नई दिल्ली: संसद में नागरिकता संशोधन क़ानून का समर्थन करने के बाद कई राजनैतिक दलों का मन बदलने लगा है. एनआरसी के विरोध में सब एकजुट हो गए हैं. ताज़ा मामला जगन मोहन रेड्डी का है. आंध्र प्रदेश के मुख्य मंत्री ने कहा कि वे अपने यहां एनआरसी लागू नहीं होने देंगे. अगर संसद में बिल आया तो उनकी पार्टी वाईएसआर कांग्रेस इसका विरोध करेगी. पता चला है कि प्रशांत किशोर के कारण जगन मोहन ने ये फ़ैसला किया है. प्रशांत पिछले हफ़्ते भर से उन्हें मनाने और समझाने में लगे थे. उनकी कंपनी I-PAC ने ही उनके लिए विधानसभा चुनाव में रणनीति बनाई थी. लोकसभा में पार्टी के 22 सांसद हैं. वाईएसआर कांग्रेस ने संसद में नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन किया था.
जगन मोहन से पहले प्रशांत किशोर बिहार के सीएम नीतीश कुमार का भी ह्रदय परिवर्तन कर चुके हैं. इसके लिए उन्हें अपनी पार्टी जेडीयू में भारी विरोध का सामना करना पड़ा. लेकिन आख़िरकार वे नीतीश को मनाने में कामयाब रहे. उन्होंने एनआरसी का विरोध करने का ऐलान कर दिया है. पटना में नीतीश ने कहा ''काहे का एनआरसी''. जेडीयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने तो अपनी पार्टी से नागरिकता संशोधन बिल का भी विरोध करने की अपील की थी. लेकिन इस मिशन में वे कामयाब नहीं रहे. लेकिन एनआरसी के मुद्दे पर बीजेपी के ख़िलाफ़ मुख्यमंत्रियों को वे जोड़ते जा रहे हैं. जेडीयू तो बीजेपी की सहयोगी पार्टी है. बिहार में साथ में सरकार चला रही है. अगले साल वहां विधानसभा के चुनाव होने हैं.
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी पलट चुके हैं. नागरिकता संशोधन क़ानून पर वे मोदी सरकार के साथ रहे. लेकिन एनआरसी से उन्होंने तौबा कर ली है. वे दो टूक कह चुके हैं कि उन्हें एनआरसी मंजूर नहीं. नागरिकता संशोधन बिल पर बीजेडी ने लोकसभा और राज्यसभा में सरकार के साथ वोट किया था. प्रशांत किशोर इन दिनों बंगाल में ममता बनर्जी और दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के लिए काम कर रहे हैं. ये दोनों ही मुख्य मंत्री CAA के साथ-साथ NRC के कट्टर विरोधी हैं.