नई दिल्ली: ईद से ठीक पहले 13 जून को कांग्रेस पार्टी दिल्ली के फाइव स्टार ताज होटल में इफ्तार का आयोजन कर रही है. सूत्रों के मुताबिक इस इफ्तार में विपक्ष के बड़े-बड़े चेहरों को आमंत्रित किया जा रहा है. इस बीच बड़ी जानकारी सामने आई है कि कांग्रेस के इस इफ्तार में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को न्योता नहीं भेजा गया है.


कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी के इफ्तार में पूर्व राष्ट्रपति/उपराष्ट्रपति को बुलाना उचित नहीं है. वैसे भी इफ्तार में कांग्रेस ने विपक्ष के नेताओं यानी राजनीतिक सहयोगियों को आमंत्रित किया है. यानी कहीं ना कहीं इफ्तार का मिजाज सियासी है.


आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल हुए थे प्रणब मुखर्जी
पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस नेता रहे प्रणब मुकर्जी हाल ही में आरएसएस के मुख्यालय में एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए थे. प्रणब मुखर्जी का इस कार्यक्रम में जाना पूरे देश में चर्चा का विषय था. कांग्रेस के पार्टी के करीब तीस नेताओं ने चिट्ठी लिखकर उनके इस कार्यक्रम में ना जाने की अपील की थी. प्रणब मुखर्जी की बेटी ने भी नाराजगी जाहिर की थी. हालांकि आरएसएस कार्यक्रम में दिए उनके भाषण की कांग्रेस ने जमकर तारीफ की थी. कांग्रेस ने कहा था कि प्रणब मुखर्जी ने आरएसएस और बीजेपी को आईना दिखा दिया.


केजरीवाल से किनारा कर रही कांग्रेस
एक ओर जहां कांग्रेस 2019 के लिए पूरे विपक्ष को साथ लाने की कोशिश कर रही है तो वहीं दिल्ली की आम आदमी पार्टी से किनारा करती नजर आ रही है. कांग्रेस को लगता है कि अगर केजरीवाल से हाथ मिलाएंगे तो उन्हें दिल्ली में नुकसान होगा. कुछ दिन पहले यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने अपने आवास पर सभी विपक्षी दलों के नेताओं को डिनर पर बुलाया था. इस डिनर में कांग्रेस ने केजरीवाल से किनारा किया था. डिनर में शामिल हुए सभी नेताओं को 13 जून को होने वाले इफ्तार में बुलाया है.


दो साल बाद हो रही है इफ्तार पार्टी
पिछले दो सालों में कांग्रेस ने इफ्तार पार्टी का आयोजन नहीं किया था. माना गया कि 'मुस्लिम-परस्त' छवि से निकलने के लिए रणनीति के तहत ये फैसला लिया गया. हालांकि पिछले दो रमजानों के दौरान पार्टी ने दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में गरीब मुसलमानों के बीच भोजन सामग्री वितरित किया था. लेकिन अब सम्भवतः इफ्तार का ये सिलसिला एक बार फिर शुरू हो गया है.


सूत्रों के मुताबिक इस बार इफ्तार आयोजित करने की पहल अल्पसंख्यक विभाग ने की थी. पिछले दिनों ही राहुल गांधी ने नदीम जावेद को कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग की कमान सौंपी है. राहुल गांधी का समय तय होने के बाद इफ्तार की तारीख 13 जून को तय की गई. विपक्ष के नेताओं के अलावा परंपरा के अनुरूप विभिन्न देशों के दूतावासों को निमंत्रण भेजा जा रहा है.


सावधानी बरत रही है कांग्रेस
जाहिर है दो साल के बाद होने जा रहे कांग्रेस के इफ्तार में जिस तरह विपक्ष के बड़े चेहरों के जुटने की बात हो रही है उससे साफ है कि 2019 लोकसभा चुनाव से पहले ये मुस्लिम समाज तक एक संदेश पहुंचाने की कोशिश भी है. हालांकि कांग्रेस इस मामले में काफी सावधानी बरत रही है कि वो किसी भी धर्म विशेष की तरफ झुकी हुई नजर ना आए.