राजनीतिक रणनीतिकार और जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने बिहार की राजनीति में जाति के महत्व पर कहा कि यहां जाति का उतना ही महत्व है जितना दूसरे राज्यों में है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस से लेकर बीजेपी को कई चुनाव में बिहार से भर-भर कर वोट मिले हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिक्र करते हुए कहा कि यहां लोग उनके नाम पर वोट कर रहे हैं, लेकिन क्या उनकी जाति के लोग यहां रहते हैं. प्रशांत किशोर ने कहा कि किसी व्यक्ति, घटना या नेरेटिव से समाज में लहर बनती है, जिसकी वजह से वोट पड़ते हैं. अगर कोई ये कहता है कि इसलिए हार गए क्योंकि जाति के वोट दूसरे को पड़ गए तो यह गलत है. इसकी वजह ये है कि समाज में उनकी पात्रता नहीं बनी.


प्रशांत किशोर ने उस सवाल पर यह जवाब दिया, जिसमें उनसे पूछा गया कि वह ब्राह्मण हैं तो बिहार की राजनीति में वह कहां फिट बैठते हैं. इस पर प्रशांत किशोर ने कहा, 'जो लोग बिहार को बढ़ते हुए देखना नहीं चाहते हैं, वो ऐसे कहते हैं कि बिहार में तो कुछ हो ही नहीं सकता. वहां सब जाति पर ही है.  मैं डिटेल में समझाना चाहता हूं. मैंने हर जगह चुनाव करवाए हैं. हर जगह चुनाव की इतनी ही महत्ता है, जितनी बिहार में है. जब आप चुनाव लड़ते या लड़ाते हैं तो आपको सारे पहलुओं को देखना पड़ता है, उसमें जाति भी एक सच्चाई  है. जाति को समझना और जाति की राजनीति करना ये दो बातें हैं. आपको समझ होनी चाहिए.' 


1984 में कैसे कांग्रेस ने किया स्वीप?
प्रशांत किशोर ने 1984 और 1989 के चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि इन चुनावों में कांग्रेस और बी.पी. सिंह की जीत इसलिए हुई क्योंकि उनकी लहर थी. जैसे इंदिरा गांधी की मृत्यु से एक माहौल बना और कांग्रेस ने 1984 में बिहार में स्वीप किया. उन्होंने कहा, 'जातियों का अनुपात तो वही रहता है, जो 1984 में था वही आज है तो कांग्रेस क्यों जीत गई. आप कहेंगे कि इंदिरा गांधी जी की मौत से उपजी हुई सहानुभूति की वजह से लहर थी इसलिए कांग्रेस जीत गई. 1989 में उसी बिहार में बी.पी. सिंह की पार्टी जनता दल जीतकर आई, उसने स्वीप किया. मैं पूछूंगा जाति तो उस समय भी थी, तो क्या हुआ. आप कहेंगे नहीं प्रशांत जी उस समय बोफोर्स को लेकर एक बहुत बड़ा माहौल बन गया था. एंटी करप्शन के नेरेटिव पर चुनाव लड़ा गया था, बीपी सिंह की लहर थी इसलिए चुनाव जीत गए.'


2014 में पीएम मोदी को बिहार में मिले वोट, बोले प्रशांत किशोर
उन्होंने 2014 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की जीत की बात की और कहा कि मोदी लहर थी, जिसकी वजह से बीजेपी को खूब वोट पड़े. प्रशांत किशोर ने कहा, '2014 में नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव सबके रहते हुए बीजेपी जीत गई क्योंकि मोदी जी की आंधी थी. ये तीनों उदाहरण आपको क्या बताते हैं कि अगर कोई व्यक्ति या कोई घटना ऐसी हो जो लोगों के दिल में बैठ जाए तो समाज में वो ताकत है कि वो जातियों से ऊपर उठकर वोट करता है. आपको ये देखना है कि लहर क्यों बनी. वो किसी व्यक्ति, घटना या नेरेटिव से बन सकती है, लेकिन मूल बात ये है कि अगर लहर बन जाए तो क्या समाज में वो ताकत है कि जातियों से ऊपर उठकर वोट करे. पीछे का अनुभव बताता है कि वो ताकत है इसलिए समाज को दोष देना गलत है.'


मुख्यमंत्री बनने के सवाल पर क्या बोले प्रशांत किशोर?
उन्होंने कहा कि जब कोई घटना या नेरेटिव या व्यक्तित्व नहीं होता तो समाज सोचता है कि चलो अपनी जाति वाले को वोट देते हैं तो जब कोई हारता है तो कहता है कि हम तो जीत रहे थे और जाति के वोटों की वजह से हार गए. ये कहना गलत है कि हम इसलिए हार गए क्योंकि सब जाति वाला दूसरे को वोट कर गया. मुख्यमंत्री बनने के सवाल पर प्रशांत किशोर ने कहा कि बनना चाहेंगे या नहीं चाहेंगे की बात नहीं है. मैं एक नई राजनीतिक व्यवस्था बनाना चाहता हूं, जिससे सत्ता का परिवर्तन हो. सत्ता परिवर्तन ऐसे लोगों के साथ हो, जिनकी सोच सही हो, जो व्यवस्था परिवर्तन में परिवर्तित हो.


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