नई दिल्ली: देश के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण इस समय पूरे देश में चर्चा का विषय बन गए हैं. जजों और न्यायपालिका के खिलाफ ट्वीट को लेकर वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना मामला चल रहा है. मंगलवार को इस मामले में सजा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
इस बीच प्रशांत भूषण के जीवन को लेकर भी लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है. हम आपको बताने जा रहे हैं उनकी शिक्षा के बारे में. आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि जिन प्रशांत भूषण की गिनती देश के चोटी के वकीलों में होती है वह हमेशा से वकील नहीं बनना चाहते थे.
स्कूली शिक्षा खत्म करने के बाद प्रशांत भूषण ने आईआईटी से इंजीनियरिंग करने का मन बनाया था लेकिन पहले सेमेस्टर के बाद ही वह घर वापस आ गए.
मार्च 2011 में दिए अपने एक इंटरव्यू में वह कहते हैं कि स्कूल के बाद उनकी दिलचस्पी फिजिक्स में बढ़ी और इसी के चलते उन्होंने आईआईटी मद्रास में दाखिला ले लिया. हालांकि उन्हें जल्द ही यह अहसास हो गया कि उनकी इंजीनियरिंग में कोई दिलचस्पी नहीं है और वह पहले सेमेस्टर के बाद वापस आ गए.
इसके बाद भूषण ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का रुख किया और दर्शन, अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान की पढ़ाई करने का फैसला किया. कॉलेज खत्म होने के बाद ही देश में तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगा दिया गया.
प्रशांत भूषण द्वारा एक अंग्रेजी अखबार को दिए एक इंटरव्यू के मुताबिक वह कॉलेज बाद आगे दर्शनशास्त्र की पढ़ाई करना चाहते थे लेकिन करीबी लोगों ने उनसे कहा कि कॉलेज में फिलॉसफी का डिपार्टमेंट कुछ अच्छा नहीं है. जिसके बाद उन्होंने तय किया कि वह औपचारिक रूप से एलएलबी और अनौपचारिक रूप से फिलॉसफी और फिजिक्स पढ़ेंगे.
एलएलबी पूरी करने के बाद उन्होंने पीएचडी के लिए आवेदन दिया. उन्हें छात्रवृत्ति भी मिली थी. वह प्रिंसटन यूनिवर्सिटी चले गए. वह भारत ढाई साल बाद लौटे और वकालत की प्रैक्टिस करने लगे.
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