(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
प्रणब मुखर्जी के निधन पर राजकीय शोक की घोषणा, जानिए ये क्या होता है और इससे क्या बदलता है
पहले राजकीय शोक की घोषणा केवल केंद्र सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति ही कर सकते थे लेकिन अब नियमों में बदलाव के बाद राज्य खुद तय कर सकते हैं कि किसे राजकीय सम्मान देना है.
नई दिल्लीः पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कल शाम निधन हो गया, वे 84 वर्ष के थे. आज उनका अंतिम संस्कार लोधी रोड स्थित शवदाव गृह में किया जाएगा. उनके निधन पर देश में शोक है और राजकीय शोक घोषित किया गया है और राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया गया है.
क्या होता है राजकीय शोक गणमान्य व्यक्तियों के निधन के बाद राजकीय शोक घोषित होता है तो इस दौरान विधानसभा, सचिवालय सहित महत्वपूर्ण कार्यालयों में लगे राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है. फ्लैग कोड ऑफ इंडिया नियम के मुताबिक ऐसा किया जाता है.
राजकीय शोक के दौरान दौरान समारोहों और आधिकारिक मनोरंजन पर प्रतिबंध रहता है.
इस अवधि के दौरान राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाने के प्रोटोकॉल के नियम के मुताबिक देश के बाहर भारत के दूतावासों और उच्चायोगों पर लागू होता है. देश में और देश के बाहर स्थित भारतीय दूतावास और उच्चायोग में भी राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया जाता है.
कौन कर सकता है राजकीय शोक की घोषणा पहले राजकीय शोक की घोषणा केवल केंद्र सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति ही कर सकते थे लेकिन अब नियमों में बदलाव के बाद राज्य खुद तय कर सकते हैं कि किसे राजकीय सम्मान देना है. कई बार राज्य और केंद्र सरकार अलग-अलग राजकीय शोक की घोषणा करते हैं.
राजकीय शोक के तहत अंत्येष्टि राजकीय शोक में राजकीय अंत्येष्टि की जाती है और गणमान्य व्यक्ति को बंदूकों की सलामी दी जाती है. जिस ताबूत में गणमान्य व्यक्ति के शव को ले जाया जा रहा होता है उसे तिरंगे में लपेट दिया जाता है. राजकीय शोक में सार्वजनिक छुट्टी का भी एलान किया जा सकता है.
भारत सरकार ने 1997 के नोटिफिकेशन में ये कहा कि राजकीय शवयात्रा के दौरान कोई सार्वजनिक छुट्टी जरूरी नहीं है. अनिवार्य सार्वजनिक छुट्टी को इस दौरान खत्म किया गया था. जब राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए किसी व्यक्ति का निधन हो जाता है तो ही सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की जाती है.
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