Prashant Kishor on Congress: गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनाव में कांग्रेस का क्या होगा? प्रशांत किशोर ने किया ये दावा
Prashant Kishor on Congress: प्रशांत किशोर ने कहा है कि, चिंतन शिविर में गुजरात और हिमाचल में कांग्रेस को मिलने वाली हार तक पार्टी नेतृत्व को समय देने का काम किया गया है.
Prashant Kishor on Congress: राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस ने तीन दिन का चिंतन शिविर आयोजित किया. जिसमें पार्टी के तमाम बड़े नेताओं ने हिस्सा लिया और अपने विचार साझा किए, साथ ही आने वाले चुनावों के लिए रणनीति भी तैयार की गई. अब इस चिंतन शिविर पर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने तंज कसा है. जिसमें उन्होंने कहा है कि, चिंतन शिविर कुछ भी सार्थक हासिल करने में विफल रहा है. इतना ही नहीं पीके ने ये तक कह दिया कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश में होने वाले चुनावों में कांग्रेस की हार होने जा रही है.
चिंतन शिविर को लेकर क्या बोले पीके?
प्रशांत किशोर ने ट्विटर पर लिखा कि उनसे बार-बार यही सवाल किया जा रहा था कि कांग्रेस के चिंतन शिविर पर उनकी क्या राय है. उन्होंने लिखा, "मेरे खयाल से ये चिंतन शिविर कुछ भी सार्थक हासिल करने में विफल रहा है. ये सिर्फ यथास्थिति को लंबा खींचने और कांग्रेस नेतृत्व को समय देने के अलावा कुछ और नहीं है... कम से कम गुजरात और हिमाचल प्रदेश में मिलने वाली हार तक..."
I’ve been repeatedly asked to comment on the outcome of #UdaipurChintanShivir
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) May 20, 2022
In my view, it failed to achieve anything meaningful other than prolonging the status-quo and giving some time to the #Congress leadership, at least till the impending electoral rout in Gujarat and HP!
ठुकराया था कांग्रेस का ऑफर
इससे पहले प्रशांत किशोर ने कई बार कांग्रेस के बड़े नेताओं से मुलाकात की थी. पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी उनकी कई बार मुलाकात हुई थी, इसके बाद ये भी बताया गया कि उन्होंने कांग्रेस को कई सुझाव दिए हैं. साथ ही प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें भी लगाई जाने लगीं. लेकिन कांग्रेस के साथ पीके की बात नहीं बन पाई. कुछ दिनों बाद ही प्रशांत किशोर ने खुद इस बात का ऐलान किया कि वो कांग्रेस में शामिल नहीं हो रहे हैं. इस दौरान उन्होंने कांग्रेस को सलाह देते हुए कहा था कि, कांग्रेस को मेरी जगह मजबूत नेतृत्व और सामूहिक इच्छाशक्ति की जरूरत है.
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