पटना: बिहार में पंचायत चुनाव के बहाने प्रशांत किशोर अपने पांव जमाएंगे. जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और रणनीतिकार प्रशान्त किशोर ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में कहा कि बीजेपी अपने एजेंडा को लागू कर रही है. प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश की छवि इसमें खराब या अच्छी हुई है इसका कोई साइंटिफिक डेटा नहीं है पर वक्त बताएगा. किशोर ने कहा कि अगर नीतीश कुमार एनआरसी पर यू टर्न लेंगे तो फिर उस समय वो डिसीजन लेंगे.


विश्वास है कि नीतीश एनआरसी पर पुराने स्टैंड पर कायम रहेंगे


एबीपी न्यूज से खास बातचीत में प्रशांत किशोर ने कहा कि मैंने कोई पार्टी विरोधी बात नहीं की है, मैंने अपना ओपिनियन नागरिकता संशोधन कानून पर दिया. पार्टी का जो इस मुद्दे पर स्टांस है उसके परिपेक्ष में मैंने अपनी बात रखी है जो पब्लिक डोमेन में है, उसकी चर्चा भी नीतीश कुमार से हुई.  वहां से निकलने के बाद पत्रकारों से बात हुई. इस क्रम में मैंने बताया भी की जो बिल पास हो गया वो तो पास हो गया पर पार्टी का जो मत एनआरसी पर है वो जो पहले था वही रहेगा. पार्टी का मानना रहा है कि बिहार में एनआरसी की जरूरत नहीं है, मुझे लगता है कि पार्टी का ये मत एनआरसी पर बना रहेगा.


नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी देश हित में नहीं


नागरिकता संशोधन कानून पर जो भी मुझे कहना था पिछले दो ती- दिनों में मैंने कहा है, और भी लोग जिनके ओपिनियन सरकार के ओपिनियन से अलग है. उन्होंने भी अपनी बात पब्लिक डोमेन में रखी है, हमनें भी अपनी बात पब्लिक डोमेन में रखी है और ये बात हमने अपने नेता नीतीश कुमार को भी बताई है. अब उस चीज को फिर से चर्चा की कोई जरूरत नहीं. मै इस बात पर कायम हूं कि नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी का जो कॉम्बिनेशन है वो देश के हित में नहीं है.


नीतीश की छवि को कितना फायदा या नुकसान हुआ ये वक्त बताएगा


मैंने पहले भी बताया है कि मेरे पास ऐसा कोई साइंटिफिक असेसमेंट नहीं है, जिसके आधार पर ये बताया जा सके कि इसका फायदा हुआ या नुकसान हुआ और नुकसान हुआ तो कितना हुआ, लेकिन जब भी आप किसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर अपना स्टांस चेंज करते हैं और अगर उसको इफेक्टिव तरीके से लोगों को न बता पाएं कि क्यों आपने ये निर्णय लिया है तो इसका फायदा या नुकसान हो सकता है.


नीतीश कुमार को मुझसे कोई तकलीफ नहीं


ये बड़ी पार्टी है, मैं राजनीति में नया आया हूं. संभव है कि मुझे और सुधार की जरूरत है, मुझे मेरी समझ को और बेहतर करने की जरूरत है, अगर पार्टी में कोई वरिष्ठ सहयोगी हैं जिनको कोई बात नागवार गुजरती है या कोई बात अच्छी नहीं लगती है तो उसका सम्मान करता हूं. मुझे किसी पर भी व्यक्तिगत टिका-टिप्पणी नहीं करनी है. जहां तक नीतीश कुमार का सवाल है तो उन्होंने मुझे कभी ऐसा नहीं कहा कि मेरे किसी व्यवहार या आचरण से उन्हें कोई तकलीफ है.


झारखंड चुनाव पर बोले- पार्टी तय करेगी मुझसे काम लेना है या नहीं


झारखंड चुनाव पर दूरी के सवाल पर प्रशांत किशोर ने कहा कि जेडीयू के पास बहुत सारे रिसोर्स हैं, उनके पास बहुत सारे नेता हैं. जरूरी नहीं है हर जगह मेरा ही उपयोग किया जाए. पिछली बार पार्टी में पटना यूनिवर्सिटी में चुनाव लड़ाने की जिम्मेदारी मेरे कंधों पर रखी थी. मेरे पास जो क्षमता और बुद्धि थी मैंने उसे लगाया. उसमे थोड़ी सफलता भी मिली. उसके लिए मुझे खुशी है और नीतीश कुमार ने इसके लिए मेरी सराहना भी की. इस बार पार्टी को लगा कि पीयू का इलेक्शन दूसरे तरीके से लड़ा जा सकता है उसमें कोई दिक्कत नहीं है.


क्या बीजेपी से नज़दीकी नीतीश की आपसे दूरी की वजह है


मैं इसको इस नजरिए से नही देखता हूं, ये निर्णय बीजेपी नहीं करती. ये निर्णय तो पार्टी का नेतृत्व करता है, जेडीयू का नेतृत्व करता है, अगर उन्होंने डिसाइड किया कि पिछले बार पटना यूनिवरसिटी में सहयोग करना है तो मैंने किया. जहां पार्टी को मेरी जरूरत होती है और जहां पार्टी मुझे बुलाती है मैं वहां जाता हूं. झारखंड चुनाव में बहुत ज्यादा एक्टिव नहीं हूं.


पंचायत चुनाव के जरिए अपना आधार बना रहे हैं प्रशांत किशोर


इस सवाल पर प्रशांत ने कहा कि ये वीजिबल नहीं है, जहां तक पार्टी के युवाओं को जोड़ने का सवाल है वो पहले तीन महीने में जिस पीरियड की बात कर रहे हैं. करीब 12 हजार लोगों ने पार्टी जॉइन की है. उसके बाद भी हम लोगों ने ग्रासरूट स्तर पर पूरी ताकत से लगे हैं .


एनआरसी पर स्टैंड कायम है


बातचीत के दौरान एनआरसी के सवाल पर प्रशांत किशोर ने कहा कि मैं इस पर कोई टिप्पणी नही करूंगा. वो नीतीश कुमार ही बताएंगे. जहां तक मेरा सवाल है, मैं अपने स्टैंड पर कायम हूं. नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी इस कॉम्बिनेशन को हम अलग-अलग देख ही नहीं सकते. एनआरसी और नागरिकता संशोधन कानून का जो बवंडर खड़ा हुआ है. ये असम से शुरू हुआ है. असम में एनआरसी लागू किया गया. वहां पर 19 लाख लोग का एनआरसी में नाम नहीं आया. उसके बाद से सीएजी की परिकल्पना उस पर चर्चा और उसका प्रावधान शुरू किया गया. इसको अगर आप ध्यान से देखें तो 19 लाख लोग जिनका एनआरसी मे नाम नहीं आया, वो किसी वर्ग या सम्प्रदाय से नहीं हैं. उसमें ज्यादातर लोग हिन्दू हैं. 1 लाख से ज्यादा लोग गोरखा समाज के हैं. दो ढाई लाख लोग बिहार-यूपी के हैं, जिनका नाम वहां नहीं आया. माइनॉरिटी के लगभग चार पांच लाख लोग हैं. एनआरसी होने से एक संप्रदाय को नुकसान है ऐसी बात नहीं है. जिस गरीब व्यक्ति के पास सारे डाक्यूमेंट्स न हों, या जो प्रमाणिक तरीके से न बता सके कि वो पिछले 20 साल से 25 साल से या पिछले दो तीन पीढ़ियों से रह रहा हो उसको ये तकलीफ आ सकती है.


बीजेपी नागरिकता कानून लाकर अपना एजेंडा लागू कर रही


बीजेपी जो कर रही है ये उनका लोकतांत्रिक अधिकार है. मैं ऐसा मानता हूं कि बीजेपी का एजेंडा है. बीजेपी ने उस एजेंडे पर चुनाव लड़ा है. लोकतंत्र में जनता ने जिस एजेंडे को स्वीकार किया है उस पार्टी की जिम्मेदारी है कि उस काम को पूरा करे. उन्होंने कहा कि आप मेरा ट्वीट देखें, मैंने इसलिए ये कहा है कि जो नॉन बीजेपी मुख्यमंत्री हैं उनके एजेंडे या घोषणा पत्र में नागरिकता संशोधन कानून या एनआरसी की बात नहीं कही गई है.


हम लोगों ने लोकसभा में घोषणापत्र जारी नहीं किया. कहीं से भी हम लोगों ने एनआरसी को सपोर्ट नहीं किया है. ये बात सिर्फ जेडीयू के लिए लागू नहीं होती है. मैं फिर से दोहरा रहा हूं, बीजेपी का ये लोकतांत्रिक अधिकार है कि वो जिन मुद्दों पर चुनाव लड़ा है, जनता ने उन्हें सपोर्ट किया है उन्हें लागू कर सकती है. मुझे ऐसा लगता है कि नीतीश कुमार अपने एजेंडे पर कायम हैं और अपने एजेंडे पर कायम रहेंगे. अगर ये विश्वास नहीं रहता तो पूरे भारत की पार्टी को देखने के बाद ये पार्टी जॉइन नहीं करता.


इसमें कहीं कोई दो राय नहीं है कि मुझे जमीन पर मेहनत करने की जरुरत है. मुझे बेहतर करने की जरूरत है. बिहार में समय देना चाहिए. जमीनी स्तर पर काम करना चाहिए. लोगों ने भी इस बात को उठाया है. मैं इस बात का सम्मान करता हूं. जहां तक सवाल है कि पंचायत स्तर के जो युवा जुड़े हैं, उनको तैयार करने का. इस बयान से मुझे कोई लेना देना नहीं है. मेरा प्रयास है कि उनको आगे बढ़ने में मदद कर सकूं तो मैं अगले दो तीन साल लगाना चाहता हूं. आइपैक एक छोटी सी संस्था है. बीजेपी के पास बहुत बड़ी क्षमता स्वयं की है.


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