प्रणब मुखर्जी RSS के जिस 'तृतीय वर्ष वर्ग' को करेंगे संबोधित, मोदी भी रह चुके हैं उसका हिस्सा
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) प्रचारक बनना है तो तृतीय शिक्षा वर्ग में प्रशिक्षण लेना पड़ता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी तृतीय शिक्षा वर्ग में कभी हिस्सा लिया था. इस कार्यक्रम का ध्येय वाक्य 'मै संघ हूं, संघ मेरा है' है.
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नई दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति और कभी दिग्गज कांग्रेसी नेता रहे प्रणब मुखर्जी आज राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के सैकड़ों कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे. मुखर्जी संघ के जिस कैंप को नागपुर में संबोधित करेंगे ये संघ के तीसरे साल के स्वयंसेवकों के लिए आयोजित किया जाता है. संघ तीन तरह का कैंप आयोजित करता है. पहले साल के स्वयंसेवकों के लिए 20 दिनों का कैंप होता है और यह संघ के 42 प्रांत में आयोजित किया जाता है. दूसरे साल के स्वयंसेवकों के लिए भी 20 दिनों का कैंप आयोजित किया जाता है. इसके कैंप भी क्षेत्रीय आधार पर लगाए जाते हैं.
वहीं तीसरे साल के स्वयंसेवकों के लिए कैंप नागपुर में आयोजित किया जाता है. इसे तृतीय शिक्षा वर्ग भी कहा जाता है. स्वयंसेवकों की सूची कैंप में शामिल होने के लिए जिला स्तर पर परख कर तैयार की जाती है. तीसरे साल का कैंप नागपुर स्थित संघ मुख्यालय के पास स्मृति मंदिर परिसर में लगाया जाता है. जहां 25 दिनों तक कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग दी जाती है. तीसरे साल का कैंप आरएसएस के संस्थापक हेडगेवार ने 1927 में शुरू किया था. संघ प्रचारक बनना है तो तृतीय शिक्षा वर्ग में ट्रेनिंग लेना होता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संघ में रहते हुए तृतीय शिक्षा वर्ग में हिस्सा ले चुके हैं. इस कार्यक्रम का ध्येय वाक्य 'मै संघ हूं, संघ मेरा है' है.
भीषण गर्मी में 25 दिनों तक चलने वाले इस कैंप में कठिन ट्रेनिंग दी जाती है. स्वयंसेवकों को इस दौरान ड्रिलिंग. शस्त्र रहित कलाएं, जूडो, कराटे और दंड युद्ध करना होता है. संयुक्त सत्र आयोजित करने के साथ मीटिंग भी आयोजित की जाती है. जिसमें सभी स्वयंसेवक हिस्सा लेते हैं. 25 दिनों तक चलने वाले इस कैंप के आखिरी दिन आरएसएस जाने-जाने हस्ती को बुलाती है. आम तौर पर माना जाता है कि जिन्हें संबोधन के लिए बुलाया जाता है वह संघ की विचारधारा से प्रेरित होते हैं. लेकिन इस बार पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे प्रणब मुखर्जी को बुलाया गया है.
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2010 से अब तक के मुख्य अतिथि पर नजर डालें तो 2010 में असम के पूर्व मुख्य सचिव जेपी राजखोवा, 2011 में विजयवाड़ा के प्रमुख उद्योगपति डॉ. गंगा राजू, 2012 में पंजाब केसरी ग्रुप के अश्विनी कुमार, 2013 में कर्नाटक स्थित आदिचुंगचंगारी मठ के प्रमुख श्रीश्रीश्री निर्मलानंदानाथ महास्वामी, 2014 में आर्ट ऑफ लीविंग के श्रीश्री रविशंकर, 2015 में कर्नाटक के धर्मस्थल मंदिर के वीरेंद्र हेगड़े, 2016 में बंगाल के वरिष्ठ पत्रकार रंतिदेव सेनगुप्ता और 20177 में नेपाल के पूर्व सेना प्रमुख जनरल रुकमंगुड कटवाल को बुलाया गया.
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आरएसएस के मुताबिक, इस साल 14 मई तृतीय शिक्षा वर्ग शुरू हुआ था और यह आद समाप्त हो रहा है, जिसमें देश के विभिन्न भागों से 709 स्वयंसेवक अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे. संघ के दावों के मुताबिक, महात्मा गांधी ने वर्धा स्थित शिविर का दौरा किया था और बाद में कहा था कि वह संगठन के 'कड़े अनुशासन, सादगी और भेदभाव की अनुपस्थिति' से प्रभावित हुए. पूर्व राष्ट्रपति जाकिर हुसैन, समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण, फील्ड मार्शल के.एम. करियप्पा समेत अन्य हस्तियां भी आरएसएस के समारोह में भाग ले चुकी हैं.
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