Parkash Singh Badal Cremation: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का निधन हो गया है. गुरुवार (25 अप्रैल) को उनके पैतृक गांव बादल में उनका अंतिम सरकार किया जाएगा. इससे पहले 26 अप्रैल को उनका पार्थिव शरीर चंडीगढ़ के सेक्टर 28 स्थित शिरोमणि अकाली दल के कार्यालय में आम लोगों के दर्शन के लिए रखा गया है. वहीं 26 अप्रैल को 12 बजे उनकी अंतिम यात्रा शुरुआत की जाएगी. 


पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की अंतिम यात्रा राजपुरा, पटियाला, संगरूर, बरनाला, रामपुरा फूल, बठिंडा से होते हुए उनके गांव बादल पहुंचेगी. जिसके बाद 27 अप्रैल का उनका अंतिम संस्कार होगा. बादल के निधन पर पंजाब सरकार ने 27 अप्रैल को राज्य में सार्वजनिक अवकास का एलान किया है. इस दौरान सभी दफ्तर और विधिक संस्थान बंद रहेंगे. 


बादल के पैतृक गांव में होगा अंतिम संस्कार
पंजाब की राजनीति के कद्दावर नेता और पांच बार राज्य के सीएम रह चुके प्रकाश सिंह बादल को प्रदेश में हिंदुओं और सिखों के बीच एकता कायम करने के लिए जाना जाता है. बादल पिछले एक हफ्ते से ही मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती थे और मंगलवार (25 अप्रैल) को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. बुधवार (26 अप्रैल) को उनके पार्थिव शरीर को एंबुलेंस में चंडीगढ़ में पार्टी कार्यालय लाया गया.


अंतिम दर्शन के लिए पार्थिव शरीर को पार्टी कार्यालय में रखा गया है. खुद पीएम नरेंद्र मोदी भी उन्हें श्रद्धांजलि देने चंडीगढ़ पहुंच रहे हैं. बता दें कि 27 अप्रैल को दोपहर एक बजे बादल को उनके पैतृक गांव में अंतिम विदाई दी जाएगी.


कैसे होता है सिख धर्म में अंतिम संस्कार?
सिख धर्म में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया हिंदू धर्म से काफी मिलती-जुलती है. हालांकि सिख धर्म में महिलाएं भी श्मशान घाट जा सकती हैं. हिंदू धर्म की ही तरह सिखों में भी शव को अग्नि दी जाती है और सबसे करीबी शख्स ही मुखाग्नि देता है. शव को पहले नहलाया जाता है, इसके बाद सिख धर्म के 5 चिन्ह कृपाण, कंघा, कटार, कड़ा और केश को संवारा जाता है. परिजन शव को अर्थी पर श्मशान घाट तक ले जाते हैं. वाहेगुरु का नाम लेकर अर्थी को श्मशान तक लाया जाता है और दाह संस्कार हो जाने के बाद शाम में भजन और अरदास किया जाता है.


जो लोग श्मशान से वापस आते हैं वो नहाते हैं और फिर सिखों के प्रमुख ग्रन्थ गुरु ग्रन्थ साहिब का पाठ किया जाता है. सिखों में 10 दिनों तक यह पाठ किया जाता है. इसके बाद जो लोग इस पाठ में शामिल होते हैं उन्हें कड़हा प्रसाद दिया जाता है. फिर भजन कीर्तन किया जाता और मरने वाले व्यक्ति की आत्मा की शांति के लिए अरदास की जाती है.


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