'वन नेशन वन इलेक्शन फायदेमंद पर सरकार की मंशा...', प्रशांत किशोर ने किया समर्थन पर उठा दिए ये सवाल
प्रशांत किशोर ने कहा कि अतीत में चीजें अलग थीं. उन्होंने कहा, 'कम से कम 1960 के दशक तक, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए चुनाव एक साथ होते थे.
जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने शुक्रवार (13 दिसंबर, 2024) को कहा कि 'वन नेशन वन इलेक्शन' देश के लिए फायदेमंद हो सकता है, बशर्ते कि यह कदम अच्छे इरादों से उठाया जाए. उन्होंने कुछ कानूनों का उदाहरण देते हुए कहा, 'कानून आतंकवाद पर अंकुश लगाने के लिए बनाए गए, लेकिन उनका इस्तेमाल एक खास समुदाय को निशाना बनाने के लिए किया गया.'
प्रशांत किशोर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने संबंधी विधेयकों को केंद्रीय मंत्रिमंडल की गुरुवार को मिली मंजूरी के बारे में पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे. इन विधेयकों को अब शीघ्र ही संसद में पेश किए जाने की संभावना है. चुनावी रणनीतिकार रह चुके प्रशांत किशोर ने कहा, 'मैं कई चुनावों में शामिल रहा हूं. मैंने देखा है कि हर साल देश का एक बड़ा हिस्सा राष्ट्रीय या राज्य स्तर के किसी न किसी चुनाव में शामिल रहता है.'
प्रशांत किशोर की चुनाव परामर्श फर्म आई-पैक (इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी जैसे विभिन्न नेताओं के चुनाव प्रचार अभियान को संभाल चुकी है.
प्रशांत किशोर ने कहा कि अतीत में चीजें अलग थीं. उन्होंने कहा, 'कम से कम 1960 के दशक तक, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए चुनाव एक साथ होते थे. अगर ऐसा फिर से होता है, तो यह देश के लिए अच्छा होगा, लेकिन यह बदलाव सुगमता से करना सुनिश्चित किया जाना चाहिए. इस तरह के बदलाव का प्रयास रातोंरात नहीं किया जाना चाहिए.'
बिहार में मुसलमानों के बीच अपनी पैठ बनाने का प्रयास कर रही जन सुराज पार्टी के संस्थापक ने यह भी कहा कि प्रस्तावित विधेयकों की सफलता काफी हद तक केंद्र की मंशा पर निर्भर करेगी.' प्रशांत किशोर ने यह टिप्पणी राजनीतिक हलकों में व्याप्त इस आशंका की पृष्ठभूमि में की है कि 'एक राष्ट्र एक चुनाव' का इस्तेमाल केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी का विरोध कर रही पार्टियों द्वारा शासित राज्य सरकारों को निशाना बनाने के लिए किया जा सकता है.
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