Pranab Mukherjee Birth Anniversary: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बारे में ये दिलचस्प बातें शायद ही जानते होंगे आप
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने प्रणब मुखर्जी के राजनीतिक करियर में बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी. बताया जाता है कि उन्हें कांग्रेस पार्टी में लाने में उनका अहम योगदान था.
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Pranab Mukherjee Unknown Facts: आज ही के दिन साल 1935 में भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का जन्म हुआ था. भारतीय राजनीति में एक दिग्गज के रूप में जाने जाने वाले प्रणब मुखर्जी का जन्म पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में हुआ था. उनका राजनीतिक जीनव बेहद शानदार रहा है. पांच दशकों के अनुभव के बाद उन्हें भारत के 13वें राष्ट्रपति के रूप में चुना गया था.
जब मुखर्जी ने 1967 में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया तब वे कांग्रेस पार्टी के एक महत्वपूर्ण सदस्य बने और पांच बार राज्यसभा के सदस्य और दो बार लोकसभा के सदस्य भी रहे. दो साल पहले यानी 2020 में 31 अगस्त को कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहने के बाद उनका निधन हो गया था. चलिए अब आपको उनके जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें बताते हैं.
- एक नेता होने के अलावा, प्रणब मुखर्जी ने डिप्टी एकाउंटेंट-जनरल, कलकत्ता के कार्यालय में क्लर्क के रूप में, विद्यानगर कॉलेज में प्रोफेसर के रूप में और फिर देशेर डाक में एक पत्रकार के रूप में भी काम किया है.
- मुखर्जी वित्त मंत्री के रूप में सेवा करने वाले पहले राज्यसभा सदस्य थे. उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान सात बजट पेश किए.
- प्रणब मुखर्जी को देश में उनके योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से नवाजा गया, जिसमें 2019 में दिया गया भारत रत्न भी शामिल है.
- कम ही लोग जानते हैं कि वर्सटाइल नेता को उनके परिवार के सदस्य और करीबी दोस्त 'पोल्टू' कहते थे.
- पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मुखर्जी के राजनीतिक करियर में बहुत बड़ी भूमिका निभाई. उन्हें कांग्रेस पार्टी में लाने में उनका अहम योगदान था.
- न्याय प्रणाली में अपने विश्वास के लिए जाने जाने वाले मुखर्जी ने अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान कई दया याचिकाओं को खारिज कर दिया था. इनमें अफजल गुरु और अजमल कसाब की दया याचिका भी शामिल थी.
- ऐसा कहा जाता है कि दिवंगत नेता चीनी राजनीतिक नेता डेंग शियाओपिंग से काफी प्रेरित थे. वह अक्सर उनकी बातें किया करते थे.
- भारत के प्रधानमंत्री ना बनने को लेकर भी प्रणब मुखर्जी ने एक बार खुलकर बात की थी. उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री न बनने का एक मुख्य कारण उनकी कमजोर हिंदी भाषा थी.
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