अवमानना के लिए प्रशांत भूषण पर लगा 1 रुपया जुर्माना, नहीं चुकाया तो जाएंगे जेल, प्रैक्टिस पर बैन
27 जून और 29 जून को प्रशांत भूषण ने वर्तमान चीफ जस्टिस और 4 पूर्व चीफ जस्टिस पर 2 विवादित ट्वीट किए थे. कोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए उनसे जवाब मांगा था.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अपनी अवमानना के मामले में वकील प्रशांत भूषण को 1 रुपया जुर्माने की सजा दी है. अगर प्रशांत भूषण यह जुर्माना 15 सितंबर तक जमा नहीं कराएंगे, तो उन्हें 3 महीने के लिए जेल भेजा जाएगा. 3 साल तक वकालत पर भी पाबंदी लग जाएगी.
जजों पर विवादित टिप्पणी का मामला
27 जून और 29 जून को प्रशांत भूषण ने वर्तमान चीफ जस्टिस और 4 पूर्व चीफ जस्टिस पर 2 विवादित ट्वीट किए थे. कोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए उनसे जवाब मांगा था. लेकिन उन्होंने अपने बयान पर सफाई देते हुए जो जवाब दाखिल किया, उसमें जजों पर और ज्यादा इल्जाम लगा दिए. कोर्ट ने इस स्पष्टीकरण को अस्वीकार करते हुए 14 अगस्त को उन्हें अवमानना का दोषी करार दिया. कोर्ट ने उन्हें बिना शर्त माफी मांगने के लिए समय दिया. लेकिन भूषण ने इससे मना कर दिया.
सुनवाई के दौरान भी रवैया सही नहीं
भूषण के माफी न मानने के बाद उन्हें सजा मिलनी तय हो गई थी. आज सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा, बी आर गवई और कृष्ण मुरारी की बेंच ने सजा पर आदेश देते हुए यह कहा कि भूषण ने अवमाननापूर्ण ट्वीट किए. इसके बाद अपने जवाब में भी जजों पर आरोप लगाए. इतना ही नहीं कोर्ट में दाखिल अपने तमाम जवाब पहले मीडिया को जारी किए. जिस व्यक्ति पर अवमानना की कार्यवाही चल रही हो, उसका ऐसा करना सही संकेत नहीं देता है.
My lawyer & senior colleague Rajiv Dhavan contributed 1 Re immediately after the contempt judgement today which I gratefully accepted pic.twitter.com/vVXmzPe4ss
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) August 31, 2020
‘4 जजों की प्रेस कांफ्रेंस गलत थी’
जब इस मामले की सुनवाई हुई थी तब प्रशांत भूषण के वकील राजीव धवन प्रेस के सामने जाने पर बचाव करते हुए सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों की तरफ से 12 जनवरी 2018 को की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस का हवाला दिया था. इस दलील को फैसले में दर्ज करते हुए कोर्ट ने लिखा है, “हम यह मानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के जजों का प्रेस कॉन्फ्रेंस करना सही नहीं था. इसका उदाहरण देकर अवमानना के दोषी का बचाव नहीं किया जा सकता है.“
खेद जताने के पूरा मौका दिया
सुनवाई के दौरान एटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने भूषण को सजा न देने की सलाह दी थी. इस पर जजों ने फैसले में लिखा है कि एटॉर्नी जनरल ने खुद एक बार अपने बारे में की गई गलतबयानी के लिए भूषण पर अवमानना की प्रक्रिया शुरू की थी. लेकिन बाद में उनके खेद जताने पर मामला वापस ले लिया था. ऐसा ही मौका प्रशांत भूषण को इस मामले में भी दिया गया. लेकिन उन्होंने जजों पर लगाए अपने आरोप वापस नहीं लिए. न ही कोई खेद जताया.
सज़ा की घोषणा
3 जजों की बेंच की तरफ से आदेश पढ़ते हुए जस्टिस अरुण मिश्रा ने अंत में सजा का एलान किया. कोर्ट ने कहा, “अवमानना के दोषी को 1 रुपया जुर्माना जमा करवाने की सजा दी जाती है. अगर वह 15 सितंबर तक ऐसा नहीं करता है, तो उसे 3 महीने की साधारण कैद की सजा मिलेगी. 3 साल तक वकालत से भी रोक दिया जाएगा.
गेंद भूषण के पाले में
साफ तौर पर कोर्ट ने इस आदेश में अपनी तरफ से उदारता दिखाते हुए प्रशांत भूषण को मौका दिया है कि वह मामूली जुर्माना देखकर कड़ी सज़ा से बच जाएं. अब यह प्रशांत भूषण पर निर्भर करता है कि वह मामूली और कठोर सजा में से किस विकल्प को चुनना चाहेंगे.