Prashant Bhushan on Mahua: 'महुआ ग्लैमरस, डरती नहीं हैं', पढ़े कैसे प्रशांत भूषण ने फिर साधा केंद्र पर निशाना
Prashant Bhushan Questions Centre: सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने एक एडिटोरियल का सहारा लेकर एक बार फिर महुआ मोइत्रा का जिक्र कर केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है.
Prashant Bhushan Post On Mahua Moitra: घूस लेकर संसद में सवाल पूछने के आरोपों में संसद की सदस्यता से बर्खास्त की गईं तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा का जिक्र एक बार फिर हो रहा है. सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने "द गार्डियन" में लिखे गए एक एडिटोरियल का लिंक शेयर कर नरेन्द्र मोदी सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि महुआ मोइत्रा सरकार के खिलाफ तीखे सवाल पूछती थीं. इसलिए व्यवस्थित तरीके से उन्हें चुप करने की कोशिश हुई है.
दरअसल लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (एलएसई) की प्रोफेसर मुकुलिका बनर्जी ने "द दार्डियन" में एक एडिटोरियल लिखी है जो महुआ मोइत्रा के संबंध में है. "एक सांसद, उसका एक्स और उनका कुत्ता" शीर्षक से लिखे इस आलेख में मुकुलिका बनर्जी ने लिखा है कि महुआ मोइत्रा और उनके एक्स के बीच "हेनरी" नाम के एक रोटविलर कुत्ते के लिए जंग शुरू हुई जो आखिरकार महुआ को संसद से बर्खास्त करने पर जाकर खत्म हुई.
इसी एडिटोरियल का लिंक और एक पैराग्राफ को प्रशांत भूषण ने अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर शेयर किया है.
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"Mahua breaks the mould of an Indian parliamentarian,” said Mukulika Banerjee, a professor at LSE. “She is glamorous, she’s smart, she’s relentless and she’s unafraid to ask difficult questions of the govt, even when they try to humiliate her. This misogynistic government doesn’t…
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) December 27, 2023
महुआ ग्लैमरस हैं"
इसमें उन्होंने लिखा है एलएसई की प्रोफेसर मुकुलिका बनर्जी कहती हैं कि महुआ भारतीय सांसदों के पुराने ढर्रे को तोड़ती हैं. वह ग्लैमरस हैं, स्मार्ट हैं, मेहनती हैं और सरकार से तीखे सवाल पूछने से नहीं डरतीं, भले ही उन्हें अपमानित होना पड़े."
नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए प्रशांत भूषण ने लिखा है कि यह स्त्रीद्वेषी सरकार नहीं जानती है कि ऐसे मामलों को कैसे संभालना है. इसलिए महुआ को चुप कराने के लिए व्यवस्थित प्रयास किया गया है.
क्यों संसद से बर्खास्त की गईं महुआ
महुआ के खिलाफ पूरे मामले की शुरुआत भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के आरोपों से हुई. दुबे ने मोइत्रा पर संसद में सवाल पूछने के लिए रियल स्टेट कारोबारी हीरानंदानी से रिश्वत लेने का आरोप लगाया था. निशिकांत दुबे ने ये आरोप महुआ के पूर्व दोस्त जय अनंत देहाद्रई की शिकायत के आधार पर लगाए. निशिकांत की शिकायत पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कमेटी का गठन किया. इस बीच हीरानंदानी ने भी सभी आरोपी को स्वीकार किया और कहा कि उन्होंने महुआ को महंगे उपहार दिए हैं.
कमेटी ने महुआ मोइत्रा, निशिकांत दुबे समेत कई लोगों के बयान दर्ज किए थे.
विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली समिति ने 9 नवंबर को एक बैठक में 'कैश-फॉर-क्वेरी' के आरोप पर महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता रद्द करने की सिफारिश करते हुए अपनी रिपोर्ट तैयार की थी. कमेटी के 6 सदस्यों ने रिपोर्ट के पक्ष में मतदान किया था. इनमें कांग्रेस सांसद परनीत कौर भी शामिल थीं, जिन्हें पहले पार्टी से निलंबित कर दिया गया था. 8 दिसंबर को संसद में रिपोर्ट पेश की गई जिसके बाद ध्वनि मत से महुआ को संसद से बर्खास्त करने का प्रस्ताव पारित हुआ.