नई दिल्ली: चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर जनता दल युनाइटेड के नेता बन गए हैं . बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने आज उन्हें पटना में जेडीयू में शामिल कर लिया. ख़बर है कि प्रशांत किशोर यानी पीके को पार्टी में बड़ी ज़िम्मेदारी दी जाएगी, उनके लोकसभा चुनाव लड़ने की भी चर्चा है. वे बिहार के बक्सर जिले के रहने वाले हैं. पीके इससे पहले सीएम नीतिश कुमार के सलाहकार भी रह चुके हैं, उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी मिला हुआ था.


प्रशांत किशोर इन दिनों अपने सर्वे को लेकर चर्चा में थे, जिसमें पीएम नरेन्द्र मोदी सबसे लोकप्रिय नेता चुने गए थे. पिछले ही हफ़्ते उन्होंने एलान किया था कि वे अब किसी के लिए चुनावी रणनीति बनाने का काम नहीं करेंगे तभी से इस बात की अटकलें लगाई जा रही थीं कि पीके सक्रिय राजनीति में आने वाले हैं. ये भी कहा जा रहा है कि बिहार में लोकसभा चुनाव के लिए वे बीजेपी और जेडीयू के बीच पुल का काम करेंगे.


2014 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद नीतीश कुमार नेपथ्य में चले गए थे. नरेन्द्र मोदी के लिए लोकसभा चुनाव में प्रचार का काम करने वाले पीके का भी बीजेपी से मोहभंग हो चुका था. ऐसे बदले हुए हालात में दोनों साथ आए और फिर 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में पीके ने अनहोनी को होनी कर दिया. लालू यादव और नीतीश कुमार एक हुए, आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस के महागठबंधन ने बीजेपी को धूल चटा दी. प्रशांत किशोर इस जीत के नायक माने गए, चुनाव में पर्चा पर चर्चा का उनका आईडिया हिट रहा.


पीके को नीतीश इतना मानते थे कि उनकी कुर्सी बगल में लगती थी. कोई भी बड़ा फ़ैसला बिना पीके के नहीं होता था. विधानसभा चुनाव में लालू यादव और नीतीश कुमार की रैलियां कहां होंगीं, ये भी पीके ही तय करते थे. मुस्लिम नेताओं को मंच और मीडिया से दूर रखने का प्रशांत किशोर का आइडिया भी कामयाब रहा. गठबंधन की सरकार बनने पर सीएम नीतीश ने उन्हें अपना सलाहकार बना लिया था.


प्रशांत किशोर इसके बाद राहुल गांधी के संपर्क में आए. 2016 में राहुल गांधी और उनकी टीम से पीके की कई दौर की बैठकें हुईं. उन्हें यूपी और पंजाब के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की रणनीति बनाने का काम मिल गया. कहते हैं कि प्रशांत किशोर के सुझाव पर ही यूपी में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के साथ चुनावी तालमेल किया. कांग्रेस की तरफ़ से पीके ने ही अखिलेश यादव से सीटों का फ़ार्मूला तय किया लेकिन 2017 में विधानसभा चुनाव में यूपी की जनता ने लड़कों के साथ को पसंद नहीं किया.


एसपी और कांग्रेस बुरी तरह हारी लेकिन पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की वापसी ने पीके की लाज रख ली. वैसे कांग्रेस की इस जीत के लिए वाहवाही कैप्टन साहेब को मिली. प्रशांत किशोर की संस्था IPAC इन दिनों वाईएसआर पार्टी के लिए काम कर रही थी.


कौन हैं प्रशांत किशोर?
प्रशांत किशोर बड़े चुनावी रणनीतिकार हैं, बीजेपी, कांग्रेस, जेडीयू के लिए काम कर चुके हैं. 8 साल संयुक्त राष्ट्र में हेल्थ एक्सपर्ट रह चुके प्रशांत किशोर को पीके नाम से भी जाना जाता है. जंग का मैदान कितना भी बड़ा हो प्रशांत किशोर हमेशा पर्दे के पीछे से रहकर ही भूमिका निभाई है. 2012 में पहली बार गुजरात विधानसभा चुनाव में मोदी के लिए रणनीति बनाई.


2013 में सिटीजन फॉर अकाउंटबेल गवर्नेंस नाम की संस्था बनाई. 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को पीएम बनाने में अहम भूमिका निभाई. सोशल मीडिया कैंपन, चाय पर चर्चा, 3 डी प्रचार, रन पर यूनिटी से मोदी की मदद की.


2015 में जेडीयू के साथ आए, बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की मदद की. 2016 में नीतीश कुमार ने बिहार विकास मिशन का अध्यक्ष बनाया. 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत में अहम भूमिका निभाई. 2017 यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मदद की लेकिन बीजेपी जीत गई.