कौन हैं नानाजी देशमुख?
नानाजी देशमुख जनसंघ के संस्थापकों में शामिल थे. वह एक समाजसेवी थे. 1 9 77 में जब जनता पार्टी की सरकार बनी, तो उन्हें मोरारजी-मन्त्रिमण्डल में शामिल किया गया था. लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया था. अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया था. अटल के कार्यकाल में ही भारत सरकार ने उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण स्वालम्बन के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान के लिये 1999 में पद्म विभूषण भी प्रदान किया था.
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तत्कालीन राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने नानाजी देशमुख और उनके संगठन दीनदयाल शोध संस्थान की प्रशंसा की थी. नानाजी देशमुख ने ९५ साल की उम्र में चित्रकूट स्थित भारत के पहले ग्रामीण विश्वविद्यालय (जिसकी स्थापना उन्होंने खुद की थी) में रहते हुए अन्तिम सांस ली.
कौन हैं भूपेन हजारिका?
भूपेन हजारिका भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम से एक बहुमुखी प्रतिभा के गीतकार, संगीतकार और गायक थे. इसके अलावा वे असमिया भाषा के कवि, फिल्म निर्माता, लेखक और असम की संस्कृति और संगीत के अच्छे जानकार भी रहे थे. वे भारत के ऐसे विलक्षण कलाकार थे जो अपने गीत खुद लिखते थे, संगीतबद्ध करते थे और गाते थे.
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हजारिका को साल 1975 में सर्वोत्कृष्ट क्षेत्रीय फिल्म के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार, 1992 में सिनेमा जगत के सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहब फाल्के सम्मान से सम्मानित किया गया. इसके अलावा उन्हें 2009 में असोम रत्न और इसी साल संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड, 2011 में पद्म भूषण जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया.
नानाजी देशमुख के बारे में पीएम मोदी ने क्या लिखा है?
भारत रत्न सम्मान के एलान के बाद पीएम मोदी ने ट्वीट कर नानाजी देशमुख और भूपेन हजारिका को याद किया है. पीएम मोदी ने कहा है, ''नानाजी देशमुख के महत्वपूर्ण योगदान ने ग्रामीण विकास के लिए गांवों में रहने वाले लोगों को सशक्त बनाने के एक नए प्रतिमान की राह दिखाई है.वह दलितों के प्रति विनम्रता, करुणा और सेवा का परिचय देते हैं. है.''
भूपेन हजारिका के बारे में पीएम मोदी ने क्या लिखा है?
भूपेन हजारिका को याद करते हुए पीएम मोदी ने कहा है, ''श्री भूपेन हजारिका के गीत और संगीत की हर पीढ़ी के लोगों ने प्रशंसा की है. इसके जरिए उन्होंने न्याय, सौहार्द्र और भाईचारे का संदेश दिया है. उन्होंने भारत की संगीत परंपरा को विश्व स्तर पर लोकप्रिय बनाया है. भूपेन दा को भारत रत्न दिए जाने पर प्रसन्नता हुई.''
2 जनवरी 1954 को हुई थी भारत रत्न की स्थापना
बता दें कि कला, साहित्य, विज्ञान, समाज सेवा और खेल जैसे विशिष्ट क्षेत्रों में असाधारण और उल्लेखनीय राष्ट्र सेवा करने वालों को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान दिया जाता है. इस सम्मान की स्थापना 2 जनवरी 1954 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री डा. राजेन्द्र प्रसाद द्वारा की गई थी. पहला भारत रत्न सम्मान चक्रवर्ती राजगोपालाचारी को प्रदान किया गया. शुरू में इस सम्मान को मरणोपरांत देने का चलन नहीं था, लेकिन एक साल बाद इस प्रावधान को जोड़ा गया. इसी तरह खेलों के क्षेत्र में विशिष्ट उपलब्धि हासिल करने वालों को भारत रत्न से सम्मानित करने का प्रावधान भी बाद में शामिल किया गया.
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