पटना: प्रशांत किशोर ने एक बार फिर ट्वीट कर नीतीश कुमार पर मतदाताओं के साथ विश्वासघात का आरोप लगाया. जेडीयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर लगातार नागरिकता बिल पर ट्वीट के जरिए नीतीश पर हमला कर रहे हैं.


इस बार प्रशांत किशोर ने नीतीश के चेहरे पर ही सवाल उठा दिया. प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर लिखा कि "सिटिजनशिप अमेडमेंट बिल का समर्थन करने से पहले जेडीयू नेतृत्व को उन लोगों के बारे में एक बार जरूर सोचना चाहिए जिन्होंने 2015 में उन पर विश्वास और भरोसा जताया था. हमें नहीं भूलना चाहिए कि 2015 की जीत के लिए पार्टी और इसके प्रबंधकों के पास जीतने के बहुत रास्ते नहीं बचे थे."


प्रशांत सिंह के इस हमले का जवाब में नीतीश कुमार के सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज सिंह ने दिया. एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए नीरज सिंह ने कहा कि " राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी इस बात को कुबूल किया है कि देश का विभाजन धार्मिक आधार पर हुआ है, ये ऐतिहासिक तथ्य है और नागरिकता संशोधन विधेयक में विस्तार से पार्टी के संसदीय दल के नेताओं ने लोकसभा और राज्यसभा में भी अपनी पूरी बात रखी है, जो लोग इस पर सवाल उठा रहे हैं उनका एक अलग नजरिया है पर पार्टी ने अपना नजरिया रख दिया है. जिनको ये लग रहा है कि 2015 में हमारे चलते जीत हासिल हुई तो ये आइने की तरह साफ है कि 2015 के चुनाव में 64.17 लाख वोट हमें मिले थे. भ्रष्टाचार के सवाल पर उन्होंने कहा कि चूंकि हमारी समझ है कि भ्रष्टाचार के माध्यम से सेक्यूलरिजम की रक्षा नहीं हो सकती है. 2019 के लोकसभा चुनाव में 89.02 लाख वोट आए".


नीरज सिंह ने कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय परिषद में ऐसे मामले नहीं है. जो लोग गए थे वो ऑल आसाम स्टूडेंट यूनियन (आसू) के अनुरोध पर गए थे. उन लोगों ने अपनी राय व्यक्त की थी और जब लोकसभा में नागरिकता संसोधन बिल आया तो कोई संपर्क उनके द्वारा नहीं हुआ. जो हमारे उत्तरपूर्व राज्यों में थे उनलोगों से संपर्क किया गया. इसके लिए संसदीय दल के नेता को अधिकृत किया गया था. उन्होंने कहा कि मेरा कहना है कि जो लोग ये सवाल उठा रहे हैं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का सम्मान बिहार की धरती पर नहीं होगा, वह संभल जाएं. नीतीश कुमार इस बात को सार्वजनिक रूप से कहते हैं और वो वोटर की चिंता करते हैं. नीतीश कुमार वोट की चिंता नहीं करते हैं. हमने जो अल्पसंख्यक के लिए काम किया वो देश की जनता को पता है. मैं चुनौती देता हूं कि जो अपने आप को सेक्युलर होने का दवा करते हैं उन्होंने अपने राज्य के अंदर कौन-कौन से कार्यक्रम किये और उसका क्या फल आया है जरा इस पर सार्वजनिक रूप से बहस कर लें.


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