Prashant Kishore Interview: चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने नई पार्टी जनसुराज का गठन कर दिया है. नई पार्टी के ऐलान के बाद पीके ने एबीपी से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बीजेपी, नीतीश कुमार से लेकर ममता बनर्जी और कांग्रेस से बात बिगड़ने से जुड़े सवाल का भी जवाब दिया.
प्रशांत किशोर से पूछा गया कि उन्होंने बीजेपी के साथ काम किया. इसके बाद नीतीश कुमार, कांग्रेस, ममता बनर्जी के लिए काम किया. लेकिन चुनाव जीतने के बाद उनकी हर जगह क्यों बात बिगड़ जाती है? इस सवाल के जवाब में पीके ने कहा, क्योंकि प्रशांत किशोर उनके साथ रहकर दलाली नहीं करना चाहते हैं. प्रशांत किशोर असंवैधानिक पावर सेंटर नहीं बनना चाहते हैं.
पीके ने कहा कि जब आप किसी को चुनाव जिताते हैं, तो सबसे आसान काम होता है कि उन्हीं के साथ बने रहिए और ग्लोरीफाइड दलाल बन जाइए. नौकरशाहों की पोस्टिंग, ट्रांसफर कराइये, ठेकेदारों को ठेका दिलाइए.
'प्रशांत किशोर का लक्ष्य दलाली करना नहीं'
प्रशांत किशोर ने कहा कि पार्टियां तो चाहती हैं कि मैं पार्टी में रहकर नेताओं को टिकट दिलाता रहूं और पैसा कमाता रहूं, लेकिन वे ये सब नहीं कर सकते हैं, जिसकी वजह से उनकी चुनाव जिताने के बाद पार्टी के बड़े नेताओं से अनबन हो जाती है. प्रशांत किशोर ने कहा कि उनका लक्ष्य ये सब करना नहीं है, इसलिए जो जीते उनको मुबारक, उनको मदद की लोग चाहते थे इसलिए वो जीते और मैं अपनी यात्रा में आगे बढ़ गया.
नीतीश कुमार से प्रशांत कैसे हुए अलग?
प्रशांत किशोर से जब पूछा गया कि आपका नीतीश कुमार के साथ तो अच्छा बनता था, पार्टी में नंबर दो के नेता बन गए, फिर अचानक क्या हो गया? इसका जवाब देते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि उन्होंने नीतीश कुमार को तब छोड़ दिया, जब पार्टी की बैठक में नीतीश कुमार ने कहा कि उनकी पार्टी सीएए और एनआरसी के विरोध में रहेगी, जबकि संसद में उन्होंने इसके पक्ष में वोटिंग की.
प्रशांत किशोर ने कहा कि इसका विरोध करने पर उनको पार्टी से निकाल दिया गया और यह अच्छा हुआ नहीं जो दुर्दशा आज नीतीश की हो रही है, वही उनकी होती. नीतीश कुमार की छवि आज देश में पलटू राम की तरह है.
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