या भूमिका रही उसकी विस्तृत जानकारी के लिए न्यूज टेलीविजन इतिहास की सबसे बड़ी सीरीज प्रधानमंत्री 2 के पहले एपिसोड़ को देखें. 1 फरवरी 2020, रात 10 बजे प्रसारित होने वाला प्रधानमंत्री सीरीज का दूसरा एपिसोड जम्मू- कश्मीर और उसके किरदारों पर अधिक रोशनी डालेगा.
Pradhanmantri 2 Behind The Scenes: Fun side of Shekhar Kapur