जाने-माने अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने भारत के चीफ जस्टिस एसए बोबड़े की आलोचना करने वाले 21 अक्टूबर के अपने ट्वीट में ‘गलती’ पर खेद जताया है. उन्होंने मध्यप्रदेश सरकार द्वारा प्रधान न्यायाधीश को विशेष हेलीकॉप्टर मुहैया कराए जाने की आलोचना की थी. भूषण ने कहा था कि कान्हा राष्ट्रीय उद्यान की यात्रा के दौरान प्रधान न्यायाधीश ने विशेष हेलीकॉप्टर सेवा ली, वह भी ऐसे वक्त में जब दल बदल करने वाले मध्यप्रदेश के विधायकों की अयोग्यता का मुकदमा उनके समक्ष लंबित है. मध्यप्रदेश सरकार का टिके रहना इस मुकदमे पर निर्भर है. हालांकि भूषण ने अपने इस ट्वीट पर चार नवंबर को खेद जताया.


उन्होंने ट्वीट किया है, 'मध्यप्रदेश में कांग्रेस छोड़ कर शिवराज (सिंह चौहान) सरकार में मंत्री बनने वाले कांग्रेस विधायकों की सीटों पर मतदान हुआ. शिवराज सरकार का टिके रहना इन विधायकों के पुन:निर्वाचन पर निर्भर है, उनके मंत्री पद को चुनौती देने वाली प्रधान न्यायाधीश की अदालत में लंबित याचिका के फैसले पर नहीं. मैं नीचे के ट्वीट में अपनी गलती पर खेद प्रकट करता हूं.'


सुप्रीम कोर्ट लगा चुकी है जुर्माना


सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त को अपनी अवमानना के मामले में वकील प्रशांत भूषण को 1 रुपया जुर्माने की सजा दी थी. शीर्ष अदालत ने कहा था कि अगर प्रशांत भूषण यह जुर्माना 15 सितंबर तक जमा नहीं कराएंगे, तो उन्हें 3 महीने के लिए जेल भेजा जाएगा. 3 साल तक वकालत पर भी पाबंदी लग जाएगी.


27 जून और 29 जून को प्रशांत भूषण ने वर्तमान चीफ जस्टिस और 4 पूर्व चीफ जस्टिस पर 2 विवादित ट्वीट किए थे. कोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए उनसे जवाब मांगा था.उन्होंने अपने बयान पर सफाई देते हुए जो जवाब दाखिल किया, उसमें जजों पर और ज्यादा इल्जाम लगा दिए. कोर्ट ने इस स्पष्टीकरण को अस्वीकार करते हुए 14 अगस्त को उन्हें अवमानना का दोषी करार दिया. कोर्ट ने उन्हें बिना शर्त माफी मांगने के लिए समय दिया. लेकिन भूषण ने इससे मना कर दिया.


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