कांग्रेस में अचानक बढ़ी चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की भूमिका ने सभी का ध्यान आकर्षित किया है और अब ये साफ है कि बेहद मुश्किल वक़्त से गुज़र रही कांग्रेस ने एक तरह से प्रशांत किशोर में बीजेपी का काट ढूंढ लिया है. पिछले तीन दिनों से हर रोज़ प्रशांत किशोर सोनिया गांधी के आवास 10 जनपथ पर सोनिया गांधी समेत पार्टी के बड़े नेताओं के साथ बैठक भी कर रहे हैं.


कांग्रेस के लिए रणनीति बनाने का काम शुरू
बता दें कि केवल पहली बैठक के बाद खुद राहुल गांधी विदेश चले गए थे, उसके बावजूद चाहे भविष्य की रणनीति तय करने को लेकर तमाम नेताओं के साथ हुई बैठक हो या फिर हिमाचल चुनाव को लेकर हुई बैठक या फिर आज सोनिया गांधी के घर हुई कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की उपस्थिति में मध्य प्रदेश को लेकर बैठक, प्रशांत किशोर एक के बाद एक कांग्रेस की रणनीति बनाने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं.


इसी सिलसिले में बुधवार 20 अप्रैल को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिल्ली पहुंच रहे हैं और सूत्रों के मुताबिक़ गहलोत की बैठक भी प्रशांत किशोर के साथ सोनिया गांधी के निवास पर होनी है. सूत्रों के मुताबिक़ प्रशांत किशोर लगातार तमाम राज्यों में कांग्रेस के रिवाइवल प्लान पर बैठकें करते रहेंगे. गौरतलब है कि राहुल गांधी की मौजूदगी में भी 10 जनपथ पर हुई बड़े नेताओं के साथ पहली बैठक में प्रशांत किशोर ने अपने प्रजेंटेशन में उन राज्यों मे दूसरे छेत्रीय दलों से गठबंधन की पैरवी भी की थी जहां-जहां कांग्रेस कमजोर है.


कांग्रेस में जल्द हो सकती है एंट्री
अब सूत्रों के मुताबिक प्रशांत किशोर की कांग्रेस में औपचारिक एंट्री भी जल्द हो सकती है. हालांकि एबीपी न्यूज़ को कांग्रेस के उच्च सूत्रों ने बताया कि फिलहाल प्रशांत की औपचारिक भूमिका पर कोई फैसला नहीं हुआ है, उस बारे में फिलहाल फैसला होना बाकी है. गौरतलब करने वाली बात ये है कि उत्तर प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनावों के वक्त भी राहुल गांधी ने जब सारी रणनीति का जिम्मा प्रशांत किशोर को सौंपा था, तब भी प्रशांत किशोर पार्टी में किसी औपचारिक पद पर नहीं थे. मगर आलाकमान का संदेश साफ था, प्रशांत किशोर के फैसले आखिरी फैसले होंगे.


पहले भी हुई थी कांग्रेस में शामिल करने की कोशिश
इस बार भी जिस तरह से राहुल गांधी के विदेश दौरे पर होने के बावजूद प्रशांत किशोर तमाम रणनीतिक बैठकों में शामिल हो रहे हैं, उससे साफ है कि राहुल गांधी ने एक बार फिर प्रशांत को फैसले लेने और रणनीति बनाने की पूरी आजादी देने का मन बना लिया है. हालांकि आपको ये जानने में दिलचस्पी होगी कि सूत्रों के मुताबिक़ कुछ अरसे पहले भी प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने की चर्चा गर्म थी और प्रशांत किशोर खुद भी कांग्रेस में महासचिव स्ट्रेटजी और प्लानिंग का पद लेने के इच्छुक थे. लेकिन तब पार्टी के ही कई नेताओं इसका विरोध कर दिया था और ये फैसला टल गया था. इस बार भी कयास यही लगाए जा रहे हैं कि प्रशांत किशोर को संगठन में महासचिव जैसे किसी प्रभावशाली पद पर शामिल किया जा सकता है. गांधी परिवार को उम्मीद है कि प्रशांत किशोर कांग्रेस के रिवाइवल और मोदी से टक्कर के लिए कांग्रेस पार्टी में एक बार फिर से जान फूंक सकेंगे. 


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